मंगलवार, 15 सितंबर 2015

प्रसंगवश
सबके बच्च्े पढ़ेंगे, तभी सुधरेंगे हमारे सरकारी स्कूल
जीवनसिंह ठाकुर
इलाहबाद हाइ कोर्ट ने कहा है कि उत्तरप्रदेश के शासकीय अधिकारी व कर्मचारी अपने बच्चें को सरकारी स्कूलों में पढ़ाएं । न्यायालय का यह निर्णय देश की अंतरात्मा की आवाज भी है । शिक्षा के क्षेत्र में दो वर्ग स्पष्ट है - सरकारी तथा निजी । आज अच्छी शिक्षा के मायने ही यही हो गए हैं कि निजी (गैरसरकारी) संस्थाआें में शिक्षा दिलाई जाए । जब तमाम अच्छी या उच्च्स्तरीय शिक्षा के मानक गढ़ लिए गए हों, तो सरकारी स्कूल या संस्थाएं अपने आप दोयम दर्जे पर धकेल दी गई । शिक्षा के क्षेत्र मेंसभी ओर यह देखा जा रहा है कि सरकारी अफसर, कर्मचारी, पार्षद, विधायक, सांसद, मंत्री के बच्च्े सरकारी के बजाय प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं । स्वयं शाला प्रधानों, शिक्षकों के बच्च्े भी खुद उन्हीं के स्कूलोंके बजाय निजी विद्यालयों में अध्ययनरत हैं । इससे समाज में सरकारी स्कूलोंके प्रति उपेक्षा, हिकारत या खीझ का भाव पैदा हो गया है । जबकि हकीकत यह है कि सबसे ज्यादा शिक्षित-प्रशिक्षित, अनुभवी शिक्षक सरकारी स्कूलों में हैं । फिर क्या बात हैं ? यह बड़ा सवाल है। 
शिक्षा से जूड़े लोगों द्वारा पिछले तीस वर्षोंा में विद्यालयों में किए गए सर्वे से यह चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं कि सरकारी शालाआें को निजी स्कूलोंकी तुलना में अध्यापन हेतु बहुत कम दिन मिलते हैं । राष्ट्रीय स्तर पर यह तय है कि २१० दिन का अध्यापन होता होना चाहिए । निजी स्कूलोंमें तो ऐसा होता है, लेकिन सरकारी विद्यालयों में गैर-शिक्षकीय कार्योंा, मीटिंग, सर्वे, प्रशिक्षण, निरीक्षण तथा अन्य समस्याआें के चलते ५० से ७५ दिन ही उपलब्ध हैं । इस तरह शैक्षिक स्तर पर फर्क स्पष्ट सामने आता है । 
मप्र शासन हर वर्ष परीक्षा परिणामों निरीक्षण रिपोर्ट्स देखकर अफसोस करने की आदत बना चुका है । प्रदेश में बेहतर प्राचार्योंा, श्रेष्ठ शिक्षकों की फौज है । सवाल उन्हें ठीक से मौका देने का है । हमारे प्रदेश के उत्कृष्ट विद्यालय हैं । वे श्रेष्ठ शिक्षण, बेहतर परिणाम इसी सरकारी तंत्र में दे रहे हैं । यदि हमारे शासकीय अधिकारियों, श्रेष्ठि नागरिकों के बच्च्े सरकारी स्कूलोंमें दाखिल होंगे, तो इससे सामाजिक एकजुटता भी पैदा होगी और हमारे जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों का जुड़ाव संस्था से होगा । प्रदेश सरकार को गंभीरता से फैसला कर दूरगामी नीति तैयार करते हुए परिणाममूलक शिक्षा व्यवस्था बनानी होगी ।        

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