सोमवार, 16 अक्तूबर 2017

सम्पादकीय 
दुनिया में दो अरब लोग साफ पानी से वंचित 
दुनिया के सामने आतंकवाद, बेरोजगारी के अलावा भी बहुत बड़ी परेशानी खड़ी हो रही है । वह परेशानी है साफ पानी की । बीते दिनों संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने कहा कि दुनिया में सभी क्षेत्रों में पानी को लेकर तनाव बढ़ रहा है । 
संरा के १९३ सदस्य देशों में से एक चौथाई अपने पड़ोसी देशों की नदियों या झीलों के पानी को साझा करते हैं । इसलिए यह जरूरी है कि राष्ट्र पानी के बंटवारे और दीर्घकालिक इस्तेमाल को सुनिश्चित करने के लिए सहयोग करें । यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि २०५० तक समूची दुनिया में साफ पानी की मांग ४० फीसदी तक बढ़ जाएगी । उन्होंने चेतावनी दी कि दुनिया की आबादी का एक चौथाई हिस्सा ऐसे देशों में रहेगा जहां साफ पानी की बार-बार कमी होगी । 
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया के दो अरब लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिलता जिससे उन्हें हेजा, आंत्रशोध आदि जानलेवा बीमारियों के होने का खतरा रहता है । 
पानी की मांग में हो रही बेतहाशा बढ़ोत्तरी, भूमिगत जल के स्तर में कमी लाने वाली कृषि पद्धतियां, उसका प्रदूषित होना और योजनाआें के अभाव के चलते पानी की उपलब्धता का प्रभावित होतीहै । 
देश के नौ राज्यों जिनमें बिहार, गुजरात, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, झारखंड और उत्तरप्रदेश की तकरीबन १३९५८ बस्तियां शामिल हैं, जिनका भू-जल प्रदूषित है । सन् १९५७ में योजना आयोग के अनुसार देश में २३२ गांव बेपानी थे, लेकिन आज उनकी तादाद तकरीबन दो लाख से भी ज्यादा है । 

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