गुरुवार, 18 अगस्त 2016

मौसम
जलवायु परिवर्तन : कारण एवं प्रभाव 
प्रो. कृष्ण कुमार द्विवेदी 

सामान्यत: किसी भी स्थान की दीर्घकालीन मौसमी दशाएं जलवायु कहलाती है । जलवायु स्थिर रहती है वर्तमान समय में कुछ प्राकृतिक एवं अधिक मानव जनित कारणों से जलवायु स्थिर नहीं रह पा रही है । फलस्वरूप जलवायु परिवर्तन की समस्या आज प्रमुखता से विश्व में छाई हुई है । 
जलवायु परिवर्तन से आशय जलवायु में प्रत्यक्ष रूप से दिखने वाले बदलावों से है । यह बदलाव एक दो महीने या वर्ष में नही है वरन इसे होने में कई दशक या हजारों लाखों वर्षोंा का समय लगता है । जलवायु परिवर्तन की काली छाया मात्र हमारे प्रदेश-देश पर ही नहीं वरन् संपूर्ण विश्व पटल पर मंडरा रही है । वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या बन चुकी है । आज अधिकांश वैश्विक सम्मेलकों में जलवायु परिवर्तन का ही मुख्य मुद्दा छाया हुआ है । 
ग्लेशियरों का पिघलना, भूमण्डलीय तापन, अतिवृष्टि सूखा, सुनामी जैसी समस्याएं जलवायु में हो रहे परिवर्तन का ही परिणाम परिलक्षित करती है । जलवायु में हो रहे परिवर्तन के मूल जो कारण उनमें कुछ कारण प्राकृतिक अवश्य है किंतु अत्याधिक कारण मानव जनित ही है । प्राकृतिक कारणोंमें मुख्य रूप से ज्वालामुखी उदभेदन आते हैं जिनमें अंदर द्रवित चट्टान, लावा, भस्म तथा गैसे निकलती है । गैसों में मुख्य रूप से सल्फर डाई आक्साइड, सल्फर ट्राइआक्साइड , क्लोरीन, वाष्प, कार्बन डाई आक्साईड, हाइड्रोजन सल्फाइड तथा कार्बन मोनो आक्साइड आदि होती है । 
ज्वालामुखी विस्फोट के कारण धूल एवं राख के कण भी गैसोंके साथ बहुत ऊपर तक चले जाते है और वायुमंडल में वर्षोंा तक विद्यमान रहकर जलवायु को प्रभावित करते है । प्राकृतिक कारणों में महासागरीय धाराएंं आती है । पृथ्वी के ७० प्रतिशत से अधिक हिस्से में स्थित सागर, महासागरों तथा जलवायु के निर्धाण में सबसे अधिक योगदान होता है । समय-समय पर समुद्र अपना ताप वायुमंडल में छोड़ता है जिससे जलवायु प्रभावित होती है । अत्याधिक ताप जलवायु के रूप में पृथ्वी पर ग्रीन हाऊस गैस के प्रभाव बढ़ाता है ।  
यहाँ उल्लेखित है कि जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक मानवजनित कारण ही आते है उनमें सर्वप्रथम आता है कार्बन डाइआक्साईड उत्सर्जन में लगातार होती वृद्धि । बढ़ते नगरीकरण एवं औद्योगिकीकरण के कारण वायुमंडल में कार्बन डाई आक्साईड की मात्रा बढ़ रही है साथ ही वनों की अत्याधिक कटाई और दोहन के कारण पेड़ पौधों द्वारा कार्बन डाइआक्साईड की मात्रा बढ़ रही है साथ ही वनों की अत्याधिक कटाई और दोहन के कारण पेड़ पौधो द्वारा कार्बन डाइआक्साईड के साथ-साथ अन्य घातक गैसे जिसमें मीथेन, नाइट्रोजन आक्साइड, क्लोरो फ्लोरो कार्बन आदि सभी मिलकर ग्रीन हाउस प्रभाव वायुमंडल में उत्पन्न करते है जो जलवायु परिवर्तन के लिए प्रमुख कारण बन जाता है । 
वायुमण्डल में स्थित ये गैसे काँच की तरह व्यवहार करती है इसमें सूर्य का ताप आ तो जाता है पर वापस नहीं जा पाता है जिससे ताप बढ़ता है और जलवायु प्रभावित होती है । जलवायु परिवर्तन के लिए उत्तरदायी दूसरा प्रमुख कारण है कि आधुनिक कृषि, जिसमें रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग एवं कीटनाशकों के अत्यधिक छिड़काव के कारण एक साथ जल, मिट्टी वायु में प्रदूषण बढ़ता है । 

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