सोमवार, 19 सितंबर 2016

पर्यावरण समाचार
सरकार की आलोचना देशद्रोह नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सरकार की आलोचना करने पर किसी के खिलाफ देशद्रोह या मानहानि का केस नहींलगाया जा सकता । कोर्ट ने कहा - पहले दिए गए एक फैसले में स्पष्ट किया गया है कि भादवि की धारा १२४(ए) (देशद्रोह) लगाने के बारे में तय गाइडलाइन का पालन होना चाहिए । इस बारे में कोई नया आदेश जारी करने की जरूरत नहीं है । जस्टिस दीपक मिश्रा व जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने देशद्रोह मामलों में और कुछ कहने से परहेज किया । वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने एक एनजीओ कॉमन कॉज की पैरवी करते हुए कहा कि देशद्रोह गंभीर अपराध है । इस कानून का अंसतोष दबाने में इस्तेमाल हो रहा है । पीठ ने कहा कि हमें देशद्रोह कानून का व्याख्या करने की जरूरत नहीं है । इस पर पांच जजों की संविधान पीठ केदारनाथ सिंह विरूद्ध बिहार सरकार के १९६२ के केस में फैसला दे चुकी है । 
सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह के दुरूपयोग की शिकायत वाली कॉमन कॉज की याचिका खारिज कर दी । कोर्ट ने सरकार की आलोचना को देशद्रोह नहीं माना जा सकता, टिप्पणी के साथ ताजा आदेश की कॉपी भी सभी राज्यों के मुख्य सचिवों व पुलिस महानिदेशकों को भेजने का आदेश देने का आग्रह भी ठुकरा दिया । कोर्ट ने भूषण से कहा कि यदि किसी मामले में देशद्रोह कानून का दुरूपयोग हुआ है तो आप अलग याचिका दायर कर सकते है । 

बस्तों के बोझ से बच्चें में कमर दर्द
स्कूल के बच्चें पर भारी बस्ते के बोझ के कारण ७ से १३ साल की उम्र वाले ६८ प्रतिशत बच्चें में कमर दर्द और कूबड़ निकलने की आशंका रहती है । हाल ही में एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कामर्स एंड इण्डस्ट्रीज ऑफ इंडिया ने अपनी स्वास्थ्य समिति के तहत एक सर्वे किया है, जिसमें पाया कि देश में ६८ प्रतिशत स्कूलीबच्च्े हल्के कमर दर्द से पीड़ित है । यह कमर दर्द बाद में तेज दर्द और कूबड़ में बदल सकता है । सर्वे में २५०० से अधिक बच्च्े व १,००० माता-पिता से बातचीत की गई । 

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