गुरुवार, 18 अगस्त 2016

गंगा नदी में अनेक स्थानों पर जीवों के अस्तित्व पर संकट
गंगा की निर्मलता और अविरलता सुनिश्चित करने को मोदी सरकार की सर्वोच्च् प्राथमिकता बताते हुए केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि इस कार्य को साल २०२० तक पूरा कर लिया जायेगा और जब आए हैं तो कुछ करके जायेंगे । या गंगा निर्मल होगी या फिर मरके जायेंगे । पिछले दिनों लोकसभा में जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्री उमा भारती ने कहा कि गंगा नदी में स्वर्ण मछली, महाशिरा, डाल्फिन जैसे जल जन्तु ही साबित करेंगे कि गंगा निर्मल हुई, क्योंकि अभी गंगा नदी में अनेक स्थानों पर इन जीवों के अस्तित्व पर संकट छाया हुआ है । कई स्थानों पर प्रदूषण के कारण डाल्फिन अंधी हो गई है । हम देख सकने वाली डाल्फिन छोड़ेगे और अगर वे अंधी नहीं हुई तो नदी की निर्मलता साबित हो जाएगी । उन्होनें कहा कि हमने नमामि गंगे योजना के माध्यम से गंगा की निर्मलता और अविरलता को सुनिश्चित करने की पहल की है । और गंगा में इन जल जन्तुआें का फिर से बहाल होना ही यह साबित करेगा कि गंगा निर्मल हो गई है । केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि अक्टूबर २०१६ में पहला चरण पूरा हो जाएगा । 
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा कि गंगा के पानी की निर्मलता की जांच वह किसी प्रयोगशाला में नहीं कराएंगी बल्कि प्रदूषण के कारण गंगा से लुप्त् हो चुके जलचरों के फिर से इसमेंलौट आने को वह प्रदूषणमुक्त गंगा का पैमाना मानेगी । सुश्री भारती ने कहा कि गंगा अत्यधिक प्रदूषित है । औघोगिक कचरे तथा गंदे नाले के कारण यह सर्वाधिक प्रदूषित हुई है, लेकिन नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा की सफाई के लिए जो काम किया जा रहा है । 
उन्होनें कहा कि गंगा नदी दुनिया की दस अत्यधिक प्रदूषित नदियों में से एक है । भारी प्रदूषण के कारण गंगा नदी की डाल्फिन मछलियां अंधी हो चुकी है और वह शरीर के अन्य संवेदी अंगो का इस्तेमाल आंख के रूप में कर रही है । इसी तरह से हिल्सा जैसी कई प्रजाति की मछलियों का इससे नाता टूट चुका है लेकिन नमामि गंगे योजना के तहत इन सब मछलियोंको फिर से इसमें छोड़ा जाएगा । 

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