शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

विशेष लेख
हमारा शरीर : कितना हमारा, कितना पराया 
डॉ. सुशील जोशी 

पिछले कुछ वर्षोमें जीव विज्ञान व चिकित्सा के क्षेत्र में अध्ययन की एक नई शाखा ने महत्व अख्तियार किया है । इसे माइक्रोबायोमिक्स कहते हैं । यह हमारे शरीर के विभिन्न अंगों में बसने वाले सूक्ष्मजीवों और उनके हमारे शरीर पर प्रभाव का अध्ययन है । 
पिछले दो दशकों में ऐसे शोध पत्रों की बाढ़ सी आ गई है जिनमें यह बताया गया है कि यह सूक्ष्मजीव जगत हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों की शरीर क्रियापर क्या प्रभाव डालता है और इसका स्वास्थ्य व बीमारियों से क्या संबंध है । इस संदर्भ में यह आंकड़ा सबसे प्रचलित रहा है कि मानव शरीर में उसकी अपनी कोशिकाआें के मुकाबले सूक्ष्मजीवों की कोशिकाआें की संख्या १० गुना या उससे भी ज्यादा होती है । यानी यदि आपके शरीर में गिनती की जाए, तो शायद आपकी कोशिकाआें की संख्या मात्र १० प्रतिशत या, दूसरे शब्दों में, नगण्य निकले । मगर हाल के एक शोध पत्र में इस आंकड़े पर सवाल उठाए गए हैं । 
इस्त्राइल में रोहोवोत स्थित वाइजमैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइन्स के रॉन मिलो व उनके साथियों ने अपने ताजा शोध पत्र में सबसे पहले तो यह जानने का प्रयास किया है कि आखिर बैक्टीरिया और मानव कोशिकाआें का १०:१ का अनुपात आया कहां से । फिर उन्होनें नए सिरे से गणना करने की कोशिश की है कि वास्तव में मानव शरीर में बैक्टीरिया कोशिकाआें की संख्या कितना होती है और खुद मानव की कोशिकाएं कितनी होती हैं । 
यह जानना दिलचस्प होगा कि आखिर इन कोशिकाआें की गिनती कैसे की जाती है । 
मिलो व उनके साथियों ने यह जानने के लिए वैज्ञानिक साहित्य की गहन पड़ताल की कि मानव शरीर में बैक्टीरिया और मानव कोशिकाआें के १०:१ के अनुपात का स्त्रोत क्या है । उन्होंने पाया कि जिस आंकड़े का हवाला कई वर्षो से विभिन्न शोध पत्रों में दिया जा रहा है वह १९७२ में टी. लकी ने एक मोटी-मोटी गणना के आधार पर निकाला था जिसे बैक ऑफ दी एन्वेलप केल्कुलेशन कहते हैं । बाद में इसे डी.सेवेज ने १९७६ में एनुअल रिव्यू ऑफ माइक्रोबायोलॉजी नामक शोध पत्रिका में अपने शोध पत्र में उद्धरित करके लगभग अमर कर दिया । उसके बाद से माइक्रोबायोम संबंधी सारे पर्चोमें इसी आंकड़े को दोहराया जाता रहा है। 
चंूकि इंसान के शरीर मेंअधिकांश सूक्ष्मजीव बैक्टीरिया होते हैं इसलिए इन्हें सूक्ष्मजीव की बजाय बैक्टीरिया कहना अनुपयुक्त नहीं है । बहरहाल, लकी ने अपने १९७२ के शोध पत्र में बहुत ही मोटी-मोटी गणनाएं की थी और वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि एक संदर्भ व्यक्ति के शरीर की आहार नाल में करीब १०१४ बैक्टीरिया का निवास होता है । इसके बाद बैक्टीरिया की दूसरी बड़ी आबादी त्वचा पर होती है (करीब १०१२) । ध्यान दें कि १०१४ (१० घात १४) का मतलब होता है १ के बाद १४ शून्य लगाई जाएं । संदर्भ व्यक्ति से आशय है : २०-३० वर्ष उम्र का पुरूष जिसकी ऊंचाई १७० से.मी. और वजन ७० किलोग्राम है । 
मिलो की टीम का मत है कि लकी ने यह गणना एक मोटा अनुमान पाने के लिए की थी, और उन्होनें शायद सोचा भी नहीं था कि अगले तीन दशकों तक यह एक मानक संख्या के रूप में उद्धरित की जाएगी । वैसे मिलो का मत है कि लकी का यह प्रयास मोटा-मोटा अनुमान पाने के लिहाज से एक सराहनीय व परिष्कृत प्रयास था । तो लकी ने यह गणना कैसे की थी ?
