गुरुवार, 19 जनवरी 2017

सम्पादकीय
प्रकृति का शोषण बंद करना होगा 
 प्रसिद्ध भौतिकविद् स्टीफन हॉकिंग का कहना है कि मानव जाति अपने इतिहास में आज सबसे अधिक खतरनाक वक्त का सामना कर रही है । विश्व की आबादी लगातार बढ़ रही है और प्राकृतिक संसाधन खत्म हो रहे है । पर्यावरण नष्ट हो रहा है । प्रकृति के साथ सन्तुलन बनाने वाले वन्य जीवों की प्रजातियां लुप्त् हो रही है । 
वैज्ञानिक बताते हैं कि दस हजार साल पहले तक धरती पर महज कुछ लाख इंसान थे । १८वीं सदी के आखिर में आकर धरती की आबादी ने सौ करोड़ का आंकड़ा छुआ था । १९२० में धरती पर दो सौ करोड़ लोग हुए । आज दुनिया की आबादी सात अरब से ज्यादा है । साल २०५० तक यह आंकड़ा करीब दस अरब और २२वीं सदी के आते-जाते धरती पर      ११ अरब इंसान होने का अनुमान जताया जा रहा है । 
हम जिस तकनीकी और प्रौघोगिकी विकास का गुणगान करते हैं, वह हमारे नियंत्रण में नहीं है, इसीलिए स्टीफन कहते हैं कि हमारे पास अपने ग्रह को नष्ट करने की प्रौघोगिकी है, लेकिन इससे बच निकलने की क्षमता अब तक हमने विकसित नहीं की है । 
वैज्ञानिक स्टीफन ने प्रकृतिके साथ लगातार किए जा रहे खिलवाड़ को लेकर जो चेतावनी जारी की है, उस पर पूरी दुनिया को तत्काल अमल करने की जरूरत है, ताकि विकास की अंधी दौड़ में हम इंसानी बस्तियों को कब्रिस्तान में बदलने की आदत से बाज आएं । साथ ही इंसानों को अपनी जीवनशैली में तत्काल बदलाव करने की भी जरूरत है । 
प्रकृति के जबरदस्त दोहन के परिणाम पहले भी हमारे सामने आते रहे हैं । कही बाढ़, कहीं सूखा तो कहीं भूकंप की त्रासदी से हमारा सामना होता ही रहता है । ये आपदाएं हमारे लिए सबक के समान ही है । धरती पर मानव सभ्यता को दीर्घजीवी बनाने के लिए मानव को अपनी जीवनशैली में तत्काल बदलाव लाने की जरूरत है । 

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