देश में चार टाइगर रिजर्व और बनेंगें
बाघों को बचाने के प्रयास के तहत सरकार ने चार राज्यों में टाइगर रिजर्व खोलने का फैसला किया है । ये राज्य हैं मध्यप्रदेश उत्तर प्रदेश ,महाराष्ट्र और उड़ीसा । मध्यप्रदेश के रातापानी, महाराष्ट्र में सह्रादी, उत्तरप्रदेश में पीलीभीत और उड़ीसा में टाइगर रिजर्व खोले जाने के लिए आधिकारिक मंजूरी मिल चुकी है । इस समय देश की ५० हजार वर्ग किलोमीटर इलाके में ३८ टाइगर रिजर्व है । सरकार इनमें से हर एक पर सालाना दो करोड़ रूपए खर्च करती है । सन् २००८ की गिनती के हिसाब से देशभर में १४११ बाघ ही बचे हैं । इनमें से ६०१ मध्यभारत, ४१२ पश्चिमी घाट, २९७ शिवालिक इलाके और १०० उत्तर पूर्वी राज्यों में है ।सरिस्का और पन्ना जैसे टाइगर रिजर्व से बाघ लगभग विलुप्त् हो चुके हैं। वजह है अवैध शिकार , खनन और रियल एस्टेट माफिया की हरकतें । इसके अलावा सरकार वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट १९७२ में भी व्यापक संशोधन करने पर विचार कर रही है ताकि टाईगर रिजर्व या कोर एरिया में किए गए अपराधों की कड़ी सजा तय की जाए ।
थोड़ी सी बिजली के लिए बड़ी कीमत
भारत - अमेरिका परमाणु करार के तहत देश में नाभिकीय बिजली संयंत्र लगाने वाली विदेशी कंपनियों की दुर्घटना की स्थिति में न केवलसीमित मुआवजा देना होगा, बल्कि यदि दुर्घटना किसी व्यक्ति की लापरवाही , आतंकवादी हमले अथवा सशस्त्र संघर्ष की वजह से होती है तो इसके लिए कंपनी कतई जिम्मेदारी नहीं होगी । ये प्रावधान उस विधेयक का हिस्सा है जिसे सरकार संसद के चालू बजट सत्र मेंपेश करने वाली है । `नाभिकीय क्षति के लिए दीवानी दायित्व विधेयक' नामक इस विधेयक का भारत-अमेरिका परमाणुकरार के संदर्भ में खासा महत्व है । इस करार के तहत विदेशी कंपनियां भारत में लगभग २० हजार मेगावाट तक के नाभिकीय बिजली संयंत्र लगाएगी और इनका संचालन करेंगी । इन कंपनियों को इस बात की चिंता सता रही है कि परमाणु दुर्घटना की स्थिति में कहीं उन्हें इतना भारी मुआवजा न देना पड़े कि धंधा ही चौपट हो जाए । लिहाजा उन्होंने अपने-अपने देशों के मार्फत सरकार पर दबाव बनाया है । दूसरी और सरकार की मजबूरी यह है कि उसे इस बात को सुनिश्चित करना है कि ये कंपनियां जिम्मेदारी बचकर भागने न पायें । भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड के मामले में जो हुआ उसे कोई नहीं भूला है । लिहाजा सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए इन कंपनियों पर फिलहाल अधिकतम ३०० करोड़ रूपये मुआवजे का भार डालने का प्रस्ताव किया है । साथ ही इस बात का प्रावधान किया है कि जरूरत पड़ने पर इस राशि को सरकार घटा या बढ़ा भी सकती है । इस विधेयक को केन्द्रीय मित्रमंडल ने पिछले २० नवंबर को मंजूरी दी थी और चालू बजट सत्र में इसे संसद में पेश किये जाने के पूरे आसार हैं । लेकिन विधेयक के प्रावधान चौंकाने वाले हैं इन्हें लेकर बवाल मच सकता है ।
बिना पानी के वाशिंग मशीन में धुलेंगे कपड़े
अब वो तो दिन दूर नहीं जब कपड़ों को बिना पानी के धोया और सुखाया जा सकेगा । ब्रिटेन में वैज्ञानिकों ने पर्यावरण के अनुकूल यानी ईको फ्रेंडली वाशिंग मशीन तैयार की है । यह न के बराबर पानी के इस्तेमाल से कपड़ों को आम मशीनों की तरह ही साफ करेगी । इसमें आम मशीनों के मुकाबले बहुत कम बिजली और डिटर्जेंाट की जरूरत पड़ेगी । ब्रिटेन दक्षिण यार्कशायर के कैटक्लिफी की जीराज कंपनी ने इस मशीन को बनाया है । इस ग्रीन टेक्नोलाजी के इस्तेमाल से अरबों लीटर पानी की बचत की जा सकेगी । कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बिल वेस्टवाटर ने कहा, प्रौद्योगिकी के फायदे हमें मिल रहे हैं । इस तकनीक को ३० साल की मेहनत के बाद लीड यूनिवर्सिटी के केमेट्री टेक्सटाइल प्रोफेसर स्टीफन बरकिनशाह ने विकसित किया है । जीरास को इससे सालाना ५० अरब पाउंड का व्यापार होने की संभावना जताई है । कैलीफार्निया की सिलिकान वैली में शीर्ष कंपनियों नें उसमें आमंत्रित किया है। वेस्टवाटर ने कहा कि कपड़ा धोने की नई प्रणाली को पेश करने का यह बेहतर समय है । यह संभावित भागीदारों के साथ तकनीक के प्रदर्शन का प्रभावशाली स्थान है । जीरास का उद्देश्य साल के आखिर तक इस उत्पाद को बाजार में उतारने का है । सबसे पहले होटलों और लांड्री के इस्तेमाल के उद्देश्य से इसे बाजार में उतारा जाएगा । इसके बाद व्यावसायिक उत्पादन शुरू किया जा सकता है । ***
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