मंगलवार, 16 मई 2017

पर्यावरण समाचार
    विश्व स्वच्छ पर्यावरण शिखर सम्मेलन ५ एवं ६ जून २०१७ को नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सभागार में भारतीय पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण संस्थान, नई दिल्ली तथा पर्यावरण डाइजेस्ट मासिक पत्रिका के संयुक्त तत्ववाधान में आयोजित किया गया है जिसका प्रायोजन राष्ट्रीय स्वच्छता शिक्षण एवं शोध संस्थान तथा भारतीय विश्वविघालय परिसंघ द्वारा किया जायेगा ।
    इस संबंध में भारतीय विश्वविघालय परिसंघ के कुलाध्यक्ष डॉ. प्रिय रंजन त्रिवेदी तथा पर्यावरण डाइजेस्ट के संपादक डॉ. खुशालसिंह पुरोहित ने संयुक्त प्रेस विज्ञिप्त् के माध्यम से बताया कि पर्यावरण डाइजेस्ट मासिक पत्रिका के ३० वर्ष पूरे होने पर यह कार्यक्रम विशेष रूप से नई दिल्ली मेंआयोजित  किया गया है, जिसमें ५ एवं ६ जून २०१७ को देश-विदेश के प्रतिभागी सम्मिलित होंगे तथा इस शिखर सम्मेलन के मुख्य विषय : स्वच्छ भारत के लिए स्वच्छ पर्यावरण पर विस्तार से चर्चा होगी ।
    ज्ञातव्य है कि इस अवसर पर १५ चुने हुए देशों के राजदूत तथा उच्चयुक्त भाग लेकर अपने-अपने देशों में स्वच्छता आंदोलन संबंधी प्रयासों पर प्रकाश डालेंगे ।
    इस अवसर पर कौशल विकास के माध्यम से स्वच्छता के क्षेत्र में रोजगारमूलक शिक्षा पर बल देते हुए पर्यानुकूलित उद्यमिता विकास के क्षेत्र में विशेष प्रशिक्षण संबंधी नीतियों पर एक पुस्तक का लोकार्पण ६ जून २०१७ को शिखर सम्मेलन के समापन सत्र में भारत सरकार के मंत्री एवं वरिष्ठ अधिकारी भाग    लेगें । 
    इस अवसर पर प्रायोजकों की ओर से डॉ. उत्कर्ष शर्मा, निदेशक, राष्ट्रीय स्वच्छता शिक्षण एवं शोध संस्थान ने बताया कि उनकी संस्था द्वारा प्रकाशित स्वच्छता शिक्षण एवं शोध विश्वकोश के बारे में भारत सरकार तथा राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के अतिरिक्त सभी विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों के अधिकारियों को इस अवसर पर आमंत्रित कर उन्हें स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने हेतु अनौपचारिक तथा औपचारिक रूप से प्रबोधित किया जायेगा । इस अवसर पर पर्यावरण शिक्षण, आपदा प्रबंधन, प्रतिपालनीय विकास, स्वच्छता तथा संबंधित क्षेत्रों में कार्यरत विद्वानों, नीति-निर्धारकों, पत्रकारों, वैज्ञानिकों तथा उद्यमियों को सम्मानित किया जायेगा ।
    भारतीय पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण संस्थान की स्थापना नई दिल्ली में ५ जून १९८० को तब हुई थी जब भारतवर्ष में कोई पर्यावरण मंत्रालय नहीं था । इसी संस्थान ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर केन्द्र सरकार को प्रेरित कर पर्यावरण मंत्रालय की स्थापना संबंधी प्रस्ताव पारित करवाते हुए एक कीर्तिमान स्थापित करते हुए सफलता हासिल की । । पिछले ३७ वर्षो में संस्थान ने लगभग दो लाख व्यक्तियों को पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में स्नातकोत्तर स्तर पर प्रशिक्षित कर प्रदूषण नियंत्रक के क्षेत्र में वैज्ञानिकों का एक विशेष बल तैयार करने में सफलता हासिल की है ।     पर्यावरण विषय पर भारत की पहली हिन्दी राष्ट्रीय मासिक के रूप में पर्यावरण डाइजेस्ट का प्रकाशन जनवरी १९८७ से नियमित हो रहा है ।
    आयोजकों के अनुसार इस ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन में लिए गये निर्णयों को विश्व के सभी देशों की सरकारों को सूचित किया जायेगा ताकि पर्यावरण संरक्षण संबंधी नीति-निर्धारण करने में उन्हें आसानी हो ।
गांधी जहां पढ़े थे, १६४ साल बाद बंद हुआ वह स्कूल
    राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े उनकी विद्यालयीन शिक्षा के आधार स्तम्भ अलफ्रेड हाई स्कूल को राजकोट प्रशासन ने म्यूजियम बनाने के लिए इस १६४ साल पुराने स्कूल को बंद कर दिया है । यह वही स्कूल है जहां से १८८७ में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी १८ साल की उम्र में पढ़कर निकले थे । इस स्कूल को मोहनदास गांधी स्कूल के नाम से भी जाना जाता है ।
    गुजराती माध्यम वाले इस सरकारी स्कूल को म्यूजियम में बदलने के राजकोट नगर निगम के प्रस्ताव को गुजरात सरकार ने पिछले साल ही मंजूरी दी थी । स्कूल प्रशासन ने सभी १२५ छात्रोंको स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र जारी करना शुरू कर दिया है ।
    जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि अब ये छात्र अगले शैक्षणिक सत्र के लिए किसी भी स्कूल में प्रवेश ले सकते है ।

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