शुक्रवार, 17 अप्रैल 2009

२ हमारा भूमण्डल

दुनिया का प्रथम हरित संविधान
गार समिथ
छोटे से लातिनी अमेरिकी देश `इक्वाडोर' जिसकी अर्थव्यवस्था प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर ही आश्रित है, द्वारा अपने यहां `पर्यावरणीय संविधान' की स्थापना कर `प्रकृति को कानूनी अधिकार प्रदान' किए हैं । जहां पूरी मानव सभ्यता आत्महत्या कीओर प्रवृत्त है ऐसे समय में प्रकृति को सजीव मानकर उसे कानूनी अधिकार प्रदान करने की २१ वीं शताब्दी का अब तक का सबसे महत्तवपूर्ण , गरिमामय व दूरन्देशी कदम कहा जा सकता है । हम भारतवासी जो अनन्तकाल से प्रकृति को जीवंत व अपना सहयात्री मानते आए हैं उन्हें भी हमसे सबक लेकर, पर्यावरणीय अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करना चाहिए । गत सितम्बर में एसोसिएटेड प्रेस (एपी) ने एक समाचार प्रकाशित किया था कि इक्वाडोर का नया संविधान `वामपंथी राष्ट्रपति राफेल कोरिया के अधिकारों में काफी वृद्धि करेगा । एपी ने अपने १५ अनुच्छेद वाले इस लेख के अंत में जिक्र किया है कि जिस नए संविधान को देश के ६५ प्रतिशत मतदाताआें ने सहमति दी है , उसके अंतर्गत विश्वविद्यालय स्तर प तक मुफ्त शिक्षा और घर पर ही रहने वाली माताआें को सुरक्षा की गारंटी दी गई है । एपी की इस रिपोर्ट में इस संविधान से संबंधित एक अन्य महत्वपूर्ण तथ्य की पूर्णतया अनदेखी की गई है यह तथ्य है , इक्वाडोर के मतदाताआेंने विश्व के पहले `पर्यावरण संविधान' नाम के दस्तावेज पर अपनी मोहर लगाकर मानव इतिहास में प्रथम बार प्रकृति को `अहस्तांतरणीय अधिकार' प्रदान किए हैं । कुछ समय पूर्व तक कहीं से भी ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा था कि इक्वाडोर पृथ्वी के प्रथम ` हरित संविधान ' की जन्मस्थली बनेगा । अमेरिकी ऋणदाताआें, विश्वबैंक व अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के विशाल ऋण से दबे इक्वाडोर को इस बात के लिए मजबूर किया गया कि वह अपने प्राचीन अमेजन वनों को विदेशी तेल कंपनियों के लिए खोल दे । तकरीबन ३० वर्ष तक यहां से तेल निकालकर अमीर हुई शेवरान टेक्साको नाम तल कंपनी ने जहां उत्तरी अमेजान को अपवित्र कर दिया वहीं वह लाखों गरीब इक्वारोडवासियों े जीवन को बेहतर बनाने में भी असफल सिद्घ हुई । अमेजन वॉच का अनुमान है कि टेक्साको ने २५ लख एकड़ वर्षा वनां को नुकसान पहुंचाया है और इस इलाके में ६०० जहरीले तालाब खोदकर क्षेत्र की नदियें और नालों को भी प्रदूषित कर उन पर निर्भर ३० हजार रहवायियों का जीवन भी दूभर कर दिया है । टेक्साको जिन इलाकों में कार्य कर रही थी वहां पर कैेंसर की दर राष्ट्रीय औसत से १३० प्रतिशत अधिक है और बच्चें में रक्त कैंसर का अनुपात इक्वोडोर के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले चार गुना अधिक है । १९९० में सिओना, सीकोया, अचुर , हुआओरानी एवं अन्य कई मूल वन