शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

६ विज्ञान जगत

कितना प्राकृतिक है जैव प्लास्टिक
मेनुअल मक्यूडा

जैव प्लास्टिक के विकास के साथ हमें यह सावधानी बरतनी होगी कि यह एक बेहतर विकल्प साबित हो । अभी तक किए गए शोध के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जैविक प्लास्टिक भी पर्यावरण के लिए काफी खतरनाक है और समय रहते इस उत्पाद को वास्तविक जैविक प्लास्टिक बनने से पहले गंभीर परीक्षणोंसे गुजरना पड़ेगा ।
प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है, जिसे धरती हजम नहीं कर पाती है । उत्पादित प्लास्टिक का प्रत्येक टुकड़ा जो अभी भी अस्तित्व में है वह आगामी सैकड़ों वर्षोंा तक हमारे साथ ही रहेगा । वातावरण में आने के बाद प्लास्टिक छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटकर जहरीले पदार्थोंा को अपनी ओर आकर्षित करता है और धरती पर हमारे वन्यजीव और समुद्र तक में घुसकर हमारी भोजन श्रंृखला को दूषित कर देता है । हमारे समुद्र और जलमार्ग इन छोटे पदार्थोंा से पटे पड़े हैं और प्रवाह के जरिए ये विश्व के समुद्रों के बीच में स्थित अभिसरण क्षेत्र जिन्हें गीरेस कहा जाता है, में इकट्ठा हो जाते हैं । इनमें सबसे उल्लेखनीय है, दि ग्रेट पेसेफिक गारबेज पाथ अर्थात् प्रशांत महासागर विशाल कूड़ा क्षेत्र । जहां एक ओर समुद्र के बीच में स्थित इस विशाल कुड़ाघर के विचार से बहुत से लोग सहमत नहीं हैं परंतु यह एक सच्चई है । इसके अलावा संपूर्ण जलक्षेत्र में फैल गए प्लास्टिक को नष्ट करने की कोई उम्मीद ही नजर नहीं आ रही है ।
हालांकि प्लास्टिक न तो स्वयं हमारे पर्यावरण को नष्ट कर रहा है और नही हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है । यह तो हमारा इसे इस्तेमाल करने का तरीका है, जो कि विप्लव जैसे हालात पैदा कर रहा है । एक ऐसा पदार्थ, जो कि वातावरण में सैकड़ों वर्षोंा तक बना रहेगा, का इस्तेमाल महज सैकंड मिनट, घंटे या दिनों तक के हिसाब से नहीं किया जाना चाहिए । जरूरत इस बात की है कि एक ऐसा जटिल पदार्थ जिसका बनाए जाने वाले फार्मूले में कोई पारदर्शिता नहीं है और जिसमें जहरीले रसायनों का प्रयोग होता है, को हमारे भोजन और पेय के सम्पर्क में ही नहीं आना चाहिए । प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण की समस्या इसके गलत तरीके से फेंकने पर से पैदा नहीं होती । बल्कि यह समस्या इसकी लापरवाही पूर्ण बनावट और गैर जिम्मेदारी पूर्ण तरीके सेइसे फेंकने से बढ़ती जाती है । इसके उत्पादकों द्वारा जिम्मेदारी का ठीक से वहन न करना और इस उत्पाद के जहरीलेपन को लेकर सुरक्षा संबंधी लापरवाही पर्यावरण और मानवीय स्वास्थ्य के खिलाफ तूफान खड़े कर रही है । जहां एक ओर इसके प्रयोग की व्यापकता और मानवीय स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को लेकर एक समझ तैयार हो रही है वहीं दूसरी ओर ऐसे प्लास्टिक की बात भी जोर पकड़ रही है, जो जैव आधारित हो या जिसे नष्ट किया जा सके । परंतु वास्तिविकता इतनी सहज नहीं है ।
प्लास्टिक जैव आधारित हो या कोई अन्य प्रकार का सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि हम इसका उपयोग कैसे करते हैं । अभी यह तय नहीं है कि नष्ट हो जाने वाला प्लास्टिक सर्वोत्तम विकल्प है या नहीं । लेकिन हमें सर्वप्रथम यह तय करना होगा कि इस विकल्प का प्रयोग हम किस तरह करेंगे अभी भी कई तरह के नष्ट हो जाने वाले प्लास्टिक मौजूद