उदाहरण के लिए, लकी ने मनुष्य की आहार नाल में बैक्टीरिया की संख्या का अनुमान लगाने के लिए आहार नाल का आयतन १ लीटर माना । यानी यदि उसमें उपस्थित पदार्थ का घनत्व १ ग्राम प्रति मिली लीटर हो, तो बड़ी आंत (कोलन) में कुल पदार्थ १ किलोग्राम होगा । अब उन्होनें विभिन्न अध्ययनों से प्राप्त् आंकड़ों का उपयोग किया । खास तौर से मल में बैक्टीरिया की गिनती के प्रायोगिक आंकड़ों का उपयोग किया गया । विभिन्न अध्ययनों में पता चला था कि प्रति ग्राम गीले मल में लगभग १०११ बैक्टीरिया होते हैं । यह आंकड़ा वास्तविक गिनती पर आधारित है । 
चूंकि १ ग्राम गीले मल में १०११ बैक्टीरिया हैं, तो आसानी से बताया जा सकता है कि १ किलोग्राम में १०१४ (१०११  १०००) बैक्टीरिया होंगे । इसमें मान्यता यह है कि मल में बैक्टीरिया उसी अनुपात में निकलते हैं जितने कि वे आंत में हैं । 
गणना का यह तरीका बहुत ही परिष्कृत है किन्तु इसमें जो मान्यताएं ली गई हैं वे थोड़ी विवादास्पद हैं । पहली बात तो यह है कि आहार नाल में लगभग सारे बैक्टीरिया मात्र बड़ी आंत (कोलन) में ही पाए जाते हैं । कोलन का आयतन १ लीटर नहीं बल्कि मात्र ४०० मि.ली. के लगभग होता है । कोलन का आयतन निकालने की कई विधियां हैं । जैसे उसमें से पदार्थो के प्रवाह का मापन, बेरियम भोजन खिलाकर एक्सरे निकालना और पोस्ट मॉर्टम से प्राप्त् आंकड़े । ऐसे कई अध्ययनों के आधार पर संदर्भ व्यक्ति में कोलन का औसत आयतन ४०९ मि.ली. निकला है । 
तो हमें यह तो पता चल गया कि कोलन में पदार्थ की मात्रा ४०९   १.०२ = ४१७ ग्राम होती है । अब यह देखना है कि प्रति गा्रम पदार्थ में कितने बैक्टीरिया होते हैं । इसका सबसे प्रचलित तरीका है कि मल के नमूने में बैक्टीरिया की गिनती कर ली जाए । मान्यता यह है कि मल का नमूना कोलन में उपस्थित पदार्थ का सही प्रतिनिधित्व करता है । 
सन् १९६० व १९७० के दशक में शोधकर्ताआें ने कई मरीजों के मल के नमूने लिए और उनके पतले घोल बनाकर सूक्ष्मदर्शी में देखकर बैक्टीरिया की गिनती कर ली । फिर उल्टी तरफ से गणना करके पता किया कि मल में प्रति ग्राम कितने बैक्टीरिया हैं । 
इन प्रयोगों के आंकड़े प्राय: बैक्टीरिया प्रति ग्राम शुष्क मल के रूप में दिए जाते हैं । मगर यदि कोलन में बैक्टीरिया की गणना करना है तो शुष्क मल के भार से काम नहीं चलेगा । आपको तो गीले मल में बैक्टीरिया का घनत्व   चाहिए । इसकी गणना के लिए करना यह पड़ेगा कि यह पता लगाया जाए कि मल को सुखाने की प्रक्रिया में कितना वजन घटता है और फिर उसकी मदद से गीले मल में बैक्टीरिया घनत्व निकालना होगा । 
जब इन सुधारों के बाद प्रति ग्राम मल में बैक्टीरिया की संख्या निकाली गई तो वह आई ०.९२   १०११ ।
अब कोलन में कुल बैक्टीरिया की गणना की जा सकती है । प्रति गा्रम गीले में ०.९२   १०११ बैक्टीरिया हैं और कोलन में भरे पदार्थ का वजन ४१७ ग्राम है तो कोलन में कुल बैक्टीरिया संख्या ३.९   १०१३ आती है । यह तो हुई कोलन में बैक्टीरिया की संख्या । शेष सारे अंगो में बैक्टीरिया की संख्या कई अलग-अलग विधियों से ज्ञात की गई है और वह अधिकतम १०१२ आती है । इन्हें जोड़ने पर हमें जो संख्या मिलेगी वह १०१३ के आसपास ही होगी । 
यह भी रोचक है कि हम कैसे जानते हैं कि मनुष्य के शरीर में कितनी कोशिकाएं होती हैं । वैज्ञानिक साहित्य में इसका आंकड़ा १०१२ से लेकर १०१४ के बीच मिलता है । 
एक तरीका यह है कि १०० (१०२) किलोग्राम के एक व्यक्ति को लेंऔर इस वजन मे एक औसत स्तनधारी कोशिका के वजन से भाग दे दें । स्तनधारी कोशिका का औसत वजन १०-१२ से  १०-११ किलोग्राम माना जाता है । (अर्थात ०.०००००००००१ किलोग्राम) । इस आधार पर गणना करें तो १०० किलोग्राम के व्यक्ति में कोशिकाआें की संख्या १०१३ और १०१४ के बीच निकलती है । अब इस गणना में एक चीज को छोड़ दिया गया है - मनुष्य के शरीर का सारा वजन कोशिकाआें में नहीं होता बल्कि कुछ वजन कोशिकाआें के बीच के पदार्थ में भी होता है । अलबत्ता, ऐसी मोटी-मोटी गणनाआें में इस तरह की चीजों को छोड़ना लाजमी है । 
एक अध्ययन में डीएनए आधारित विधि का उपयोग भी किया गया है । डीएनए सजीवों के गुणधर्मो का निर्धारण करने वाला पदार्थ है जो कोशिकाआें के केन्द्रक में पाया जाता है । सबसे पहले २५ ग्राम के एक चूहे में उपस्थित कुल डीएनए (लगभग २० मि.ग्रा.) में एक कोशिका में अनुमानित डीएनए की मात्रा (६ १०-१२ ग्राम  प्रति कोशिका) से भाग दे दिया गया । इस तरीके से २५ ग्राम के चूहे में कोशिकाआें की संख्या निकली ३ १०९ कोशिकाएं । अब चूहा तो २५ ग्राम का है । मगर इसके आधार पर गणना करके १०० कि.ग्रा. के एक मनुष्य में कोशिकाआें की संख्या निकाली जा सकती है - लगभग १०१३ कोशिकाएं । मगर इस विधि की एक दिक्कत है । स्तनधारियों के शरीर में कोशिकाआें की एक बड़ी तादाद (वास्तव में सबसे बड़ी तादाद) ऐसी है जिनमें डीएनए तो क्या केन्द्रक ही नहीं होता । जैसे, लाल रक्त कोशिकाएं और रक्त प्लेटलेट्स । 
एक अन्य विधि में कोशिकाआें के विभिन्न समूहों को व्यवस्थित रूप से गिना जाता है । किया यह जाता है कि कोशिकाआें के समूह बनाए जाते हैं । ऐसे एक प्रयास में समूहीकरण या तो ऊतक के आधार पर (जैसे ग्लियल कोशिकाएं) किया गया अथवा उनके पाए जाने के स्थान के आधार पर (जैसे अस्थि मज्जा की केन्द्रयुक्त कोशिकाएं) किया गया । ग्लियल कोशिकाएं तंत्रिका तंत्र की संयोजी कोशिकाएं होती हैं । इसके लिए प्रत्येक समूह की कोशिकाआें की संख्या का अंदाज लगाने के लिए आप चाहे तो शोध साहित्य में दिए गए आंकड़ों का उपयोग कर सकते हैं या फिर प्रत्येक ऊतककी पतली स्लाइस (अनुप्रस्थ काट) में कोशिकाआें की संख्या गिन सकते है और इस संख्या को उस ऊतक की मोटाई से गुणा करके कुल कोशिकाआें की संख्या निकाल सकते हैं । ऐसे एक प्रयास में मनुष्य शरीर में कोशिकाआें की संख्या निकली थी ३   १०१३ ।
मिलो व उनके साथियों ने थोड़ा अलग रास्ता अपनाया । उन्होंने सारी कोशिकाआें पर ध्यान न देकर मात्र ६ किस्म की कोशिकाआें पर ध्यान दिया जिनके बारे में पता है कि वे कुल कोशिकाआें में ९७ प्रतिशत होती है : लाल रक्त कोशिकाएं (७० प्रतिशत), ग्लिअल कोशिकाएं (८ प्रतिशत), एंडोथीलियल कोशिकाएं (७ प्रतिशत), त्वचा की फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाएं (५ प्रतिशत), प्लेटलेट्स (४ प्रतिशत) और अस्थि मज्जा की कोशिकाएं (२ प्रतिशत) । 
मनुष्य के शरीर में कोशिकाआें की सबसे बड़ी संख्या लाल रक्त कोशिकाआें की होती है । एक औसत व्यक्ति के शरीर में खून का आयतन ४.९ लीटर होता है । प्रयोगों से प्राप्त् आंकड़े बताते हैं कि पुरूषों में प्रति लीटर खून में कोशिकाआें की संख्या ४.६-६.१  १०१२ तथा महिलाआें में ४.२-५.४  १०१२ होती है । इस हिसाब से कुल ४.९ लीटर खून में लाल रक्त कोशिकाआें की संख्या २.६   १०१३ निकलती है । 
पहले की गणनाआें के आधार पर ग्लिअल कोशिकाआें की संख्या ३ १०१२ बताई गई थी । यह आंकड़ा इस मान्यता के आधार पर निकला था मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाआें और ग्लिअल कोशिकाआें का अनुपात १०:१ का होता है । मगर हाल में जब मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्सों की छानबीन की गई तो पता चला है कि यह अनुपात वास्तव में १:१ के ज्यादा करीब है । तो संभवत: मस्तिष्क में ग्लिअल कोशिकाआें और तंत्रिका कोशिकाआें की संख्या बराबर-बराबर होती है (८.५  १०१० ) ।
अब आते है एंडोथीलियल कोशिकाआें पर । ये वे कोशिकाएं हैं जो हमारे सारे अंगों (आंत, फेफड़े, रक्त वाहिनियां वगैरह) का अस्तर बनाती हैं । पहले इनकी संख्या का अनुमान २.५ १०१२ माना गया था । यह इस आधार पर निकाला गया था : एक एंडोथीलियल कोशिका की सतह का क्षेत्रफल लेकर उससे रक्त वाहिनियों की सतह के क्षेत्रफल में भाग दे दिया गया । शरीर में महीन रक्त वाहिनियों यानी कोशिकाआें की कुल लम्बाई ८   १०९ से.मी. मानी गई थी । मगर इसी गणना को थोड़ा अलग ढंग से किया जा सकता है । प्रत्येक किस्म की रक्त वाहिनी में खून की मात्रा के अनुमान उपलब्ध हैं । विभिन्न रक्त वाहिनियों के औसत व्यास के आंकड़े के आधार पर हर प्रकार की वाहिनी की लंबाई पता की जा सकती है । इसके आधार पर उनकी अंदरूनी सतह का क्षेत्रफल निकाला जा सकता है । अब इस कुल क्षेत्रफल में एक एंडोथीलियल कोशिका के क्षेत्रफल से भाग देने पर पता चलता है कि रक्त वाहिनी की एंडोथीलियल कोशिकाआें की संख्या ६   १०११ है । 
फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाएं शरीर के संयोजी ऊतक की कोशिकाएं होती हैं । पहले त्वचा की फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाआें की संख्या १.८५ १०१२ निकाली गई थी । इस अनुमान के लिए मानव शरीर की सतह के कुल क्षेत्रफल (१.८५ वर्ग मीटर) में फाइब्रोब्लास्ट कोशिका के औसत क्षेत्रफल से भाग किया गया था । मगर इसमें त्वचा की मोटाई का ध्यान नहीं रखा गया था । त्वचा की विभिन्न परतों में कोशिकाआें का घनत्व बराबर-बराबर नहीं होता । जब इस बात को भी गणना में शामिल किया गया तो पता चला कि त्वचा की फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाआें की संख्या २.६ १०१०है ।  
कुल मिलाकर मानव शरीर में गैर रक्त कोशिकाआें की अनुमानित संख्या ९ १०११ आती    है । इसमें अन्य गैर रक्त कोशिकाआें की संख्या को भी जोड़ दे तो भी ऐसी कोशिकाआें की कुल संख्या ३   १०१२ ही होती है । इसका मतलब है कि हमारे शरीर में कुल कोशिकाआें में से रक्त कोशिकाएं ९० प्रतिशत हैं और शेष कोशिकाएं मात्र १०   प्रतिशत । 
अपने शरीर को देखे तो विश्वास नहीं होता कि कोशिकाआें की ९० प्रतिशत संख्या सिर्फ खून में बहती केन्द्रक विहीन लाल रक्त कोशिकाआें और प्लेटलेट्स के रूप में है । आखिर वजन के हिसाब से देखे तो कहां मात्र ५ लीटर खून और कहां भारी भरकम हडि्डयां और मांसपेशियां । इस विरोधाभास को समझने के लिए हमें कोशिकाआें के वजन पर गौर करना होगा । हमें देखना होगा कि विभिन्न कोशिकाआें की अनुमानित संख्याआें में उनके वजन का गुणा किया जाए तो क्या हमारे शरीर के भार के बराबर हो जाता है । यहां यह पहले ही बता देना मुनासिब है कि व्यक्ति के कुल भार का लगभग २५ प्रतिशत कोशिकाआें से बाहर तरल रूप में और ७ प्रतिशत हिस्सा कोशिकाआें के बाहर ठोस रूप में होता है । यानी किसी व्यक्ति का वजन ७० किलोग्राम हो, तो कोशिकाआें के आधार पर हमें सिर्फ ४७ किलोग्राम का हिसाब मिलाना  है । 
इसकी गणना एक रिपोर्ट के नतीजों के आधार पर की जा सकती है - रिपोर्ट ऑफ दी टास्क ग्रुप ऑन रेफरेंस मैन (संदर्भ व्यक्ति पर टास्क समूह की रिपोर्ट) । इस रिपोर्ट में मानव शरीर के विभिन्न ऊतकों के वजन दिए गए हैं और इसमें कोशिकाआें में समाहित व कोशिकाआें से बाहर मौजूद वजन अलग-अलग दिए गए हैं । दरअसल इसका अंदाज लगाने के लिए पोटेशियम सांद्रता का उपयोग किया जाता है । 
इस गणना से स्पष्ट है कि कोशिकाआें की संख्या और ऊतक के भार के बीच सीधा संबंध नहीं है । कोशिकाआें की संख्या की दृष्टि से लाल रक्त कोशिकाआें का बोलबाला (८४ प्रतिशत है) है जो हमारे शरीर की सबसे कम आयतन की कोशिकाआें में से है - लाल रक्त कोशिका का आयतन मात्र १०० घन माइक्रोमीटर होता है । इसके विपरीत भार की दृष्टि से देखे तो कुल कोशिका भार में से ७५ प्रतिशत मात्र दो प्रकार की कोशिकाआें से बना होता है - वसा कोशिकाएं और मांसपेशीय कोशिकाएं । ये बड़ी-बड़ी कोशिकाएं होती है जिनका आयतन आम तौर पर १०,००० घन माइक्रोमीटर से ज्यादा होता है । मगर कुल कोशिकाआें में से इनकी संख्या बहुत कम (०.१ प्रतिशत) होती है ।
अब हमने बैक्टीरिया की संख्या का भी अनुमान लगा दिया है और अपनी कोशिकाआें का भी । अब कह सकते है कि यह अनुपात अधिकतम १:१:३ का है । दूसरे शब्दों में हमारे शरीर में हमारी अपनी कोशिकाएं और बैक्टीरिया कोशिकाएं लगभग बराबर-बराबर है । हां, यदि हम मानव शरीर में बैक्टीरिया कोशिकाआें की संख्या और केन्द्रक युक्त कोशिकाआें की संख्या का अनुपात निकालें, तो वह बेशक १०:१ का आता है । मगर नई गणनाआें के आधार पर इस आंकड़े को त्यागकर नए आंकड़े को अपना लेना चाहिए । क्या इस नए आंकड़े की वजह से माइक्रोबायोमिक्स का महत्व कम हो जाता है ? ऐसा नहीं है । यह सवाल मात्र संख्याआें का नहीं बल्कि बैक्टीरिया और हमारे शरीर की आपसी अंतर्क्रिया का है । 

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