निवासियों ने तीस लाख एकड़ पारम्परिक वनभूमि का स्वामित्व हासिल कर लिया था । परन्तु सरकार ने खनिजों और तेल पर अपना पूर्ववत् अधिकार कायम रखा थ । नवम्बर ९३ में इन्होंने टेक्साको के खिलाफ एक अरब डॉलर का पर्यावरणीय मुकदमा दायर किया और इसके बाद मूल निवासियों ने १५ वर्षोंा के लिये तेल निकालने पर रोक, पर्यावरण सुधार, कारपोरेट द्वारा क्षतिपूर्ति और तेल व्यापार के लाभ में हिस्सेदारी की मांग की। अमेरिका की पक्षधर तत्कालीन इक्वाडोर सरकार ने १९९७ में जब तेल उत्पादन में एक तिहाई बढ़ोतरी की घोषणा की तो सभी की निगाहें यासुनी वर्षावनों की ओर मुड़ गई जहां पर देश के सबसे बड़े तेल भंडार मौजूद हैं । जहां एक अरब बैरलतेल के भंडार हैं । यासुनी न केवल दुर्लभ चीतों, विलुप्त् प्राय सफेद पेट वाले मकड़ी बंदरों, विस्मित कर देने वाले भालुआें का ही नहंी बल्कि ऐसे मूल निवासियों का निवास भी है जिन्हें अंतरार्ष्ट्रीय संधियेां के माध्यम से सुरक्षा प्राप्त् है । राष्ट्रपति राफेल कोरिया की नई सरकार द्वारा २००७ में यासुनी में तेल निकालने पर रोक की घेाषणा को अमेजन वाच ने इक्वाडोर द्वारा तेल पर निर्भरता समाप्त् करने की दिशा े ंउठाया गया पहला कदम बताया । कोरिया के प्रस्ताव में इक्वाडोर के आर्थिक भविष्य के नए पथ के रूप में नवीकरण (रिन्युबल) ऊर्जा की ओर झुकाव की अनुशंसा की गई थी। नए संविधान की भाषा ने इस नई नीति को और भी आगे बढ़ाया है । इक्वाडोर के नए सुधारवादी संविधान में प्रकृति के अधिकार के नाम से जो अध्याय है वह देशज विचार `सुमक कवासे'अर्थात अच्छा जीवन और भूमि की देवी एन्डीअन के आह्वान से प्रारंभ होता है । इसे आरंभिक कथन में कहा गया है, ` प्रकृति या पंचामामा जहां पर जीवन पुनर्उत्पादित होता है और अस्तित्व में रहता है,उसे इसे बनाए रखने के लिए आवश्यक , अनिवार्य आवर्तन,संरचनाएं, कायों एवं क्रमविकास की ्रक्रियाआें को पूर्ण करने हेतु उसे अपने अस्तित्व,रख -रखाव व पुनरूत्पादन का पूरा अधिकार है। संविधान में `प्रकृति के कानूनी अधिकार भी समाहित किए गए हैं जिसके अंतर्गत `समग्र जीर्णोद्घार के अधिकार एवं `शोषण से मुक्ति' और हानिकर पर्यावरणीय परिणामों को भी सम्मिलित किया गया है । आश्चर्यजनक बात यह है कि इस पूरी घटना का अमेरिका से भी संबंध है । पेंसिलवेनिया स्थित `कम्यूनिटि इनवायरमेंटल लीगल डिफेंस फंड (सीईएलडीएफ) ने सान फ्रांसिस्को स्थित पंचामामा एलाइंस' के साथ संयुक्त रूप से इक्वाडोर की १३० सदस्यीय संविधान समिति के साथ एक वर्ष तक कार्य कर के नए संविधान के अंतर्गत `पर्यावरणीय अधिकार' से संबंधित भाषा का निर्माण किया है । सीईएलडीएफ की वेबसाईट पर लिखा है, `आज पर्यावरणीय कानून असफल होते जा रहे हैं । किसी भी पैमाने पर मापें तो हम पाएगें कि आज पर्यावरण की स्थिति अमेरिका द्वारा ३० वर्ष पूर्व पर्यावरणीय कानूनों को अपनाए जाने से भी बदतर है । सीईएलडीएफ का आकलन