बुधवार, 18 नवंबर 2015

प्रसंगवश   
भोजन में भावना का प्रभाव
डॉ. चंचलमल चौरड़िया, जोधपुर (राज.)
    आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के अनुसार स्वास्थ्य के लिये पौष्टिक भाोजन की अत्याधिक आवश्यकता पर विशेष जोर दिया जाता है । आहार गोष्ठियों में भोजन के अवयवों (प्रोटीन, वसा, विटामिन आदि) पर विस्तृत चर्चा कर मार्गदर्शन दिया जाता है, परन्तु भोजन के लिये उससे भी आवश्यक बातों की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता है । जैसे भोजन कब खाना चाहिये और कब नहीं खाना चाहिये ? भोजन कैसे बनाया जाये ? भोजन कैसे खिलाया जाये आदि । हमारा भोजन हमेंही खाना पड़ता है और हमें ही पचाना पड़ता है ।
    भोजन में आज पौष्टिकता पर तो बहुत जोर दिया जाता है, परन्तु बनने और खिलाने वाले तथा खाने वाले के भावों की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता । चिकित्सक भी आहार का परामर्श देते समय उनके महत्त्व से परिचित नहीं कराते हैं । घर में स्नेही स्वजन द्वारा बनाये गये भोजन में धन उपार्जन हेतु बिना प्रेम से बनाये गये होटलों में मिलने वाले भोजन की अपेक्षा ज्यादा ताकत होती है । इसी कारण घर में रूखी-सूखी खाने वाला मजदूर, नौकरों द्वारा बनाये गये पौष्टिक तत्वों से युक्त आहार लेने वाले अमीरों से ज्यादा ताकतवर होता है । आज घर में खाना पसन्द नहीं अथवा बनाते हमें आलस्य आता है । फलत: बाहर खाने को सभ्यता का सूचक समझने की भूल हो रही है । बाहर बने भोज्य पदार्थोंा को खाने का प्रचलन दिनों दिन बढ़ रहा है । बाहर होटलों में बने भोजन में कितनी शुद्धता, पवित्रता और स्वच्छता का ख्याल रखा जाता है, उसको तो जहाँ भोजन (खाद्य पदार्थ) बनता है, वहाँ जाकर देखने से सही अन्दाज लगाया जा सकता है । उस भोजन बनाने वाले के भाव कैसे होते हैं, हम नहीं जानते । इसी कारण आज होम (घर) से होटल और होटल से हॉस्पिटल का सीधा मार्ग बन गया है । यदि आपको कोई अपने घर बुलाये, अच्छे से अच्छा पौष्टिक पदार्थ से आपको भोजन कराये परन्तु यदि आपकी उपेक्षा करे, आप पर व्यंग्य कसे अथवा भोजन कराने के पश्चात् आपसे कहे - आज तक आपको जिन्दगी में कभी किसी ने इतना अच्छा भोजन नहीं कराया होगा, आपके मन में क्या प्रतिक्रिया होगी ? और कितनी ताकत देगा, ऐसा भोजन ? अत: भोजन में भावों की तरंगों का बहुत महत्त्व होता है, परन्तु शायद ही कोई चिकित्सक इन तथ्यों पर जोर देता है । स्पष्ट है कि भोजन में पदार्थ का महत्त्व परन्तु उसकी अपेक्षा भावों का अधिक महत्त्व होता है । इसी प्रकार रात्रि भोजन और तामसिक भोजन स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है ।

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