मंगलवार, 16 मई 2017

प्रसंगवश   
शुभ सन्देश
डॉ. शिवगोपाल मिश्र, संपादक विज्ञान, प्रधानमंत्री विज्ञान परिषद् प्रयाग

    यूं तो हिन्दी में विज्ञान विषयक पत्रिकाआें की कमी बताई जाती है किन्तु साथ ही यह देखकर प्रसन्नता होती है कि कुछ विज्ञान पत्रिकाएँ प्रतिकुल परिस्थितियों में भी लगातार प्रकाशित होती आ रही है । संभवत: पर्यावरण डाइजेस्ट भी ऐसी ही पत्रिका है । यह एक मासिक लघु आकार की मासिक पत्रिका है जिसमें पर्यावरण विषयक प्रचुर सामग्री रहती है जो छोटे बड़े मौलिक लेखों के अलावा कविताआें एवं संक्षिप्त् सामयिक वैज्ञानिक सूचनाआें से संपृक्त रहती है । यह पत्रिका अपने नाम पर्यावरण डाइजेस्ट को पूरी तरह चरितार्थ करती है । हिन्दी - अंग्रेजी का मिश्रण है जिसमें डाइजेस्ट अंग्रेजी है । मुझे स्मरण हो आता है नवनीत नामक हिन्दी डाइजेस्ट पत्रिका का । उसने कितनी ख्याति अर्जित की । उसी तरह पर्यावरण डाइजेस्ट निरन्तर ख्याति - अभिमुख होती जा रही है । बिना किसी भेदभाव में उसमें लेख प्रकाशित होते है, सामयिक उपयोगी सामग्री अन्य स्त्रोंतों से भी ली जाती   है ।
    पर्यावरण डाइजेस्ट के सम्पादक डॉ. खुशालसिंह पुरोहित बहुत ही कर्मठ एवं कार्यकुशल व्यक्ति है । वे मध्यप्रदेश के एक छोटे से शहर रतलाम से विगत ३० वर्षो से इसका सम्पादन करते आ रहे है । यह कोई छोटी अवधि नहीं है । डॉ. पुरोहित की लगन और निष्ठा से ही यह पत्रिका प्रगति के पथ पर है ।
    इस पत्रिका में स्थायी स्तंभ, प्रसंगवश, पर्यावरण परिक्रमा, ज्ञान-विज्ञान और पर्यावरण समाचार के अन्तर्गत पर्यावरण के क्षेत्र में हो रही नित नवीन हलचलों का समावेश रहता है । भाषा के मामले में यह पत्रिका उदार है । पारिभाषिक शब्दों को लेकर उलझती नहीं, फलत: सर्वसाधारण को भी समझने में कठिनाई नहीं आती ।
    मैं इस पत्रिका का प्रारंभ से ही पाठक रहा हॅू । मैं विज्ञान परिषद् परिवार की ओर से पर्यावरण डाइजेस्ट के ३० वर्ष पूरा होने पर बधाई देता हॅू तथा कामना करता हॅू कि यह निरन्तर प्रगति करती रहे । 

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