किशन गंगा परियोजना पर अंतरिम आदेश
भारत जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा नदी पर स्थाई कार्य को छोड़कर पनबिजली परियोजना से जुड़े सभी कार्यो को जारी रख सकता है । अंतराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत (आईसीए) ने अंतरिम आदेश में यह बात कही है । हेग स्थित आईसीए ने पाकिस्तान की अपील पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश दिया । पाक कहता रहा है कि भारत नदी का प्रवाह मोड़ रहा है ।
इस तरह वह १९६० की सिंधु जल संधि का उल्लघंन कर रहा है। अंतरिम आदेश में कहा गया कि भारत के लिए यह विकल्प खुला है कि वह किशनगंगा पनबिजली परियोजना से जुड़े सभी कार्य जारी रखे । हालांकि वह ऐसा स्थाई कार्य नहीं कर सकता जिससे जल प्रवाह बाधित हो । इसमें कहा गया कि भारत बांध की नींव के निर्माण को आगे बढ़ा सकता है । वह गुरेज में अस्थाई सुरंग का इस्तेमाल कर सकता है, जिसके पूरा होने की बात उसने कही है। भारत अस्थाई कॉफरडैम्स को पूरा कर सकता है ताकि अस्थाई सुरंग का संचालन हो सके । आईसीए ने कहा कि मौजूदा समय सीमा के मुताबिक, इस मामले पर वह अपना अंतिम फैसला २०१२ के आखिर में अथवा २०१३ की शुरूआत तक सुना सकती है । अंतरिम आदेश में कहा गया कि अदालत के अंतिम फैसले के बाद होने वाले निर्माण कार्य (किशनगंगा परियोजना से जुड़े) की किसी भी गतिविधि पर रोक लगाने का आदेश अभी से नहीं दिया जा सकता है ।
भारत इस नदी पर ३३० मेगावट की पनबिजली परियोजना का निर्माण कर रहा है । पाकिस्तान ने १९६० में हुई सिंधु जल संधि के तहत इस मामले में अंतराष्ट्रीय न्यायालय की मध्यस्थता की मांग की । वर्ष २००५ से ये विवाद ज्यादा गहरा गया । पाकिस्तान का कहना है कि भारत को सिंधु जल संधि के प्रावधानों के तहत पश्चिम की ओर बहने वाली तीन नदियों चिनाब, झेलम और सिंधु के पानी का इस्तेमाल कुछ शर्तो के साथ करना है ।
वर्ष २०२० को ध्यान में रखते हुए प्रदूषण नीति बनाने में म.प्र. पिछड़ गया है । केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश के बाद भी मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सभी जिलों के आंकड़े नहीं भेजे गए है । इस कारण से केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मध्यप्रदेश छोड़ सभी राज्यों के प्रदूषण नीति बनाने को लेकर मसौदा तैयार कर लिया है । इस संबंध में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मई माह में एक पत्र लिखा, जिसमें सभी मध्यप्रदेश के मुख्य चार जिलों के वायु, जल और वाहन से होने वाले प्रदूषण को लेकर अँाकड़े भेजने के निर्देश दिए गए थे ।
केन्द्रीय बोर्ड के अनुसार इस आंकड़े के आधार पर २०२० को लेकर डाटा एनालिसस किया जाना था । लेकिन मध्यप्रदेश के तरफ से जानकारी नहीं भेजने के कारण डाटा एनालिसस का काम नहीं हो सका है । पिछले दिनों राष्ट्रीय स्तर पर हुई इस बैठक में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार और हरियाणा को छोड़ सभी राज्यों ने आंकड़े प्रस्तुत कर दिये है । इसके बाद केन्द्रीय प्रयोगशाला में इन आंकड़ों को एनालिसस करने के लिए भेजा गया है।
पशुआें के संरक्षण को बढ़ावा देने वाली संस्था भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने पालतू कुत्तों की पूंछ और कान काटने या कतरने को दंडनीय अपराध घोषित किया है । भारतीय पशु सरंक्षण संगठनों के महासंघ (एफआईएपीओ) की याचिका पर बोर्ड ने भारतीय पशु चिकित्सा परिषद को पत्र लिखकर इस बारे में निर्देश दिए है ।
बोर्ड ने कहा है वह ऐसे कुत्तों को अपने यहां पंजीकृत न करें, जिनकी पूंछ कटी है या कानों को कतरा गया है ।
बोर्ड के चैयरमेन डॉ. आरएम खरब ने कहा कि कुत्तों के कान और पूंछ काटना पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम १९६० के अन्तर्गत दंडनीय अपराध है । अब बॉक्सर, डॉबरमैन, काकर, स्पेनियल, ग्रेट डेन्स जैसी प्रजाति के बच्चें के जन्म से दो या पांच दिनों के भीतर कान और पूंछ काटना दंडनीय अपराध माना जायेगा ।
