बारूद की गंध के प्रभाव से पक्षियों का पलायन
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दक्षिण बस्तर क्षेत्र में गोला बारूद विस्फोट की गंध से प्रवासी पक्षियों ने इस क्षेत्र को अलविदा कह दिया है और राष्ट्रीय पक्षी मोर तथा अन्य पक्षियों की चहचाहट भी अब यहां सुनाई नहीं पड़ती है । बस्तर प्रकृति बचाव समिति के संस्थापक शरद वर्मा ने बताया कि दक्षिण बस्तर क्षेत्र में जहां जमींदारी थी वहां आज भी विशाल तालाब मौजूद है । बीजापुर जिले के भोपालपट्टनम, बीजापुर, गुदमा और कुटरू में आज भी विशाल तालाब मौजूद हैं । इन इलाकों में विदेशी मेहमान पक्षी सैकड़ों की संख्या में आते थे । सैकड़ों प्रवासी पक्षी इन दिनों तिब्बत, मंगोलिया, सायबेरिया और भारत के विभिन्न राज्यों से बतख, चिड़िया जिनके पंख गहरे लाल रंग के होते थे जो यहां आकर मछली एवं हरी घांस को अपना भोजन बनाते थे । और एक समय सीमा के बाद वे वापस चले जाते थे । पिछले सालों से मेहमान पक्षियों का आना बंद हो गया है । क्योंकि इन क्षेत्रों में गोला बारूद और विस्फोट की गंध पूरे जंगल और तालाब के क्षेत्र में फैली हुई है । कभी मोर इस इलाके में बहुतायत में पाये जाते थे और घने जंगल होने के कारण अन्य पक्षियों का भी बसेरा था । अब मोर नजर नहीं आते और अन्य पक्षियों की चहचहाट सुनाई नहीं पड़ती है।
गंगा एक्सप्रेस वे से नदी के अस्तित्व पर संकट
मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त् जलयोद्धा राजेन्द्रसिंह ने कहा है कि बलिया से नोएडा तक एक हजार किलोमीटर से ज्यादा दूरी की गंगा एक्सप्रेस वे से गंगा नदी के अस्तित्व पर ही संकट पैदा हो जायेगा । श्री सिंह ने कहा कि यह परियोजना भारतीय संस्कृति व समृद्धि के विनाश का कारण बनेगी । एक्सप्रेस वे से गंगा का अस्तित्व समाप्त् हो जायेगा । भारत में नदियां वैसे भी संकट का सामना कर रही हैं । ज्यादातर नदियां सूख गयी हैं या सूखने के कगार पर हैं । देश में कोई ऐसी नदी नहीं हैं जो प्रदूषण से ग्रस्त न हो । श्री सिंह ने कहा कि गंगा एक्सप्रेस वे बन जाने से लाखों किसान अपनी उपजाऊ जमीन से हाथ धो बैठेंगे और उनकी आजीविका खतरे में पड़ जायेगी। इस एक्सप्रेस वे का फायदा कुछ पूंजीपतियों को ही मिलने जा रहा है ।
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