गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

भारतीय ने खोजा खारे पानी को मीठा बनाने का फॉमूला

अमेरिका में भारतवंशी छात्र चैतन्य करमचेदू ने खारे पानी को पीने लायक बनाने का एक सस्ता और आसान तरीका खोज निकाला है । उसके इस शोध ने कई बड़ी तकनीकी कंपनियों और विश्वविघालयों का ध्यान अपनी ओर खिंचा है । चेतन्य ने अपने स्कूल की कक्षा में किए गए एक प्रयोग के चलते पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है । वह ओरेगांव के पोर्टलैंड में रहता है और जेसुइट हाई स्कूल सीनियर का छात्र है । चेतन्य ने सोखने की उच्च् स्तरीय क्षमता वाले एक पॉलीमर के जरिए समुद्री पानी में घुले नमक को उससे अलग करने में सफलता पाई । नमक हटने के बाद बचा पानी लायक हो गया था । पॉलीमर में किसी सामान्य यौगिक की आपस में जुड़ी श्रृंखलाआें से निर्मित बड़े कण मौजूद होते हैं । चैतन्य बताते है कि यह पॉलीमार पानी के कणों से नहीं, बल्कि नमक के कणों के साथ जुड़ता है । 
पानी के अणुआें के साथ नमक के अणुआें के जुड़ने से खारा पानी बनता है । समस्या इनके जुड़ाव को खत्म करने की थी । चैतन्य ने इस पर गौर किया कि समुद्री पानी पूरी तरह नमक से संतृप्त् नहीं होता । अर्थात समुद्री पानी के १० फीसदी अणु नमक के अणु के साथ जुड़े रहते हैं, जबकि ९० फीसदी अणु नमक के अणु से जुड़े नहीं होते । ज्यादातर शोधकर्ता पूरे समुद्री पानी को लेकर सोचते रहे हैं, लेकिन चैतन्य ने नया नजरिया  अपनाया । उसने नमक के अणुआें से जुड़े १० फीसदी समुद्री पानी की बजाय उससे नहीं जुड़े ९० फीसदी समुद्री पानी को पेयजल में बदलने पर ध्यान केन्द्रित किया और सफल रहा । 
चैतन्य के अनुसार पानी के लिए समुद्र सबसे अच्छा स्त्रोत है । पृथ्वी के लगभग ७० फीसदी हिस्से में समुद्र है । ये और बात है कि समुद्री पानी बेहद खारा होता है और उसे किफायती तरीके से पेजयल में बदलने में तमाम वैज्ञानिक दशकों से लगे है । कई विज्ञानियों को सफलता भी मिली, लेकिन उनके तरीके महगे और अव्यावहारिक साबित हुए । ऐसे मेंचैतन्य ने अपने हाई स्कूल की प्रयोगशाला मेंखुद एक सफल प्रयोग किया । उनका यह प्रयोग इस समय पर दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है । 

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