रविवार, 16 अप्रैल 2017

प्रसंगवश   
प्रदूषण पर सरकार को सख्त होना होगा
    पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने बीएस३ वाहनों की ब्रिकी व पंजीयन पर रोक लगाने के आदेश दिए है । देश में इससे वाहनजन्य प्रदूषण में कमी जरूर आएगी । वैश्विक व राष्ट्रीय स्तर के अध्ययन दर्शाते है कि औसत वायु प्रदूषण में ५० प्रतिशत से ज्यादा भागीदारी वाहनों की होती है । शहरों में वायु की गुणवत्ता भी ३० प्रतिशत से ज्यादा वाहन प्रदूषण से प्रभावित होती है । वायु प्रदूषण के संदर्भ में म.प्र. व छग की स्थिति अच्छी नहीं है । दो-तीन वर्ष पूर्व विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक अध्ययन में बताया था कि दुनिया के दस सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में मध्यप्रदेश का ग्वालियर व छग का  रायपुर भी शामिल है, जबकि खतरनाक माने जाने वाले पीएम-१० कणों की वार्षिक औसत भोपाल, इन्दौर एवं ग्वालियर में ज्यादा थी । केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की रिपोर्ट कहती है कि वर्ष २०१६ में ग्वालियर में २२७ दिन वायु जहरीली बनी रही ।
    वर्ष २०१६ के अंत में मध्यप्रदेश सरकार ने १५ वर्ष पुराने व्यावसायिक वाहनों पर जो प्रतिबंध लगाया था, उसे सख्ती से लागू करें । दोनों प्रदेश अपने ज्यादातर शहरों में बीएस-४ डीजल एवं पेट्रोल की उपलब्धता बढाएं, ताकि वाहन प्रदूषण कम हो । प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के भोपाल मुख्यालय ने भी वर्ष २०१५ में पेट्रोलियम मंत्रालय को बीएस-४ ईधन उपलब्ध कराने हेतु लिखा था । फिलहाल देश के केवल १७ शहरों में बीएस-४ ईधन का वितरण हो रहा है । इनमें म.प्र.-छग का एक भी शहर नहीं है ।
    निजी वाहनों के सीमित प्रयोग व सस्टेनेबल पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम  की व्यवस्था बढ़ाई जानी चाहिए । पेट्रोल की तुलना में डीजल वाहन सात गुना अधिक प्रदूषण फैलाते है, अत: उनकी संख्या घटाना बहुत जरूरी है ।  सीएनजी, विघुत चलित वाहनों के उपयोग को भी प्रोत्साहन मिले । प्रदूषण के प्रति जनप्रतिनिधि भी जागरूक हो व समय-समय पर प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों की जानकारी शासन-प्रशासन से लेते रहें । सरकारी विभाग प्रदूषण नियंत्रण की जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाऐगे तभी तस्वीर बदल सकेगी ।
                              

जयंती के अवसर पर सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई । आज हनुवंतिया में माँ नर्मदा की पूजा-अर्चना एवं आरती करने के बाद कैबिनेट की बैठक में मध्यप्रदेश के विकास की योजनाआें के संबंध में निर्णय लेकर आध्यात्मिक शांति की अनुभूति हुई है ।
    विश्व की सभी प्राचीन सभ्यताएँ नदियों के तट पर ही विकसति हुई  है । नर्मदा घाटी भी इसका अपवाद नहीं है । नर्मदा घाटी का सांस्कृतिक इतिहास  गौरवशाली रहा है । माँ नर्मदा का आसपास की धरती को समृद्ध बनाने में बहुत योगदान रहा है । नर्मदा नदी को मध्यप्रदेश की जीवन-रेखा कहा जाता है । माँ नर्मदा को भारतीय संस्कृृति में मोक्षदायिनी, पापमोचिनी, मुक्तिदात्री, पितृतारिणी और भक्तों की कामनआें की पूर्ति वाले महातीर्थ का भी गौरव प्राप्त् है ।
    मुझे इस बात प्रसन्नता है कि आज नमामि देवि नर्मदे-नर्मदा सेवा यात्रा अभियान एक जन आंदोलन बन गया है । सभी लोग बड़े उत्साह और उमंग के साथ दुनिया के सबसे बड़े नदी संरक्षण अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं ।
    माँ नर्मदा भविष्य में प्रदूषित न हो इसलिये हमने फैसला लिया है कि १५ शहरों के दूषित जल को नर्मदा मेंनहीं मिलने देंगे । इसके लिये हम १५०० करोड़ रूपये की राशि से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लान्ट लगा रहे हैं । नर्मदा नदी के तट के सभी गाँवों और शहरों को खुले में शोच से मुक्त किया जायेगा । नर्मदा नदी के दोनों और बहने वाले ७६६ नालों के पानी को नर्मदा में जाने से रोकने से सुनियोजित प्रयास किये जायेगे । नदी के दोनों ओर हम सघन वृक्षारोपण करेंगे ताकि नर्मदा में जल की मात्रा बढ़ सके । नर्मदा के तट पर स्थित गाँवों और शहरों में ५ कि.मी. की दूरी तक शराब की दुकानें नहीं होगी । सभी घाटों पर शवदाह गृह, स्नानागार और पूजा सामग्री विसर्जन कुण्ड बनाये जायेगे ताकि माँ नर्मदा को पूर्णत: प्रदूषण रहित रखा जा सके । मेरे विचार से हमें नदियों के महत्व को समझते हुए पूरी दूनिया में नदियों को बचाने के लिये लोगों को जागरूक करना चाहिये ।

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