सोमवार, 16 अक्तूबर 2017

कविता
पक्षी और बादल 
रामधारी सिंह दिनकर

पक्षी और बादल, 
ये भगवान के डाकिये है,
जो एक महादेश से 
दूसरे महादेश को जाते हैं । 

हम तो समझ नहीं पाते हैं,
मगर उनकी लायी चिटि्ठयों
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बॉचते हैं । 

हम तो केवल यह आंकते है
कि एक देश की धरती 
दूसरे देश को सुगन्ध भेजती है । 

और वह सौरभ हवा में तैरती हुए
पक्षियों की पांखों पर तिरता है । 
और एक देश का भाप
दूसरे देश का पानी
बनकर गिरता है ।

कोई टिप्पणी नहीं: