मंगलवार, 16 जून 2015


प्रसंगवश
अधिक लौह तत्व से अल्ज़ाइमर का खतरा
वैसे तो लौह तत्व स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है क्योंकि यह उस तंत्र का हिस्सा है जो शरीर की कोशिकाआें को ऑक्सीजन पहुंचाता है । मगर हाल में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि मस्तिष्क में बहुत अधिक लौह तत्व हो तो अल्जाइमर नाम रोग का खतरा बढ़ता है । 
पहले किए गए अध्ययनों से पता चला था कि अल्जाइमर से पीड़ित लोगों में लौह तत्व भी अधिक पाया जाता है । हाल के अध्ययन से संकेत मिलता है कि लौह तत्व की अधिकता रोग के जल्दी शुरू होने के लिए जिम्मेदार हो सकती है । 
ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न विश्वविघालय के शोधकर्ताआेंने सात वर्षो तक ऐसे ११४ लोगों का अध्ययन किया जिनमें स्मृति-दंश (याददाश्त कमजोर होने) के हल्के-फुल्के लक्षण नजर आने लगे थे । उनके मस्तिष्क मेंलौह का स्तर जानने के लिए उनके सेरेब्रो-स्पाइनल तरल (वह तरल पदार्थ जो मस्तिष्क और मेरूरज्जू में भरा होता है) में एक प्रोटीन फेरिटिन का मापन किया गया । फेरिटिन वह प्रोटीन है जो लौह तत्व से जुड़ता है । अध्ययन से शुरू में जिन व्यक्तियों के सेरेब्रो-स्पाइनल तरल में अधिक फेरिटिन था, उनमेंअल्जाइमर की शुरूआत भी पहले हुई थी । 
शोधकर्ता दल ने यह भी पाया कि अल्जाइमर रोग का जोखिम पैदा करने में सर्वाधिक भूमिका आिएि४ नामक जीन की है और यह जीन अधिक लौह से संबंधित होता है । शोधकर्ताओ का मत है कि लौह एक अत्यन्त क्रियाशील तत्व है और यह तंत्रिकाआें को तनावग्रस्त कर देता है । 
वैसे लौह तत्व को कम करने का एक अच्छा तरीका है कि आप नियमित रूप से रक्तदान करें । मगर यह तरीका शायद बुजुर्गो के संदर्भ में काम नहीं आएगा क्योंकि इससे वे एनीमिया के शिकार हो सकते है । 
अलबत्ता एक दवा है डीफेरिप्रोन जो मस्तिष्क मेंलौह की मात्रा को कम करती है जबकि शेष शरीर पर असर नहीं डालती है । पार्किसनरोग में यह असरदार पाई गई है । शोधकर्ता इस दवा का परीक्षण अल्जाइमर में करने को उत्सुक है ।

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