शुक्रवार, 18 मई 2018

पर्यावरण समाचार
युवाम ने हजारों समर्पित नौजवान तैयार किए
युवाम युवाआें में मौलिक गुणों का विकास कर उसे समाज और देश के निर्माण मेंसहभागी बनाने का महानतम कार्य कर रही है । जहां समाज ने शिक्षा को व्यापार बना दिया है, वहीं युवाम ने शिक्षा को सेवा से जोड़कर हजारों समर्पित नौजवान तैयार किए है । यह शत-प्रतिशत सही है कि युवाम का दूसरा उदाहरण नहीं है।
यह बात पर्यावरणविद् डॉ. खुशालसिंह पुरोहित ने कही । वे युवाम सभागृह में नि:शुल्क समर कैम्पके समापन पर मुख्य अतिथि के रुप में बोल रहे थे । युवाम द्वारा आयोजित १५ दिवसीय २७ वें नि:शुल्क करियर समर कैम्पके समापन पर अध्यक्षता करते हुए संस्थापक पारस सकलेचा ने कहा कि युवाम एक मिशन है । भगवान राम का, महावीर का, बुद्ध का, गुरुनानक देव का, युवाआें में संस्कार और चारित्रिक गुणों का विकास करना । कोचिंग क्लासेस तो उस मिशन को प्राप्त् करने का साधन मात्र है । दुख इस बात का है कि समाज में युवाम को मात्र कोचिंग क्लासेस ही समझा । विशेष अतिथि अग्रवाल युवा महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष नीलू अग्रवाल ने कहा कि युवाआें को युवाम का भरपूर लाभ लेना चाहिए । वे देश में जहां भी जाते है, जैसे ही रतलाम का नाम आता है, तो लोग युवाम के बारे मे पूछते है । प्रारंभ में अतिथि का स्वागत राहुल पाटीदार, प्रदीप राठौर, आदित्य तिवारी, टिंक्कल शर्मा, मयंक पंत, वरुण शर्मा आदि विद्यार्थियों ने समर कैम्पके अनुभव सुनाए । अभिमन्यु राठौर, तनीषा चौपड़ा, रचना चौधरी ने गीत प्रस्तुत किए । समर कैम्प के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताआेंमें विजय रहने पर आदित्य तिवारी, मयंक पंत, वरुण शर्मा, गौतम पंत, कुसुम, संदीप परमार को पुरस्कार प्रदान किए गए । संचालन पवन पंवार ने किया, आभार योगेश सेन ने माना । केम्प मेंअध्यापन कार्य गौरव परमार, पुष्पक गुप्त, शादाब अगवान आदि ने किया ।
अक्षय ऊर्जा पर निर्भर देश का पहला शहर बनेगा चंडीगढ़
चंडीगढ़ देश का पहला ऐसा शहर बनने जा रहा है जहां बिजली के रुप में रिन्यूएबल एनर्जी यानी अक्षय ऊ र्जा का शत प्रतिशत इस्तेमाल होगा । कोयले से बनी बिजली इस शहर के लिए बीते जमाने की बात होने जा रही है । फिलहाल यहां ७० प्रतिशत बिजली की पूर्ति अक्षय ऊ र्जा के रुप मेंहो रही है । साले के अंत तक इसे १०० प्रतिशत पर पहंुचाने का लक्ष्य है, जिसके बाद शहर पूरी तरह अक्षय ऊ र्जा पर निर्भर हो जाएगा ।
शहर के पांच मंजिला से अधिक के सभी भवनोंपर भी सोलर पैनल लगाना अनिवार्य कर दिया गया है । इसके लिए लोगोंको १६ मई तक का समय दिया गया है । सेक्टर -३९ के वाटर वर्क्स पर शहर का सबसे बड़ा सोलर प्रोजेक्ट लगाने को मंजूरी मिल गई है । शहर के सभी स्कूल व कॉलेजोंकी छतों पर सोलर पैनल लगाने का अधिकतर काम भी पूरा कर लिया गया है । चंडीगढ़ प्रशासन ने ५० मेगावॉट विंड एनर्जी (पवन ऊ र्जा) उपलब्ध कराने के लिए भी केंद्र सरकार को पत्र लिखा है । नवीन एवं अक्षय ऊ र्जा मंत्रालय (मिनीस्ट्री ऑफ न्यू एवं रिन्यूएबल एनर्जी, एमएनआरई) ने लक्ष्य को पूरा करने के लिए दिसंबर, २०१८ तक का समय दिया है । इस समय सीमा में चंडीगढ़ अपने आप को पूरी तरह बदल लेगा ।
चंडीगढ़ में बिजली की कुल खपत रोजाना ३५० से ४५० मेगावॉट तक पहुंच जाती है । इसमें २०२ मेगावॉट (जल विद्युत के रुप में) हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी से जेनरेट होकर आती है । ६० मेगावॉट (कोयले से ताप ऊ र्जा के रुप में) विभिन्न थर्मल प्लांट से जेनरेट होकर मिलती है । १६ मेगावाट (सौर ऊ र्जा के रुप में) सभी सरकारी इमारतों पर सोलर पैनल लगाकर तैयार की जा रही है । १० मेगावॉट (नाभिकीय ऊ र्जा के रुप में) न्यूक्लियर पॉवर स्टेशन से मिल रही है । चंडीगढ़ प्रशासन का लक्ष्य है कि सौर ऊ र्जा और पवन ऊ र्जा के जरिए पारंपरिक स्त्रोतों पर निर्भरता को पूरी तरह खत्म कर शहर को पर्यावरण हितैषी अक्षय ऊ र्जा पर पूर्ण निर्भर बना दिया जाए । एमएनआरई ने देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित देशों प्रदेशों से बिजली खपत और उसके स्त्रोत की जानकारी मांगी थी, इसमे चंडीगढ़ सबसे आगे रहा ।                                   ***

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