सोमवार, 19 जून 2017

पर्यावरण समाचार
बिजली चोरी ज्यादा बता असलियत छुपाती है सरकार
देश में बिजली की छीजत के लिए चोरी को जिम्मेदार बताने वाली राज्य सरकारें जनता से असलियत को छुपा रही है ।
असल में छीजत में बड़ा हिस्सा चोरी का नहीं बल्कि विद्युत वितरण तंत्र का है । तंत्र का डिजाइन इस तरह का है कि उत्पादन गृह से उपभोक्ता के घर अथवा फैक्ट्री तक आते-आते बिजली का बड़ा हिस्सा ११ केवी के पुरानी तकनीक वाले फीडर, ट्रांसफार्मर तथा इंसूलेटर के साथ ही एलटी लाइन खा जाती हैं । 
तंत्र की तकनीकी खामियों का ही नतीजा है कि जहां जापान और जर्मनी में मात्र तीन फीसदी छीजत में रह जाती है, वहीं भारत में यह आंकड़ा २५ प्रतिशत से ऊपर है । ऊर्जा और काम करने वाली संस्था टेरी की ओर से बिजली प्रसारण तथा आपूर्ति में होने वाली हानियों पर हुए अध्ययन के मुताबिक देश में बिजली चोरी बड़ी समस्या तो है, लेकिन छीजत का कारण पुरानी तकनीक का उपयोग है । 
अध्ययन में कहा गया है कि देश में उत्पादन केन्द्रों से वितरण के लिए एचटी और एलटी लाइनों के जरिए सब स्टेशनों तक आते-आते बिजली में ७ फीसदी की छीजत हो जाती है । 

नए बैक्टीरिया को डॉ. कलाम का नाम 
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने नए खोजे गए बैक्टीरिया को सोलीबैकिलस कलामी का नाम देकर भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को अनोखी श्रद्धांजलि दी है । अब तक यह नया सूक्ष्म जीव सोलीबैकिलस इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन में ही पाया जाता था । यह पृथ्वी पर नहीं था । यह बैक्टीरिया ऐसे फिल्टर पर पाया गया, जो स्पेश स्टेशन में ४० महीने तक रहा । यह फिल्टर अंतरराष्ट्रीय स्पेश स्टेशन की स्वच्छता प्रणाली का हिस्सा है । इस फिल्टर का जेपीएल (जेट प्रोपल्शन लैब) में विश्लेषण किया गया । इस खोज को लैब के वरिष्ठ अनुसंधान वैज्ञानिक डॉ. कस्तूरी वेंकटस्वर्ण ने इसी साल इंटरनेशनल जर्नल ऑफ सिस्टमेटिक एंड एवोल्यूशनरी में प्रकाशित किया है । 

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