शुक्रवार, 7 सितंबर 2007

संपादकीय

जंतुऔ को परीक्षण से राहत मिलेगी
हम जिन सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग करते है, उनकी जांच के लिए हजारों खरगोश और चूहों को यातनाएं झेलनी पड़ती है । अब उन्हें इससे थोड़ी राहत मिली है। आम तौर पर सौंदर्य प्रसाधन कम्पनियां यह जांचने के लिए इन जंतुआे का उपयोग करती हैं कि उनके द्वारा बनाए गए प्रसाधन कहीं आंखों में जलन या चमड़ी पर एलर्जी तो पैदा नहीं करते हैं । कोई नई सामग्री बाज़ार में उतारने से पहले ऐसी जांच की जाती है । अलबत्ता इसी वर्ष से यूरोप में इनमें से कई परीक्षणों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है । वैकल्पिक विधियों के प्रमाणीकरण के लिए इटली मेंएक केंद्र है । इस केंद्र ने पांच परीक्षणों के विकल्प सुझाए हैं और विकल्प उपलब्ध हो जाने पर पूर्व में की जाने वाली जांच पर प्रतिबंध लगा दिया गया है । केंद्र ने जो वैकल्पिक परीक्षण सुझाए हैं उनमें से दो ऐसे हैं जिनके लिए जीवित जंतु की बजाए बूचड़खाने से प्राप्त् ऊतक से काम चल जाएगा । ये परीक्षण उन रसायनों के लिए हैं जिनमें आंखों में जलन पैदा करने वाले रसायनों की जांच की जाती है । दो ऐसे वैकल्पिक परीक्षण सुझाए गए हैं जिनमें प्रयोगशाला में संवर्धित कोशिकाआे से काम चलाया जा सकेगा । ये मूलत: त्वचा को उत्तेजित करने वाले रसायनों के लिए हैं । यूरोप में हर साल २०,००० जंतुआे पर ये परीक्षण किए जाते थे । एक अन्य परीक्षण एलर्जी से संबंधित था । इसका विकल्प मिल जाने से भी हजारों जंतु बच जाएेंगें । वैसे तो उपरोक्त पांचों वैकल्पिक परीक्षण बरसों से उपलब्ध रहे हैं मगर कम्पनियां इनका उपयोग नही करती थीं क्योंकि इनका प्रमाणीकरण नही हुआ था । दरअसल इटली के उक्त केंद्र ने प्रयोग करके प्रमाणित कर दिया है कि ये वैकल्पिक परीक्षण पूर्व के परीक्षणों से बेहतर ही हैं । आम तौर पर वैज्ञानिक समुदाय में जीवित जंतुआे पर प्रयोग करने के मामले में जागरूकता बढ़ रही है और इसी के परिणाम स्वरूप विकल्पों की खोज में तेजी आई है । वैसे अभी भी स्थिति यह है कि कम्पनियों को कुछ ऐसे परीक्षण करने की छूट रहेगी । मगर यूरोपीय संघ ने तय किया है कि विकल्प हों या न हों, वर्ष २००९ तक ऐसे सारे परीक्षण बंद कर दिए जाएेगें ।

1 टिप्पणी:

  1. आज पहली बार आपके चिट्ठे पर आया एवं आपकी रचनाओं का अस्वादन किया. आप स्पष्ट एवं सशक्त लिखते हैं.

    पर्यावण में मेरी गहरी रुचि है, एवं नियमित रूप से अब आपके लेख पढा करूगा -- शास्त्री जे सी फिलिप

    मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
    2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!

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