पिछले ८ वर्षोंा से अध्यक्ष विहीन है एनईएए
देश में पर्यावरण संबंधी जनहित याचिकाआें के न्यायालयों पर बढ़ते बोझ को कम करने के लिए वर्ष १९९७ में गठित राष्ट्रीय पर्यावरण न्यायाधिकरण (एनईए) पिछले आठ वर्षोंा से अध्यक्ष विहीन है । इस न्यायाधिकरण की न कोई वेबसाइट है और न पता, जहां कोई व्यक्ति पर्यावरण संबंधी समस्याआें के लिए संपर्क कर सके । दिल्ली उच्च् न्यायालय के कई निर्देशों के बावजूद केंद्र सरकार वर्ष २००० से लेकर आज तक एनईए के अध्यक्ष के रूप में सर्वोच्च् न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च् न्यायालय के किसी पूर्व मुख्य न्यायाधीश को तलाश नहीं कर पाई है । मुख्य न्यायाधीश अजित प्रकाश शाह और न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर की अध्यक्षता वाली पीठ ने गत दिसम्बर में सरकारी वकील से पूछा था , आपको आठ वर्षोंा में एक न्यायाधीश नहीं मिला ? आखिर सर्वोच्च् न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च् न्यायालय के किसी सेवा निवृत्त मुख्य न्यायाधीश की जगह किसे नियुक्त किया जा सकता है । वर्ष २००५ में एक जनहित चायिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार से इस संस्था के अध्यक्षता तथा अन्य सदस्यों के नियुक्ति संबंधी प्रस्तावों को निपटाने के साथ ही ४५ दिनों के भीीतर न्यायाधिकरण के पुनर्गठन का निर्देश दिया था लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा । पिछले वर्ष अक्टूबर में केंद्र सरकार ने अदालत को सूचित किया कि पर्यावरण मंत्रालय को दिल्ली उच्च् न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों तथा सर्वोच्च् न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के फोन नंबर ही नहीं उपलब्ध हो पाए , जिस पर उनसे सम्पर्क किया जा सके । वहीं दिसम्बर में अतिरिक्त महान्यायाधिवक्ता (एएसजी) पी.पी. मल्होत्रा ने अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि कोई भी न्यायाधीश इस जिम्मेदारी को स्वीकार करने को तैयार नहीं हुआ लेकिन खण्डपीठ ने कहा, यदि आप इस मामले के प्रति संजीदा होते तो कानून में संशोधन कर सकते थे । ***
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