हैं । इन्हें पुन: इस्तेमाल भी किया जा सकता
है । ये है - लम्बी अवधि तक चलने वाले बैग, बोतलें, कटलरी का सामाना आदि एवं कई इसके वैकल्पिक पदार्थ जैसे धातु, शीशा या कागज भी उपलब्ध हैं ।
वर्तमान में निर्माता अपने उत्पादों के नष्ट होने तक के लिए जिम्मेदार नहीं होते । जैसे ही कोई वस्तु कारखाने से बाहर आती है वह कंपनी की समस्या नहीं रह जाती है । अतएव हमारे पास ऐसी कोई पद्धति नहीं है कि हम इस नए नष्ट हो सकने वाले पदार्थ का व्यवस्थापन किस प्रकार से करेंगे । इसके जहरीलेपन के संबंध में कहा जा सकता है कि त्रुटिपूर्ण और अप्रभावकारी नियामक प्रक्रिया के चलते यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है कि यह नया बायो प्लास्टिक भी पारम्परिक प्लास्टिक की तरह जहरीला नहीं होगा और इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं खड़ी नहीं
होंगी । एक बार प्रचलन में आ जाने के बाद इसे प्रतिबंधित करना भी टेढ़ी खीर ही साबित होगा ।
पारिभाषिक तौर पर बायो प्लास्टिक शब्द को इस्तेमाल करने में अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता
है । यह एक मानसिक छलावा ही है । बायो प्लास्टिक भी साधारण प्लास्टिक की तरह ही कृत्रिम या सिंथेटिक प्लास्टिक ही है । इसे बनाने हेतु आवश्यक कार्बन और हाइड्रोजन तेल के पौधों से प्राप्त् किया जाता है । बायो प्लास्टिक नष्ट हो भी सकता है और नष्ट नहीं भी हो सकता है । साथ ही यह जहरीला भी हो सकता है और नहीं भी । उदाहरण के लिए अत्यधिक घनत्व वाला एचडीपीई १०० प्रतिशत जैव आधारित हो सकता है लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि वह जैविक रूप से नष्ट भी हो जाता हो । जबकि जनता का विचार है कि जैव आधारित प्लास्टिक को जैविक तरीके से नष्ट किया जा सकता है । परंतु सभी मामलों में ऐसा नहीं है । उदाहरण के लिए डासम और कोक की पौधों की बोतल इस झूठ का ज्वलंत उदाहरण हैं ।
वैसे कुछ जैव प्लास्टिक वास्तव में नष्ट हो जाने वाले भी हैं । परंतु समस्या यह है कि इस उत्पाद के संबंध में कोई स्पष्टता नहीं है । अतएव प्रत्येक उत्पाद के ऊपर लिखी शर्तोंा को ध्यान से पढ़ना अनिवार्य है । इसका दूसरा दुखद पहलु यह है कि अधिकांश बायो प्लास्टिक को रिसायकल भी नहीं किया जा सकता है ।
इसके निर्माण को लेकर पर्यावरणीय पहलुआें पर भी विचार करना आवश्यक है । जैव (बायो) प्लास्टिक बनाने के लिए भी हमें भूमि, पानी, ऊर्जा और कीटनाशक एवं जैव संवर्धित (जी.एम.) फसलों की आवश्यकता पड़ती है । प्लास्टिक की हमारी आवश्यकता के चलते हम सहज ही कल्पना कर सकते हैं कि हमें उपरोक्त सभी संसाधनों की किस मात्रा में आवश्यकता पड़ सकती है । साथ ही हमें अनुमान लगाना होगा कि इससे हमारे भोजन और अन्य संसाधनों पर कितना प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा ।
इसकी तुलना में कागज, शीशा या धातु का उपयोग करना सरल है । हम इसके अवयव जानते हैं । साथ ही हम यह भी जानते हैं कि इन सभी पदार्थोंा को वास्तव में रिसायकल किया जा सकता है । जिन वस्तुआें को रिसायकल किया जा सकता है वे वास्तव में बेहतर ही होती हैं । जैविक तरीके से नष्ट हो जाने वाले प्लास्टिक का प्रचार जरूरी है, परंतु इसे प्राकृतिक ठहराने (ग्रीन लेबल) से पहले ठोक बजाकर इसकी सत्यता जांच लेना
चाहिए । अन्यथा हम पुन: एक नई समस्या मेंफंस जाएंगे ।
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