रविवार, 16 अक्तूबर 2011

संपादकीय

अब हम होने वाले है सात अरब
दुनिया की आबादी ७ अरब होने वाली है । ३१ अक्टूबर को ७ अरबवाँ बच्च पैदा होगा । अब चर्चा इस बात पर हो रही है कि यह बच्च किस देश में पैदा होगा ।
संयुक्त राष्ट्र ने अनुमान लगाया है कि ३१ अक्टूबर को यह ऐेतिहासिक बच्च पैदा होगा । जानकारों का कहना है कि यह बच्च एशिया में पैदा हो सकता है । हालाँकि यह जन्म सांकेतिक ही होगा, क्योंकि बच्चें के जन्म की सटीक गिनती हो पाना संभव नहीं है । लिहाजा यह नहीं बताया जा सकता है कि वह ७ अरबवाँ बच्च (या बच्ची) कौन सा होगा ।
एशिया में इस बच्च्े के पैदा होने की संभावना इसलिए ज्यादा है क्योंकि यहाँ सूरज पहले उगता है यानी तारीख अन्य देशों से पहले बदल जाएगी । अगर अनुमान सही निकलते हैं तो यह बच्च किसी शहरी इलाकेे में ही पैदा होगा, क्योंकि एशिया इस वक्त जनसंख्या में बदलाव के दौर से गुजर रहा है । बड़ी संख्या में लोग गाँवों से शहरों की ओर जा रहे हैं । एशियाई विकास बैंक के मुताबिक २०२२ के आखिर तक तो एशिया में गाँवों से ज्यादा लोग शहरों में बसे होगें ।
इस बदलाव के बार में एशियाई विकास बैंक के कुछ आँकड़े हैरान करने वाले हैं, मसलन २० साल के अंदर १.१ अरब लोग एशियाई गाँवों से शहरों की ओर चले जाएँगे यानी रोजना लगभग १ लाख ३७ हजार लोग । इस हिसाब से मैकेंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट (एमजीआई) के मुताबिक भारत को हर साल अमेरिकी शहर शिकागो जितनी सुविधाएं ज्यादा पैदा करनी होगी । शहरी आबादी में विस्फोट के साथ बड़ी समस्याएँ भी पैदा होगी । शहरोंमें झुग्गी बस्तियों का आकार बढ़ेगा ।
ऑस्ट्रेलिया के जनसंख्या विशेषज्ञ बर्नार्ड साल्ट कहते हैं कि इस ग्रह पर सबसे शक्तिशाली जगह तो शहर ही हैं । वहाँ ज्ञान और सूचना के भंडार होते हैं । वहाँ राजनीतिक प्रशासन होता है । वहीं से विचार दूसरी जगहों की ओर चले जाते है , क्योंकि वहाँ सबसे प्रतिभाशाली और तेज लोगों का जमावड़ा होता है । लेकिन साल्ट इस बात की चेतावनी भी देते हैं कि गांवों से शहरों की ओर पलायन से मध्य वर्ग की संपन्नता का रास्ता इतना भी आसान नहीं है । ऐसे बहुत से लोग होंगे, जो इस रास्ते की अंधी दौड़ में कुचले जाएँगे ।

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