मंगलवार, 17 जुलाई 2018

प्रसंगवश
विकास के बहाने दिल्ली में पेड़ों की बलि
 प्रमोद भार्गव, शिवपुरी (म.प्र.)
दिल्ली में नौकरशाहों के लिए आधुनिक किस्म के नए आवासीय परिसर और व्यापारिक केन्द्र बनाने के लिए १६५०० पेड़ों की बलि देने की तैयार ी हो गई है । दिल्ली उच्च् न्यायालय ने फिलहाल पेड़ कटाई पर अंतरिम रोक जरूर लगा दी है । लेकिन यह रोक कब तक लगी रह पाती है कहना मुश्किल है ।
छह आबाद बस्तिया मिटाकर नई बस्तियां बनाने की जिम्मेदारी लेने वाले सरकारी राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) और केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) संस्थानों ने ली है । इन विभागों ने वृक्ष प्राधिकरण को आठ करोड़ रूपए जमा करके पर्यावरण विनाश की मंजूरी भी ले ली है । इसी आधार पर उच्च् न्यायालय ने याचिकाकर्ता को यह मामला राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में ले जाने को कहा  है । गोया, अब मामला न्यायालय और हरित पंचाट के पास है । हालांकि इस बाबत अदालत ने जो सवाल उठाए हैं, वे बेहद अहम् है । 
अदालत ने पूछा कि क्या दिल्ली इस हालत में है कि १६५०० पेड़ों का विनाश झेल लेगी । प्रदूषण से दिल्ली का दम निकल रहा है ऐसे में प्रदूषण की नई समस्या को क्या दिल्ली बरदाश्त कर लेगी । वैसे भी दुनिया के जो १० सबसे ज्यादा  प्रदूषित शहर हैं, उनमें दिल्ली भी शामिल है । ऐसे में जो दिल्ली में हरे-भरे वृक्ष शेष रह गए हैं, क्या उनसे दिल्ली प्रदूषण मुक्त रह पाएगी ? राजधानी के दक्षिण इलाके में सरोजनी नगर, नौरोजी नगर, नेताजी नगर आदि वे कालोनियां है, जिन्हें पेड़ों समेत जमींदोज करके अठ्ठालिकाएं खड़ी की जानी है । वृक्ष, पानी और हवा मनुष्य के लिए जीवनदायी  तत्व  है । इसलिए इनको बचाया जाना जरूरी है । 
प्रकृति के इन अमूल्य तत्वों की कीमत स्थानीय लोगों ने समझ ली है, इसलिए हजारों लोगों ने सड़कों पर आकर और पेड़ों से चिपककर उत्तराखंड में ४५ साल पहले सामने आए चिपको आंदोलन की याद ताजा कर दी है । यह नागरिक मुहिम १९७३ में अविभाजित उत्तरप्रदेश में छिड़ी थी । इसका नेतृत्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुन्दरलाल बहुगुणा और चंडीप्रसाद भट्ट ने किया था । तब लोग पेड़ों की रक्षा के लिए पेड़ों से चिपक गए थे । ऐसा ही नजारा दिल्ली में देखने में आया है । यहां भी लोग पेड़ों से लिपटकर इन्हें जीवनदान देने की अपील कर रहे है । जागरूकता का यह अभियान जरूरी भी है, क्योंकि दिल्ली वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, राजधानी में पहले से ही आबादी की तुलना में ९ लाख पेड़ कम है । इसके बावजूद बीते छह साल में मार्गो के चौड़ीकरण नए आवासीय परिसर, भूमिगत पार्किग और संस्थान व व्यापारिक केन्द्र खोलने के लिए ५२ हजार से भी ज्यादा पेड़ काटे जा चुके है और अब १६५०० पेड़ो ंकी जीवन लीला खत्म करने की तैयारी है । 

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