बुधवार, 25 जनवरी 2012

सम्पादकीय

पर्यावरण चेतना के संकल्प के ढाईदशक

इस अंक से पर्यावरण डाइजेस्ट अपने प्रकाशन के २६ वें वर्ष में प्रवेश कर रही है । प्रकाशन यात्रा के ढाईदशक में पत्रिका को अपने पाठकों, लेखकों एवं सहयोगियोंे का निरन्तर स्नेह मिला, इसी स्नेह की ऊर्जा से इस संकल्प का सातत्य बना हुआ है ।
रतलाम से सन् १९८७ में ट्रेडल मशीन पर मुद्रण से लेकर वर्तमान में ऑफसेट पर बहुरंगी आवरण सहित मुद्रण और इंटरनेट संस्करण तक की यात्रा में पत्रिका में पर्यावरण से जुड़े विभिन्न विषयों पर राष्ट्रीय / अंतराष्ट्रीय लेखकों, पत्रकारों सामाजिक कार्यकर्ताआें और विचारकों के लगभग चार हजार से अधिक लेख प्रकाशित हुए हैं । इन में पर्यावरण से जुड़ी ज्वलंत राष्ट्रीय समस्याआें, पर्यावरण और विकास, रचनात्मक प्रयास, प्रदूषण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता प्रबंधन और वन संरक्षण जैसे सैकड़ों विषय शामिल हैं ।
पिछले २५ बरसों में हमने देखा कि व्यवसायिक पत्रिकाआें की बढ़ती भीड़ में रचनात्मक सामाजिक सरोकारों की पत्रिका को जिंदा रख पाना संकटपूर्ण तो है, लेकिन असंभव नहीं है । पर्यावरण चेतना का यह छोटा सा दीप अनेक झंझावातों के बावजूद शिशु मृत्यु के कठिन समय को पार कर यहां तक पहुंच पाया है, तो इसके पीछे पर्यावरण प्रेमी मित्रों का संबंल था । यह संबंल ही वर्तमान और भविष्य की हमारी यात्रा की गति एवं शक्ति का आधार है । पर्यावरण डाइजेस्ट ने आज तक कभी किसी सरकार संस्थान या आंदोलन का मुख पत्र बनने का प्रयास नहीं किया । पत्रिका की प्रतिबद्धता सदैव सामान्य जन के प्रति रही है ।
पत्रिका के प्रकाशन में जिन मित्रों का सहयोग और समर्थन मिला, उन सभी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए आशा करते हैैं कि भविष्य में भी इसी प्रकार का सहयोग मिलता रहेगा । पर्यावरण डाइजेस्ट को २५ बरसों की प्रकाशन यात्रा में हमें अनेक मित्रों का स्नेह, आशीर्वाद मिला, इस बीच हमारे कुछ सहयोगी हमसे बिछड़ गये, हम उनका पुण्य स्मरण करते हुए उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते है ।

कोई टिप्पणी नहीं: