भारत में सिंचाई क्षेत्र की क्षमता में लगातार वृद्धि
पर्यावरण डाइजेस्ट के दिसम्बर ०७ अंक में प्रकाशित संपादकीय सामग्री में सिंचित क्षेत्र मेंकमी के आंकड़ों पर कुछ जागरूक पाठको ने हमारा ध्यान आकर्षित किया है । वास्तव में यह सामग्री सर्वोदय प्रेस सर्विस (सप्रेस) के १९ अक्टूबर ०७ के बुलेटिन से ली गयी थी । सप्रेस ने इसे बांधों, नदियों एवं लोगों का दक्षिण एशिया नेटवर्क द्वारा जारी विज्ञिप्त् एवं रिपोर्ट के आधार पर जारी किया था । हम अपने पाठकों को सही जानकारी मिल सके इस हेतु भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़े सविस्तार दे रहे हैं । भारत सरकार के एक दस्तावेज में कहा गया है कि मौजूद प्रणालियों को सुदृढ़ करने के साथ-साथ सिंचाई सुविधाआे का विस्तार खाद्यान उत्पादन बढ़ाने की रणनीति का एक प्रमुख हिस्सा रहा है । सिंचाई सुविधा के प्रणालीबद्ध विकास के साथ बड़ी मध्यम और छोटी सिंचाई परियोजनाआे की कुल क्षमता १९५१ में २२.६ मिलियन हेक्टेयर (एम.एच.ए.) से बढ़कर वर्ष २००४-०५ के अंत तक लगभग ९८.८४ मिलियन हेक्टेयर हो गयी है । इसमें २००० में १०,००० हेक्टेयर के बीच के क्षेत्र मध्यम परियोजना और १०,००० हेक्टेयर से ऊपर के क्षेत्र बड़ी परियोजनाआे के अंतर्गत आते है । दसवींयोजना की शुरूआत में १६२ बड़ी परियोजनायें थी जिन पर कुल व्यय १४०९६८.७९ करोड़ रूपये अनुमानित था, जबकि २२१ मध्यम परियोजनाआे पर १२७६८.७७ करोड़ रूपये व्यय तथा ८५ विस्तार नवीनीकरण और आधुनिकीकरण परियोजनाआेपर २१२५६.५० करोड़ रूपये कुल व्यय होने का अनुमान था ।
आशा है हमारे पाठकों को इससे सही जानकारी प्राप्त् हो गयी होगी । इसी प्रकार जागरूक पाठकों से पत्रिका की संपादकीय सामग्री पर उनके विचार आमंत्रित है ।-प्र. संपादक
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