इस तरह वह १९६० की सिंधु जल संधि का उल्लघंन कर रहा है। अंतरिम आदेश में कहा गया कि भारत के लिए यह विकल्प खुला है कि वह किशनगंगा पनबिजली परियोजना से जुड़े सभी कार्य जारी रखे । हालांकि वह ऐसा स्थाई कार्य नहीं कर सकता जिससे जल प्रवाह बाधित हो । इसमें कहा गया कि भारत बांध की नींव के निर्माण को आगे बढ़ा सकता है । वह गुरेज में अस्थाई सुरंग का इस्तेमाल कर सकता है, जिसके पूरा होने की बात उसने कही है। भारत अस्थाई कॉफरडैम्स को पूरा कर सकता है ताकि अस्थाई सुरंग का संचालन हो सके । आईसीए ने कहा कि मौजूदा समय सीमा के मुताबिक, इस मामले पर वह अपना अंतिम फैसला २०१२ के आखिर में अथवा २०१३ की शुरूआत तक सुना सकती है । अंतरिम आदेश में कहा गया कि अदालत के अंतिम फैसले के बाद होने वाले निर्माण कार्य (किशनगंगा परियोजना से जुड़े) की किसी भी गतिविधि पर रोक लगाने का आदेश अभी से नहीं दिया जा सकता है ।
भारत इस नदी पर ३३० मेगावट की पनबिजली परियोजना का निर्माण कर रहा है । पाकिस्तान ने १९६० में हुई सिंधु जल संधि के तहत इस मामले में अंतराष्ट्रीय न्यायालय की मध्यस्थता की मांग की । वर्ष २००५ से ये विवाद ज्यादा गहरा गया । पाकिस्तान का कहना है कि भारत को सिंधु जल संधि के प्रावधानों के तहत पश्चिम की ओर बहने वाली तीन नदियों चिनाब, झेलम और सिंधु के पानी का इस्तेमाल कुछ शर्तो के साथ करना है ।
प्रदूषण नीति बनाने में पिछड़ा मध्यप्रदेश
वर्ष २०२० को ध्यान में रखते हुए प्रदूषण नीति बनाने में म.प्र. पिछड़ गया है । केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश के बाद भी मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सभी जिलों के आंकड़े नहीं भेजे गए है । इस कारण से केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मध्यप्रदेश छोड़ सभी राज्यों के प्रदूषण नीति बनाने को लेकर मसौदा तैयार कर लिया है । इस संबंध में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मई माह में एक पत्र लिखा, जिसमें सभी मध्यप्रदेश के मुख्य चार जिलों के वायु, जल और वाहन से होने वाले प्रदूषण को लेकर अँाकड़े भेजने के निर्देश दिए गए थे ।
केन्द्रीय बोर्ड के अनुसार इस आंकड़े के आधार पर २०२० को लेकर डाटा एनालिसस किया जाना था । लेकिन मध्यप्रदेश के तरफ से जानकारी नहीं भेजने के कारण डाटा एनालिसस का काम नहीं हो सका है । पिछले दिनों राष्ट्रीय स्तर पर हुई इस बैठक में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार और हरियाणा को छोड़ सभी राज्यों ने आंकड़े प्रस्तुत कर दिये है । इसके बाद केन्द्रीय प्रयोगशाला में इन आंकड़ों को एनालिसस करने के लिए भेजा गया है।
कुत्तोंकी पूंछ काटने पर अब खैर नही
पशुआें के संरक्षण को बढ़ावा देने वाली संस्था भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने पालतू कुत्तों की पूंछ और कान काटने या कतरने को दंडनीय अपराध घोषित किया है । भारतीय पशु सरंक्षण संगठनों के महासंघ (एफआईएपीओ) की याचिका पर बोर्ड ने भारतीय पशु चिकित्सा परिषद को पत्र लिखकर इस बारे में निर्देश दिए है ।
बोर्ड ने कहा है वह ऐसे कुत्तों को अपने यहां पंजीकृत न करें, जिनकी पूंछ कटी है या कानों को कतरा गया है ।
बोर्ड के चैयरमेन डॉ. आरएम खरब ने कहा कि कुत्तों के कान और पूंछ काटना पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम १९६० के अन्तर्गत दंडनीय अपराध है । अब बॉक्सर, डॉबरमैन, काकर, स्पेनियल, ग्रेट डेन्स जैसी प्रजाति के बच्चें के जन्म से दो या पांच दिनों के भीतर कान और पूंछ काटना दंडनीय अपराध माना जायेगा ।
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