सोमवार, 18 मार्च 2019

कविता
पानी है अनमोल 
डॉ. अर्चना रानी वालिया

पानी है अनमोल, मोल सब, इसका जानो रे । 
बिन पानी सब सून-सून, सब सच्ची मानो रे ।।
पानी है अनमोल ।।
उत्तर से दक्षिण तक हर सागर है खारा जल,
जीवन जल से होता जाता खाली भू-अँचल । 
पानी पर कल विश्वयुद्ध की रक्खी नींव गयी तो,
उसका ही भूजल होगा, जिसके भुज है बल ।। 
पानी है अनमोल ।।
जल ही जग का जीवन लेकिन मोल न समझा भैया,
धरती का जल पीकर चलता प्रगति वाला पहिया । 
बूँद-बूँद को सफल सृष्टि कल तरसेगी रे हाय,
कहे सूखती झीलें, नदियें, कुइया, ताल तलैया ।।
पानी है अनमोल ।।
बादल जब-जब, घिर-घिर आवै, मीठा जल बरसावै,
बारिश वाला अमृत - जल क्यों, वाहक व्यर्थ गवावैं । 
उठो कि भूजल भंडारण, संरक्षण की ले कसमें,
जितना धरती को लौटावै, उतना तू कल पावैं ।।
पानी है अनमोल ।।

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