गुरुवार, 8 नवंबर 2007

संपादकीय

ग्लोबल फेस्टिवल दीपावली
आजकल दीपावली ग्लोबल फेस्टिवल है । दीपावली रोम से लेकर यूनान और लंदन से लेकर न्यूयार्क तक में मनायी जा रही है । इसकी वजह यह है कि धन दुनिया के हर इंसान को प्रिय होता है फिर चाहे वह जिस धर्म या समाज से रिश्ता रखता हो । दीपावली मेंधन की देवी लक्ष्मी की पूजा होती है जो इंसान की स्वाभाविक चेतना का हिस्सा है, इसलिए यह लक्ष्मी सिर्फ हमारी ही देवी या आराध्या नहीं है बल्कि अलग-अलग नामों से धन की देवी की आराधना सभी धर्मो और समाजों में होती है । यही कारण है कि भारत की ही तरह रोम में भी दीपज्योति जलाकर देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है । हालांकि दोनों में फर्क भी हैं, हम भारत में जिसे लक्ष्मी कहते हैं रोम में उसे ज्योति की देवी वेस्ता कहते हैं । रोम की ही तरह यूनान भी प्राचीन सभ्यता व संस्कृति का केन्द्र है । यहां भी लक्ष्मी की पूजा होती है । यहां लक्ष्मी को कृषि एवं सामाजिक संपन्नता की देवी री के रूप में जाना जाता है । री देवी की पूजा धूमधाम से की जाती है तथा इस रात यहां भी चारों और दीपावली के समान ही दीपों को जलाया जाता है । भारत की लक्ष्मी और एथेंस की देवी एथेना में तो इतनी साम्यता है कि लगता है जैसे लक्ष्मी का ही व्यापक संस्करण एथेना है । एथेना प्राचीन यूनान की महालक्ष्मी के रूप में प्रतिष्ठित है । भारत की लक्ष्मी की ही तरह एथेना का वाहन भी उल्लू है । यहां की महिलाएं महालक्ष्मी एथेना की उपासना करती हैं । वे मंदिरों में जाकर दीप जलाती है तथा लिली के पीले फूल चढ़ाती है । कंबोडिया में अंकोरवाट के विशालकाय विष्णु मंदिर में लोग दीपावली की तरह जीवन ज्योति देवी की पूजा दीप जलाकर करते हैं । मान्यता है कि जीवन ज्योति की पूजा करने वाला अभवग्रस्त नही रहता । इसके अलावा इंडोनेशिया के बाली द्वीप में लक्ष्मी की पूजा धान पैदा करने वाली देवी के रूप में की जाती है । भारत के पड़ोसी श्रीलंका में वहां के लोग देवी लंकिनी की पूजा करते हैं । देवी लंकिनी को भी वैभव एवं ऐश्वर्य की देवी मानकर पूजा की जाती है । सूडान यूं तो इस्लामी देश है लेकिन वहां भी दीपावली में देवी मूर्तिजा की पूजा की परंपरा है । इसके अलावा नेपाल, थाइलैंड, जावा, सुमात्रा, मारीशस, गुयाना, दक्षिण अफ्रीका और जापान आदि देशों में भी अनेक रूपों में लक्ष्मी की पूजा की जाती हैं ।

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