गुरुवार, 15 मार्च 2018

स्वास्थ्य
नशे के विरुद्ध सजगता जरुरी
भारत डोगरा
शराब से होने वाली स्वास्थ्य व समाज की क्षति के बारे मेंनए अनुसंधान से ऐसी जानकारियों मिली हैं जिनसे शराब के नशे को न्यूनतम करने की मांग विश्व स्तर पर अधिक मजबूत हो रही है ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की शराब व स्वास्थ्य स्टेट्स रिपोर्ट २०१४ के अनुसार वर्ष २०१२ मेंशराब से ३३ लाख मौतें हुई । विश्व में होने वाली सभी मौतों में से ५.९० प्रतिशत मौतें शराब के कारण हुई - पुरुषों के संदर्भ में७.६ प्रतिशत तथा महिलाआें के संदर्भ में४ प्रतिशत । वर्ष २०१२ में बीमारियों व चोटों का जितना बोझ था, उसमें से ५.१ प्रतिशत शराब के उपयोग के कारण था ।
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि २०० तरह की बीमारियोंव चोटों में शराब का हानिकारक उपयोग एक कारण है । लिवर सिरोसिस व कैंसर में शराब एक महत्वपूर्ण कारण है ।
नशीली दवाआें, एल्कोहोल व एडिक्टिव बिहेवियर के विश्वकोश के अनुसार जानलेवा सड़क दुर्घटनाआें में से ४४ प्रतिशत में एल्कोहल की भूमिका पाई गई है । ड्राइवर ने शराब पी हुई हो तो दुर्घटना की संभावना ३ से १५ गुना बढ़ जाता है । दुर्घटना में मरने वाले ५० प्रतिशत तक मोटर साइकिल चालक शराब के नशे में पाए गए है ।
इसी विश्वकोश के अनुसार घरो में होने वाली दुर्घटनाआें में से २३-३० प्रतिशत तक में एल्कोहल की भूमिका होती है । आग लगने व जलने की ४६ प्रतिशत दुर्घटनाआें में एल्कोहल की भूमिका देखी गई है ।
कुछ वर्ष पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक अन्य रिपोर्ट तैयार करवाई थी जिसे हिंसा व स्वास्थ्य पर विश्व रिपोर्ट (हिंस्व रिपोर्ट)का शीर्षक दिया गया था । इस रिपोर्ट में बताया गया है कि डिप्रेशन या अवसाद के लिए भी एल्कोहल एक महत्वपूर्ण कारक है । हिंस्व रिपोर्ट के अनुसार एल्कोहल व नशीली दवाआेंके दुरुपयोग की आत्महत्या मेंभी एक महत्पपूर्ण भमिका है । संयुक्त राज्य अमेरिका में चार में से कम से कम एक आत्महत्या में एल्कोहल की भूमिका रिपोर्ट की गई है ।
हिंसा, अपराध व नज़दीकी रिश्ते या सम्बंध टूटने के रुप मेंभी शराब के बहुत गंभीर सामाजिक दुष्परिणाम होते है । कुछ अध्ययनोंने शराब के इन सामाजिक दुष्परिणामों की आर्थिक कीमत लगाने का प्रयास किया है जिससे पता चलता है कि शराब के सामाजिक दुष्परिणाम कितने महंगे पड़ते है ।
हिंस्वरिपोर्ट ने घरेलू हिंसा पर अनेक अध्ययनों के आधार पर बताया है  जो महिलाएं अधिक शराब पीने वालोंके साथ रहती है उनके खिलाफ पति या पार्टनर की हिंसा की संभावना कही अधिक होती है । इसी रिपोर्ट के अनुसार इन अध्ययनोंमें यह भी बताया गया है कि जब शराब पीने वाले या पी रहे व्यक्ति हिंसा करते है तो उनके द्वारा की गई हिंसा अधिक भीषण होती है ।
वर्ष २००६ में संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए शराब के सामाजिक दुष्परिणामोंकी कीमत २३३ अरब डालर और दक्षिण अफ्रीका के लिए वर्ष २००९ मेंशराब के सामाजिक दुष्परिणामोंकी कीमत ३०० अरब रैंड लगाई गई जो कि सकल राष्ट्रीय उत्पाद के १० से १२ प्रतिशत के बराबर थी ।
शराब उद्योग से बहुत बड़े पैमाने पर पर्यावरण की तबाही व ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन होता है । अनेक जल-स्त्रोत व छोटी नदियां बुरी तरह प्रदूषित होते है । प्रदूषण व दुर्गंध की वजह से आसपास रहने वाले लोगों का जीना कठिन हो जाता है । पानी का अपव्यय होता है वह अलग । इकॉनॉमिस्ट पत्रिका ने लिखा है कि एक लीटर वाइन बनाने में ९६० लीटर पानी खर्च होता है ।
शराब के उद्योग का कच्चा माल प्राप्त् करने के लिए काफी सारी उपजाऊ भूमि को जरुरी खाद्य फसलोंके उदाहरण से हटाया जाता है व बहुत सारा सिंचाई का पानी भी इसी तरह खाद्य फसलोंसे हटाया जाता है इसके अलावा, कुछ खाद्योंका उपयोग पोषण की जगह नशे के लिए किया जाता है क्योंकि उससे ज्यादा मुनाफा मिलता है ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्टेटस रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्व में प्रति व्यक्ति एल्कोहल उपयोग बढ़ रहा है तथा यह वृद्धि मुख्य रुप से चीन व भारत में शराब के उपयोग में वृद्धि के कारण हो रही है । इसके लिए एक कारण यह है कि शराब उद्योग द्वारा शराब की बिक्री बढ़ाने के लिए अधिक ज़ोर लगाया जा रहा है । हालांकि इस समय प्रति व्यक्ति शराब की खपत संयुक्त राज्य अमेरिका व यूरोप के धनी देशो मेंसबसे अधिक है, पर वृद्धि की दर चीन व भारत में अधिक है ।
उपरोक्त तथ्यों के मद्देनजर, यह बहुत ज़रुरी है कि शराब के उपयोग को न्यूनतम करने के लिये अधिकतम प्रयास किए जाएं । ***

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