इंसानों का कुल वजन बढ़ रहा है
ब्रिटिश मेडिकल कौंसिल पब्लिक हेल्थ के ताजा अंक में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक दुनिया में इंसानों का कुल वजन बढ़ रहा है और यह स्वास्थ्य की नई समस्याआें को जन्म देने के साथ-साथ इकॉलॉजी को भी प्रभावित करेगा । यह तो जानी-मानी बात है कि अन्य प्रजातियों के समान, इंसानों की कुल भोजन संबंधी जरूरतें उनकी कुल संख्या और उनके वजन पर निर्भर करती हैं । ज्यादा मोटे तगड़े लोगों को ज्यादा भोजन व ऊर्जा की आवश्यकता होती है ।
राष्ट्र संघ का अनुमान है कि २५०० में हमारी आबादी ९ अरब हो जाएगी । इस बढ़ी हुई आबादी के लिए ज्यादा खाद्यान्न की जरूरत होगी । इसके अलावा यदि ये लोग ज्यादा वजनी हुए, तो भोजन की जरूरत और भी ज्यादा होगी ।
सारा वालपोल और उनके साथियों ने राष्ट्र संघ, विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट द्वारा संकलित आंकड़ों के आधार पर निष्कर्ष निकाला है कि फिलहाल दुनिया की वयस्क आबादी का कुल वजन २८.७ करोड़ टन है हालांकि इसमें काफी क्षेत्रीय विविधता भी है । उक्त २८.७ करोड़ टन में से १.५ करोड़ टन तो सामान्य से ज्यादा वजन वाले लोगों (जिनका बॉडी मास इंडेक्स २५ से ज्यादा है) के कारण है । और इसमें से करीब एक-तिहाई तो उत्तरी अमरीका के मोटे लोगों की वजह से है जबकि यहां दुनिया की मात्र ६ प्रतिशत आबादी निवास करती है । बॉडी मास इंडेक्स शरीर के वजन और ऊंचाई के वर्ग का अनुपात होता है और इससे पता चलता है कि व्यक्ति अपनी ऊंचाई के मान से कितना अधिक मोटा है ।
इसके विपरीत एशिया में दुनिया की ६१ प्रतिशत आबादी रहती है मगर दुनिया में मोटापे के कारण जो वजन है उसका मात्र १३ प्रतिशत एशिया के कारण है । शोधकर्ताआें ने पाया कि यूएस की ३६ प्रतिशत आबादी मोटापे की शिकार है । यदि पूरी दुनिया की आबादी इसी प्रवृत्ति का अनुसरण करे, तो इस अतिरिक्त वजन को सहारा देने के लिए ४८१ प्रतिशत ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होगी ।
इसी बात को अलग ढंग से देखें, तो एक टन मानव जैव पदार्थ का मतलब होता है १२ उत्तरी अमरीकी व्यक्ति या १७ एशियाई व्यक्ति अर्थात भोजन के मामले में अमरीकी एशियावालों से आगे है ।
ब्रिटिश मेडिकल कौंसिल पब्लिक हेल्थ के ताजा अंक में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक दुनिया में इंसानों का कुल वजन बढ़ रहा है और यह स्वास्थ्य की नई समस्याआें को जन्म देने के साथ-साथ इकॉलॉजी को भी प्रभावित करेगा । यह तो जानी-मानी बात है कि अन्य प्रजातियों के समान, इंसानों की कुल भोजन संबंधी जरूरतें उनकी कुल संख्या और उनके वजन पर निर्भर करती हैं । ज्यादा मोटे तगड़े लोगों को ज्यादा भोजन व ऊर्जा की आवश्यकता होती है ।
राष्ट्र संघ का अनुमान है कि २५०० में हमारी आबादी ९ अरब हो जाएगी । इस बढ़ी हुई आबादी के लिए ज्यादा खाद्यान्न की जरूरत होगी । इसके अलावा यदि ये लोग ज्यादा वजनी हुए, तो भोजन की जरूरत और भी ज्यादा होगी ।
सारा वालपोल और उनके साथियों ने राष्ट्र संघ, विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट द्वारा संकलित आंकड़ों के आधार पर निष्कर्ष निकाला है कि फिलहाल दुनिया की वयस्क आबादी का कुल वजन २८.७ करोड़ टन है हालांकि इसमें काफी क्षेत्रीय विविधता भी है । उक्त २८.७ करोड़ टन में से १.५ करोड़ टन तो सामान्य से ज्यादा वजन वाले लोगों (जिनका बॉडी मास इंडेक्स २५ से ज्यादा है) के कारण है । और इसमें से करीब एक-तिहाई तो उत्तरी अमरीका के मोटे लोगों की वजह से है जबकि यहां दुनिया की मात्र ६ प्रतिशत आबादी निवास करती है । बॉडी मास इंडेक्स शरीर के वजन और ऊंचाई के वर्ग का अनुपात होता है और इससे पता चलता है कि व्यक्ति अपनी ऊंचाई के मान से कितना अधिक मोटा है ।
इसके विपरीत एशिया में दुनिया की ६१ प्रतिशत आबादी रहती है मगर दुनिया में मोटापे के कारण जो वजन है उसका मात्र १३ प्रतिशत एशिया के कारण है । शोधकर्ताआें ने पाया कि यूएस की ३६ प्रतिशत आबादी मोटापे की शिकार है । यदि पूरी दुनिया की आबादी इसी प्रवृत्ति का अनुसरण करे, तो इस अतिरिक्त वजन को सहारा देने के लिए ४८१ प्रतिशत ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होगी ।
इसी बात को अलग ढंग से देखें, तो एक टन मानव जैव पदार्थ का मतलब होता है १२ उत्तरी अमरीकी व्यक्ति या १७ एशियाई व्यक्ति अर्थात भोजन के मामले में अमरीकी एशियावालों से आगे है ।
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