सोमवार, 21 अक्तूबर 2019

पर्यावरण समाचार
गांधी को जानना अपने देश को जानना है 

              सत्य, अहिंसा और अपरिग्रह गांधी दर्शन और जीवन की मूल अवधारणा हैं जो आप उपयोग कर रहें, वहीं बस आपका हैं, जो आप संग्रह कर रहे, वह आपका लोभ है, लालच है, हमें जीवन ऐसा जीना चाहिये जैसे कल ही मरना हैं, लेकिन हमें ज्ञान को ऐसे सीखना चाहिये जैसे सदियों तक जीना हैं । यह उद्गार रतलाम जिला पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी ने युवाम द्वारा गांधी की १५०वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में युवाम सभाग्रह, रतलाम में आयोजित गांधी और युवा विषय पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे । 

युवाम सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में गौरव तिवारी ने कहा कि अब सदियों तक दूसरा गांधी नहीं हो सकता । १२८ राष्ट्रो ने गांधी को महानायक मानकर उनकी प्रतिमा अपने देशों में लगाई है । 
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता पर्यावरणविद् डॉ. खुशालसिंह पुरोहित ने भी कहा कि गांधी ने सिर्फ हिन्दुस्तान को आजाद ही नहीं कराया बल्कि उनकी प्रेरणा से हमारी आजादी के बाद ११७ राष्ट्र आजाद  हुऐ । दुनिया की क्रांति के जितने भी नायक थे वे उनके राष्ट्र की आजादी के बाद सत्ता के नायक बने । एकमात्र गांधी थे जो सत्ता के नायक नहींबने । 
डॉ. पुरोहित ने युवाआें का आव्हान किया कि वे भारतीय संस्कृतिऔर जीवन मूल्यों को समझना  चाहते है तो उन्हें गांधी को समझना होगा । गांधी व्यक्ति नहीं एक विचार है, जिसकी प्रासंगिकता निरन्तर बढ़ती जा रही है । एक माने में गांधी को जानना अपने देश को जानना हैं ।  
डॉ. पुरोहित ने विद्यार्थियों के प्रश्नों के एक घंटे तक उत्तर दिये । देश बंटवारा, भगतसिंह कोफांसी, असहयोग आंदोलन आदि कई प्रश्नों पर  उन्होंने तथ्यात्मक बाते बताई । 
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे युवाम संस्थापक पारस सकलेचा ने युवाआें से गांधी साहित्य पढ़ने का अनुरोध किया । धर्मेन्द्र मण्डवारिया ने गांधी दर्शन को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ दर्शन बताया । महाराष्ट्र समाज के ट्रस्टी सुधीर सराफ ने युवाआें से कहा कि पारस दादा के जीवन से प्रेरणा प्राप्त् करोगे तो स्वत: ही गांधी से प्रेरणा प्राप्त् होगी । दादा आज के गांधी है । 
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत मेघा चौहान, साक्षी जैन, निश्चल पापटवाल, जय भटनागर, शुभम जायसवाल आदि ने किया । व्याख्यान माला का संचालन पवन पंवार ने किया तथा करण शर्मा ने आभार व्यक्त किया । 
कीटनाशक तीसरी पीढ़ी को भी कर सकते हैं बीमार
उपज बढ़ाने के लिए किसान रसायनोंऔर कीटनाशक दवाआें का जमकर उपयोग कर रहे हैं लेकिन इसका असर सीधे जनता के स्वास्थ्य पर हो रहा है । कीटनाशक कंपनियोंका जो भी दावा हो लेकिन विशेषज्ञ मानते है कि इसका दंश तीसरी पीढ़ी तक झेलना पड़ता है । 
कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील के बाद से मंत्रालय जैविक खेती को बढ़ाने पर जो र दे रहा है । गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने बीते १५ अगस्त को लालकिले से कहा था कि किसान खेती में कम कीटनाशक दवाआें का उपयोग करें । 
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हर साल भारत में दस लाख लोगों को कैंसर होता है । इनमें आठ लाख की मौत हो जाती है । राजस्थान में गंगानगर और पंजाब के नहरी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा कीटनाशक के उपयोग होने के कारण कैंसर पाव पसार चुका है । परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत जैविक खेती करने पर प्रति हेक्टेयर ५० हजार रूपये देने का प्रावधान है । इनमें जैविक खाद, जैविक खाद, जैविक कीटनाशकों आदि खरीदने हेतु ३१००० रू. दिए जा रहे है । 

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