शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2018

पर्यावरण समाचार
देश में ४ करोड़ ७० लाख बच्चे वायु प्रदूषण से प्रभावित
पिछले दिनों नई दिल्ली में ग्रीनपीस इंडिया ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट `एयरपोक्लिपस' का दूसरा संस्करण जारी किया । इस रिपोर्ट में २८० शहरों के एक साल में पीएम १० के औसत स्तर पर विश्लेषण किया गया है । इन शहरों में देश की ६३ करोड़ (करीब ५३ फीसदी जनसंख्या) आबादी रहती है । शेष ४७ प्रतिशत (५८ करोड़) आबादी ऐसे क्षेत्र में रहती है जहां की वायु गुणवत्ता के आंकड़े उपलब्ध ही नहीं है । इन ६३ करोड़ में से ५५ करोड़ लोग ऐसे क्षेत्र में रहते है जहां पीएम१० का स्तर राष्ट्रीय मानक से कहीं अधिक है ।
वहीं देशभर में पांच साल से कम उम्र के ४ करोड़ ७० लाख बच्चे ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहां सीपीसीबी द्वारा तय मानक से पीएम१० का स्तर अधिक है । इनमें से १ करोड़ ७० लाख बच्चें मानक से दोगुने पीएम१० स्तर वाले क्षेत्र में निवास करते है । वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर गंगा के मैदानी इलाके मेंहै ।
रिपोर्ट के अनुसार देश का एक भी शहर विश्व स्वास्थ संगठन के वायु गुणवत्ता मानक (२० माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर औसत) को पूरा नहींकरते । वही ८० शहर सीपीसीबी के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक (६० एमजी प्रति घनमीटर औसत) को भी पूरा नहीं करते ।
ग्रीनपीस के सीनियर कैपेनर सुनील दहिया कहते है कि भारत मेंकुल जनसंख्या के सिर्फ १६ प्रतिशत लोगों को वायु गुणवत्ता का रियल टाइम आंकड़ा उपलब्ध है । यहां तक कि जिन ३०० शहरों में वायु गुणवत्ता के आंकड़े मैन्यूअल रुप से एकत्र किये जाते है । का मानकों पर खरा उतरना यह दर्शाता है कि ठोस कार्ययोजना का अभाव है ।
सबसे ज्यादा बच्चे उत्तरप्रदेश, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र और दिल्ली में वायु प्रदूषण से प्रभावित है । इन राज्यों में लगभग १ करोड़ २९ लाख बच्चे रह रहे है जो पांच साल से कम उम्र के है और प्रदूषित हवा की चपेट में है । 
दिल्ली वायु प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित शहर बना हुआ है, जहां का औसम पीएम१० स्तर राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानको से पांच गुना अधिक है । औसम पीएम१० स्तर दिल्ली में २९० माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तो वहीं फरीदाबाद, भिवाड़ी, पटना क्रमश: २७२, २६२ और २६१ माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर है । सारे देश की स्थिति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है । ***

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