कविता
संदर्भ : नर्मदा जंयति
लो ! नहाया दिन
अज़हर हाशमी
सूर्य का तबला बजा
भोर फहराता ध्वजा
नर्मदा का तट सजा
धूप की दातौन करके
लो ! नहाया दिन ।
नर्मदे बोला हुआ
शब्द रस घोला हुआ
नीर हिंडोला हुआ
इस लहर से उस लहर तक
झूल आया दिन ।
लो ! नहाया दिन ।
गिरि-सुता, गजगामिनी,
धाविका, भू-शायिनी
अन्न-विघुत दायिनी
नर्मदा का जल सुधा है
बुदबुदाया दिन ।
लो ! नहाया दिन ।
संदर्भ : नर्मदा जंयति
लो ! नहाया दिन
अज़हर हाशमी
सूर्य का तबला बजा
भोर फहराता ध्वजा
नर्मदा का तट सजा
धूप की दातौन करके
लो ! नहाया दिन ।
नर्मदे बोला हुआ
शब्द रस घोला हुआ
नीर हिंडोला हुआ
इस लहर से उस लहर तक
झूल आया दिन ।
लो ! नहाया दिन ।
गिरि-सुता, गजगामिनी,
धाविका, भू-शायिनी
अन्न-विघुत दायिनी
नर्मदा का जल सुधा है
बुदबुदाया दिन ।
लो ! नहाया दिन ।
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