शुक्रवार, 18 जनवरी 2019

पर्यावरण परिक्रमा
मध्यप्रदेश के बाघ अब ओडिशा नहीं भेजे जाएंगे 
मध्यप्रदेश के बाघ अब ओडिशा नहीं भेजेजाएंगे। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की आपत्ति के बाद केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नेबाघों के स्थानांतरण पर रोक लगा दी है । सरकार ने पिछले दिनों लोकसभा में इसकी घोषणा की। 
बाघ पुनर्स्थापन परियोजना के तहत चार और बाघ ओडिशा कोदिए जानेथे, इन्हेंबाघ विहीन होचुके वहां के सतकोसिया टाइगर रिजर्व मेंछोड़ा जाना था । इससेपहलेबाघ बाघिन के जोड़े कोवहां भेजा गया था । यह कदम कान्हा नेशनल पार्क सेसतकोसिया भेजेगए बाघ महावीर की संदिग्ध मौत के बाद उठाया गया है । 
मानव संघर्ष के कारण बाघ महावीर के साथ मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ नेशनल पार्क सेभेजी गई बाघिन संुदरी कोबाड़े में कैद कर दिया गया था । ओडिशा के वन विभाग नेमहावीर पर हमला किए जानेकी आशंका जाहिर की थी । इसके बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की टीम नेसतकोसिया का दौरा कर माना कि वहां बाघ पुनर्स्थापन के लिए उचित माहोल नहीं है । मध्यप्रदेश और ओडिशा सरकार नेजल्दबाजी में निर्णय लेकर बाघ-बाघिन का जीवन संकट में डाल दिया । इसके लिए उचित पैमानों का पालन नहीं किया गया । एनटीसीए की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नेइस परियोजना कोस्थगित करनेके आदेश जारी कर दिए । 
केंद्र सरकार नेमाना कि सतकोसिया टाइगर रिजर्व में बाघ पुनर्स्थापन कोलेकर वहां के समुदाय की भागीदारी नहीं है । सांसद नागेंद्र प्रधान द्वारा लोकसभा में उठाए गए सवाल के जवाब में केंद्रीय वन व जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री डॉ. महेश शर्मा नेयह भी माना कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के परामर्श का पालन नहींकिया गया था । इसीलिए बाघों के स्थानांतरण पर रोक लगा दी गई है । 
वन्य जीव संरक्षण के लिए काम करनेवालेअजय दुबेनेकहा, एनटीसीए की आपत्ति और केंद्र के फैसलेसेहमारेरूख की पुष्टि हुई है । उन्होंनेकहा कि हम शुरू सेही सतकोसिया की असुरक्षा कोलेकर मध्यप्रदेश सेबाघ स्थानांतरित किए जानेका विरोध कर रहेथे, लेकिन मध्यप्रदेश सेराज्यसभा सदस्य और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के दबाव में सरकार नेबाघ के जोड़े सतकोसिया भेज दिए । दुबेनेकहा, आगेबाघ नहीं भेजेजाएंगे, यह तोठीक है लेकिन महावीर और संंुदरी के साथ जोहुआ है, उनके दोषियों कोसामनेलानेतक चुप नहीं रहेंगे। 
संकट में है, राजस्थान का राज्य पक्षी 
राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण इस कदर संकट में हैं कि इसकी जगह राज्य पक्षी के लिए नया परिंदा खोजना पड़ सकता है । शिकार और आवास क्षेत्र उजड़नेके कारण अब इसकी संख्या महज १०० रह गई है । बचानेका प्रभावी प्रयास नहींकिया गया तोवह दिन दूर नहीं जब थार का यह सबसेखूबसूरत और शर्मीला सा पक्षी लुप्त् होजाएगा और राजस्थान कोराज्य पक्षी का दर्जा देनेके लिए किसी और पक्षी की तलाश करनी होगी ।  तीन मुख्य वन्य जीव संरक्षण संगठनों नेएक आनलाइन याचिका अभियान शुरू किया है । इसमें देश के बिजली मंत्री सेमांग की जा रही है कि जिन इलाकों में गोडावण का बसेरा है वहां सेगुजरनेवाली बिजली के उच्च् शक्ति तारों कोभूमिगत किया जाए । 