है कि इन कानूनों के अंतर्गत प्रकृति के साथ सम्पत्ति जैसा व्यवहार किया गया है। इन कानूनों के माध्यम से पर्यावरण को हानि पहुंचाने को वैधानिकता प्रदान करते हुए यह बताया गया है कि प्रकृति को किस हद तक प्रदूषित किा जा सकता है अथवा कितना नष्ट किया जा सकता है । कानूनों के द्वारा प्रदूषण का निषेध नहीं किया है, उसे सिर्फ सुव्यवस्थित भर कर दिया गया है । इसके ठीक विपरीत `प्रकृति के कानूनी अधिकार ' सम्पत्ति कानून को चुनौती देते हुए कहता है कि `अस्तित्वमान इको सिस्टम की कार्यप्रणाली में संपत्तिधारक के हस्तक्षेप के अधिकारों को समाप्त् कर यह सुनिश्चित किया गया है कि इको सिस्टम अपने अस्तित्व व फलने-फूलने के लिए जिन सम्पत्तियों पर निर्भर है उन्हें चिरस्थायी बनाया जाए । इस विचार ने अब गति पकड़ ली है । अमेरिका की पेंसिलवेनिया, केलिफोर्निया, न्यू हेम्पशायर और वर्जीनिया की नगरपालिकों ने भी हाल के वर्षों में `प्रकृति के कानूनी अधिकारों' को अपनाया है । ग्लोबल एक्सचेंज के शानोन बिग्स का कहना है कि `अमेरिकियों द्वारा कदम उठाए जाने के पूर्व एक समय तक गुलामों को भी कानूनन संपत्ति ही समझा जाता था सांस्कृतिक वातावराण को बदलने के लिए भी हमें नए कानून लिखने की आवश्यकता है । तोतों से भरे जंगल, जिसमें प्रति हेक्टेयर ३०० से अधिक तरह के वृक्षों की प्रजातियां हैं, अद्भुत जैव विविधता वाले वर्षावन और गालापागोस द्वीप तक फैली सीमाआें वाला यह देश `इक्वाडोर' दुनिया के पहले हरित संविधान के लिए आदर्श स्थिति निर्मित करता है । इक्वाडोर ने उस जंजीर पर हथोड़े से चोट कर दी है जिसे वाणिज्य ने प्रकृति को अपनी दासता में रखने के लिए बनाया था । अब समय आ गया है कि अन्य राष्ट्र भी उसी हथौड़े को उठाएं । ***म.प्र. में देश का पहला डायनासोर म्यूजियम म.प्र. में धार में डायनोसोर के अंडे मिलने के बाद पुरातत्व विभाग जल्द ही करीबन डेढ़ करोड़ की लागत से डायनासोर म्युजियम तैयार करने जा रहा है। देश में इस तरह का यह पहला डायनासोर म्यूजियम होगा । इसके लिए केंद्रीय पुरातत्व विभाग धनराशि देगा । सूत्रों के अनुसार डायनासोर के अलावा इसमें वन्य प्राणी से जुड़े सभी धरोहर को रखने की योजना है। धार जिले के मनावर में खुदाई के समय डायनासोर अंडे प्राप्त् हुए थे । ये अंडे अब पत्त्थर के रूप में परिणत हो चुके हैं । पुरातत्व अधिकारियों के अनुसार करीबन लाखों साल जमीन के अंदर दबे रहने के कारण यह अंडे पत्थर का रूप धारण कर चुके हैं । इसके बाद विदेशी और देशी सहित शोधकर्ता इसको लेकर रिसर्च कर रहे हैं । इसी वर्ष म्युजियम निर्माण का कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा । वर्ष २०१० में यह म्यूजियम बनकर तैयार हो जाने की उम्मीद है । यहां विलुप्त् वन्य प्राणी के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी ।

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