मंगलवार, 17 जुलाई 2018

लघुकथा
वायु प्रदूषण के खतरे से बचाव
धु्रव प्रसाद सिंह 

महाराज विक्रमादित्य ने पेड़ से शव को उतारा और कंधे पर लाद कर जैसे ही नगर की ओर चलना शुरू किया । शव में छिपा बेता बोला - महाराज वर्षो बाद में आधुनिक दिल्ली को देखा तो पाया कि दिल्ली का दिल  कठोर  हो  चुका  है । प्राय: लोग भौतिक सुख सुविधाआें में डूबे रहते थे और अधिक से अधिक भौतिक सुख साधनों की खोज में लालयित रहते थे । 
सड़कों पर चारों तरफ दुपहिए, चारपहिए वाहनों के साथ  ही साथ भारी वाहनों की भीड़ थी जिसके कारण सड़कों पर हमेशा घंटो जाम की स्थिति उत्पन्न होती रहती थी । लोग नाना प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हो रहे थे । दमा, एलर्जी, सांस में तकलीफ, न्यूमोनिया, मस्तिष्क की बीमारी, किसी की किडनी खराब तो कोई लिवर कैंसर से जूझ रहा था । डॉक्टरों की तो चांदी कट रही थी । मैंने नगर में बच्चें के साथ बड़ों को भी नाक मुंह पर एक विशेष प्रकार की पट्टी (मास्क) बॉधकर जाते हुए देखा । महाराज भीड़-भाड़ वाले इलाकों में लोगों के नाक मुँह पर पट्टी बांधकर चलने का क्या रहस्य था ? अगर आप मेरे प्रश्न का उत्तर जानते हुए भी नहीं देना चाहेंगे तो आपके सिर के टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा । 
अपने मौन व्रत तोड़ते हुए महाराज विक्रमादित्य बोले - बेताल, तुम्हारा इशारा वायु प्रदूषण से है ं वायु के संघटन में किसी भी प्रकार का अवांछनीय परिवर्तन जिसका जीव-जन्तुआें और वनस्पतियों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता वायु प्रदूषण कहलात है । 
मनुष्य अपनी वर्तमान भौतिक आवश्यकताआें की पूर्ति के लिए विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट पदार्थ वायु में फेंकता रहता है जिससे वायु प्रदूषित होती रहती है। प्रदूषित वायु का जीव-जन्तुआें और वनस्पतियों पर घातक प्रभाव पड़ता  है । जीवाश्म ईधनों (जैसे - कोयला, लकड़ी, खनिज तेल) के जलने, कल कारखानों की चिमनियों तथा वाहनों से निकलने वाले धुंए और ग्रीन हाउस गैसें वायु मण्डल के वायु को असंतुलित कर उसे प्रदूषित करती है । 
बढ़ती जनसंख्या, तेजी से होता औघोगिक विकास के नाम पर पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई वायु प्रदूषण के मुख्य कारण है । 
वायु को प्रदूषित करने वाले गैसों में कार्बन सल्फर तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड के साथ-साथ हाइड्रोजन सल्फाइड, हाइड्रोकार्बनिक गैसें ( जैसे - मैथेन, एथेन, एथिलीन, ऐसेटिलीन) और मानव निर्मित गेस क्लोरोफ्लोरो कार्बन मुख्य रूप से उत्तरदायी है । 
वायु में लेड तथा उसके  यौगिकों की उपस्थिति से मस्तिष्क व तंत्रिका तंत्र संबंधी रोग हो जाते हैं । लेड फेफड़े में कैंसर का मुख्य कारण है । टेट्रा एथिल लेड मिश्रित  पेट्रोलियम ईधनों का वाहनों में उपयोग से लेड की सूक्ष्म कणिकाएं वायु में उत्सर्जित होकर वायु को प्रदूषित करती है । आर्सेनिक, कैडमियम और इनके यौगिक विषैले पदार्थ होते हैं । ये श्वसन तथा  ह्दय संबंधी  रोग  उत्पन्न  करते हैं । 
इतना  ही नहीं वायु में  उपस्थित हानिकारक  व विषैले पदार्थ  वर्षा   के साथ  पृथ्वी  पर आ जाते है जिससे भूमि और जल भी प्रदूषित हो जाते हैं, जिसका प्रभाव किसी ने किसी रूप में जीवधारियों पर पड़ता है । इन प्रदूषणों से हानिकारक व विषैले पदार्थ खाद्य श्रृंखला में चले जाते हैं जो जीवधारियों के स्वास्थ्य व जीवन के लिए घातक सिद्ध होते है । 
बेताल, वायु प्रदूषण  एक  ऐसी समस्या है जिससे  कोई  भी अछूता नहीं  है । इंसान से लेकर जानवर तक इसका शिकार है । नवजात छोटे बच्च्े और बुजुर्ग तो इससे सबसे ज्यादा प्रभावित है, जिनकी सेहत पर यह दूरगामी और घातक असर डाल रहा है । प्रदूषण के उच्च्तम स्तर में किशोरों के मस्तिष्क की संरचना और तंत्रिका तंत्र की क्षति पहॅुंचाता है, उनके व्यवहार में परिवर्तन देखा गया है । 
किसी व्यस्त सड़क पर वाहनों से निकलने वाले धुंए के सम्पर्क में कुछ देर के लिए भी आने पर दो घंटे तक   किए गये व्यायम का असर खत्म हो जाता  है ।
अगर बच्च्े, बुजुर्ग और माँ बनने जा रही महिलाआें को वायु प्रदूषण के खतरे से बचा लिया जाये तो चिकित्सा खर्चे में काफी कमी आ सकती है । 
बेताल, सबसे बुद्धिमान प्राणी होने के नाते मनुष्यों का कर्तव्य बनता है कि वे वायु को प्रदूषित होने से बचाएं । अधिक से अधिक वृक्ष लगाएं । वृक्षों को अनावश्यक न काटें । अगर वृक्ष काटे भी जाते हैं तो उसके स्थान पर नये वृक्ष जरूर लगाएं । 
मनुष्यों को चाहिए कि जो काम पैदल चलकर संभव है उसके लिए धुआँ उगलते छोटे बड़े वाहनों का उपयोग न करें । अपने वातावरण को साफ एवं स्वच्छ रखें और इस प्रकार पर्यावरण की रक्षा कर स्वयं अपने को सुरक्षित रखें । सच तो यह है कि हालात न बदले तो यह जहर विनाशकारी साबित होगा । 
बेताल बोला - महाराज आपने अच्छी जानकारी दी और इस क्रम में आपका मौन व्रत भी टूट गया । मैं तो चला और उड़कर पेड़ पर जा बैठा ।    

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