कई साल गुजरनेके बाद भी न तोहेचरी (नियंत्रित परिस्थितियों में दुर्लभ प्रजातियों का प्रजनन) बन पाई है और न ही रामदेवरा में अंडा संकलन केंद्र अस्तित्व में आ सका है । गैर सरकारी संगठनों सेमिलेबर्ड डायवर्टर बिजली कंपनियों के गोदामोंमें धूल फांक रहेहैं । सबसेवजनी पक्षियों में सेएक ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के नाम सेपुकारा जानेवाला यह परिंदा आईयूसीएन की दुनिया भर की संकटग्रस्त प्रजातियों की रेड लिस्ट में  गंभीर रूप सेसंकटग्रस्त  पक्षी के तारैर पर दर्ज है । गोडावण बचानेके लिए काम कर रहेडॉ. सुमित डूकिया के अनुसार अब ज्यादा सेज्यादा १५० गोडावण बचेहैं जिनमें १२२ राजस्थान में और २८ पड़ोसी गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा आंंध्र प्रदेश में हैं । गोडावण पक्षी के संरक्षण व बचाव के लिए जून २०१३ में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत नेप्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड शुरू किया था । लेकिन इसके कुछ ही महीनेबाद ही उनकी सरकार चली गयी और मामला ठंडे बस्तेमें चला गया । 
शिकारियों के अलावा इस पक्षी कोसबसेबड़ा खतरा विशेष रूप सेराजस्थान के सीमावर्तीइलाकों में लगी विंड मिलों के पंखों और वहां सेगुजरनेवाली हाइटेंशन तारों सेहै । गोडावण की शारीरिक रचना इस तरह की होती है कि वह सीधा सामनेनहीं देख पाता । शरीर भारी होनेके कारण वह ज्यादा ऊंची उड़ान भी नहीं भर सकता । ऐसेमें बिजली की तारें उसके लिए खतरनाक साबित होरही हैं । जैसलमेर के उप वन संरक्षक (वन्य जीव) अशोक महरिया के अनुसार बीतेलगभग १८ महीनेमेंगोडावण की मौत के पांच साबित मामलों में सेचार हिट के मामलेहैं । 
विज्ञापन भ्रामक होने पर सेलिब्रिटिज पर कार्रवाई होगी 
भ्रामक विज्ञापन देनेवाली कंपनियों पर अब शिकंजाकसेगा । जोसेलिब्रिटी ऐसेविज्ञापन करेंगे, उनके खिलाफ भी कारवाई होगी । लोकसभा में लंबेसमय सेअटका उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, २०१८ पारित होनेके साथ ही इसका रास्ता साफ होगया । 
मौजूदा व्यवस्था के तहत यदि कोई कंपनी भ्रामक विज्ञापन देनेका दोषी पाई जाती है तोऐसी स्थिति में केवल कंपनी के खिलाफ कार्रवाई होती है, लेकिन ऐसेविज्ञापनोंमें शामिल सेलिब्रिटी पर कोई कार्रवाई का प्रावधान नहीं हैं । नए कानून में सेलिब्रिटी की भी जिम्मेदारी तय की गई है । ऐसा करनेसेऐसेविज्ञापनों की तादाद कम होसकती है । 
