`थाली में जहर' जीएम खाद्य के खिलाफ फिल्म'
आनुवांशिकी रूप से परिवर्तित ख़ाद्य पदार्थ (जीएम) के खिलाफ देश भर में विरोध और बहस छिड़ी हुई है । ऐसे में फिल्मकार महेश भट्ट इस विषय पर फिल्म पेश कर रहे हैं, `पॉइजन ऑन द प्लैट' (थाली में जहर) । हम जिस सामंती समाज में रहते हैं, वहाँ हमेशा से ही चेतावनी देने वालों के स्वर दबा दिए जाते हैं । जीएम खाद्य पदार्थोंा के खिलाफ सचेत होने का यही सही समय है । ये उत्पाद एक नस्ल की जीन को दूसरी में रोपित कर बनाए जाते हैं । सारी प्रक्रिया कृत्रिम और कुदरत के विरूद्ध होती है । फिल्म उन लोगों के लिए बनाई है, जो इस मुद्दे पर लड़ाई लड़ रहे हैं । यह मुद्दा एचआईवी, चक्रवात आतंकवाद और भारत में मुस्लिम के मुद्दे से कही बड़ा है । श्री भट्ट का कहना है कि अनुवांशिकी रूप से परिवर्तित खाद्य पदार्थ एक तरह से जैविक आतंकवाद की श्रेणी में आता है । इसलिए लोगों तक इसकी जानकारी पहुँचाना बेहद जरूरी है । जीएम खाद पदार्थो के परीक्षण से पता चलता है कि ये मस्तिष्क, फेफड़े, लीवर, किडनी, आँते सभी को प्रभावित कर सकते हैं, वैज्ञानिक प्रभावित कर सकते है, वैज्ञानिक देविंदर शर्मा का कहना है कि केवलअमेरिका, ब्राजील और अर्जेटीना में इसकी खपत है । भारत में इसके आयात की अनुमति नहीं है, लेकिन फिर भी अधिकांश पश्चिमी आउटलेट से यह भारत में प्रवेश करता सकता है ।सेब के छिलके से तैयार हुई खाद हिमाचल प्रदेश में सेब अब जूस, जैम और शराब तैयार करने के बाद भी काम आएगा । हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग कारपोरेशन (एचपीएमसी) ने एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी पालमपुर और पंजाब के लुधियाना की ईस्ट लैंड ऑर्गेनिक कंपनी के सहयोग से सेब के वेस्ट वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार करने में सफलता हासिल की है । यह सब्जी की पैदावार बढ़ाने में सहायक है । पहले चरण में सेब वेस्ट से वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन एचपीएमसी के युनिट में किया जा रहा है । एक वर्ष में १२०० से १५०० मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य है । अगले चरण में शिमला के गुम्मा और अन्य केंन्द्रो में वर्मी कम्पोस्ट तैयार की जाएगी । ***
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