इस विधेयक में भ्रामक विज्ञापन के साथ मिलावटखोरी पर भी लगाम लगानेके प्रावधान है । इससेग्राहकोंके हितोंकी सुरक्षा होसकेगी । यह विधेयक जनवरी, २०१८ के दौरान लोकसभा मेंपेश किया गया था । इसमें प्रावधान है कि यदि कोई कंपनी भ्रामक विज्ञापन देनेके मामलेमें दोषी पाई जाती है तोपहली बार गलती करनेपर २ साल की जेल और १० लाख रूपए का जुर्माना लगाया जाएगा । यदि दूसरी बार गलती पाई गई तो५ साल की जेल और ५० लाख रूपए के जुर्मानेका प्रावधान है । हालांकि सेलिब्रिटी जेल की सजा के दायरेमेंनहीं आएंगे, लेकिन उन पर जुर्माना लगाया   जाएगा । 
वैसेसंसद की स्थायी समिति नेभ्रामक विज्ञापनों में दिखनेवालेसेलिब्रिटिज कोभी जेल की सजा की सिफारिश की थी, लेकिन इसमें केवलजुर्मानेका प्रावधान किया गया है । 
पहलेग्राहकों कोवहां जाकर शिकायत करनी होती थी, जहां सेउसनेसामान खरीदा होता था, लेकिन अब घर सेही शिकायत की जा सकेगी । इसके अलावा विधेयक मेंमध्यस्थता का भी प्रावधान है कि यदि जिला और राज्य उपभोक्ता फोरम उपभोक्ता के हित मेंफैसला सुनातेहैं तोआरोपी कंपनी राष्ट्रीय फोरम मेंनहीं जा सकती । इस प्रावधान के कारण मामलेलंबेसमय तक लटकनेसेबच जाएंगेऔर कंपनियां ऐसेविज्ञापनोंसेदूर रहेंगी ।  
तीन भारतीय अंतरिक्ष में ७ दिन रहेगे 
पिछलेदिनों भारत सरकार नेइसरोके महत्वाकांक्षी गगनयान प्रोजेक्ट के लिए १०,००० करोड़ रूपयेकी राशि आवंटित की है । इस मिशन के तहत तीन सदस्यीय क्रू कम सेकम सात दिन के लिए अंतरिक्ष की यात्रा पर जाएगा । केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस संबंध में बताया कि इस परियोजना पर १० हजार करोड़ रूपये की लागत आएगी । अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने वाला भारत दुनिया का चौथा देश होगा । 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेइसी साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गगनयान प्रोजेक्ट का ऐलान किया था । मोदी नेकहा था कि यह मिशन २०२२ तक पूरा होगा । इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट मेंमदद के लिए भारत नेरूस और फ्रांस के साथ करार दिए हैं । इसरोनेअगलेतीन साल में ५० सेअधिक मिशन पूरेकरनेका लक्ष्य रखा है । इसी के कारण सरकार नेअंतरिक्ष गतिविधियों के बजट में वृद़्धि की है । 
गौरतलब है कि पिछलेदिनों इसरोनेएक क्रू एस्केप मॉड्यूल यानी कैप्सूल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जिसेअंतरिक्ष यात्री अपनेसाथ लेजा सकेंगे। अंतरिक्ष यात्री दुर्घटना की स्थिति में कैप्सूल मेंसवार होकर पृथ्वी की कक्षा में सुरक्षित पहुंच सकतेहैं । इसरोनेइस मॉड्यूल कोखुद के दम पर विकसित किया है । 
गगनयान के यात्रियोंके चुनाव के लिए इसरोनेकाम शुरू कर दिया है । इसके लिए इसरोलोगों के मेडिकल चेकअप के साथ-साथ उनके साथ कुछ माइक्रो- बायोलॉजिकल प्रयोग कर रहा है । अंतरिक्ष मेंजानेसेपहलेहर व्यक्ति कोकई चरणों में टेस्ट पास करनेहोतेहैं । गगनयान के लिए भी इसरोएक व्यक्ति कोकम सेकम १० टेस्ट पर परखेगा । इस महत्कांक्षाी योजना पर हमारे देश के साथ ही विश्व की नजर बनी हुई है  ।           

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