चाँद पर पानी के नये प्रमाण
(हमारे विशेष संवाददाता द्वारा )
पिछले दिनों भारत के पहले महत्वाकांक्षी चाँद मिशन चंद्रयान प्रथम ने चाँद की सतह पर पानी उपलब्ध होने के सबूत खोजे हैं । अध्ययन में इसरो के दो वैज्ञानिकों जेएन गोस्वामी और मिलस्वामी अन्नादुराई ने अहम् भूमिका निभाई । चंद्रयान के परियोजना निदेशक श्री अन्नादुराई ने कहा कि हमारी परियोजना सफल रही है । वैज्ञानिकों ने यह घोषणा करते हुए बताया कि चंद्रयान पर मौजूद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के उपकरण मून माइनरोलाजी मैपर एम (३) ने चाँद की सतह पर ऐसी लहरों की पहचान की है जिससे चाँद पर पानी की मौजूदगी प्रतीत होती है । चाँद की सतह पर हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की बारीक परत है जिससे साबित होता है कि वहां पानी है । एम३ ने स्पष्ट किया है कि जो डाटा है उससे स्पष्ट है कि चाँद पर पानी है। इस खोज से चार दशकों का असमंजस स्पष्ट हो गया है । मैरीलैंड विवि के जेसिका सनशाइन और उनके सहयोगियों ने चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी का प्रदर्शन करने के लिए इम्पैक्ट अंतरिक्ष यान से प्राप्त् इंफ्रारेड मानचित्रण का सहारा लिया । अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग के रोजर क्लार्क और उनके सहयोगियो ने चंद्रमा पर मौजूद पानी की पहचान के लिए कैसिनी अंतरिक्ष यान से प्राप्त् चित्रमापी का इस्तेमाल किया जो तत्वों और रसायनों के विश्लेषण के लिए प्रकाश किरणों को अलग करता है । वैज्ञानिकों के अनुसार मुख्य रूप से चंद्रमा के ध्रुवों पर केंद्रित पानी के अंश संभवत: सौर आंधी के कारण निर्मित हुए होंगें । पानी का यह अंश चंद्रमा पर धूल के कणों के साथ मिलकर इधर-उधर होता होगा । वैज्ञानिकों ने चार दशक पहले वहाँ से लाए गए चट्टान के टुकड़ों के नमूनों की जाँच की थी जिसमें चाँद पर पानी होने की संभावना व्यक्त की गई थी और तब से इस बारे में शीर्ष वैैज्ञानिक शोध कार्य में जुटे हुए थे । लेकिन जिस बॉक्स में रखकर चाँद से चट्टान के टुकड़े को लाया गया था उसके हवा के संपर्क में आने के कारण वैज्ञानिकों को उसकी शुद्घता पर संदेह था । हवाई विवि के पाल ल्यूरे ने लिखा है कि वर्तमान में चंद्रमा पर पानी होने के बारे में जो खोज की, उससे अलग वहाँ ऐसे क्षेत्र भी मौजूद हो सकते हैं जहाँ पानी अधिक मात्रा में मौजद हो । ऐसा भी संभव हो सकता है कि चंद्रमा से लाए गए नमूनों में दुलर्भ पानी से संबंधित खनिज होने का जो दावा किया गया था वह सही में मौजूद हो लेकिन उसके बारे में बाद में यह कह दिया गया कि पृथ्वी पर प्रदूषित होने के कारण उसमें वह खनिज तत्व मिल गए । चंद्रयान-१ की सफलता के बाद अब इसरो चांद पर खुदाई की योजना बना रहा है । खुदाई का काम चंद्रयान-२ करेगा इसरो के प्रमुख जी माधवन नायर ने कहा है कि चाँद से पानी निकालना संभव है । चंद्रयान-१ ने जून में ही चांद पर पानी मिलने के संकेत भेज दिए थे । लेकिन उसका उस वक्त खुलासा नहीं किया गया । अपने अभियान को चंद्रयान-१ ने सफलता पूर्वक अंजाम तक पहुंचाया है । लंबे अनुसंधान और दूसरे अमेरिकी सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों के अध्ययन के बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुचे कि चांद पर पानी मौजूद है । नासा ने कहा कि इसरो की वजह से ही इतनी बड़ी सफलता हाथ लगी है । नासा चांद पर पानी ढूंढने के मिशन में पिछले कई दशकों से जुटा था । लेकिन कामयाबी इसरो ने दिलाई । गौरतलब है कि इसरो के चंद्रयान के साथ नासा का एक उपकरण मून मिनरोलॉजी मैपर भी भेजा गया था । इसी उपकरण ने पानी का पता लगाया । नासा के निदेशक जिम ग्रीन ने औपचारिक तौर पर घोषणा करते हुए कहा कि चंद्रयान के साथ तीन उपकरण थे जिसमें अमेरिकी उपकरण एमक्यू भी था। इसने जो जानकारी दी वो चौंकाने वाली है नासा के निदेशक ने कहा कि दशकों पहले अंतरिक्ष यान अपोलो से लाए चट्टानों की स्टडी के बाद ऐसा लगा कि चांद मरूस्थल की तरह है । फिर ९० के दशक में लूनर प्रासपेक्टर ने जो तस्वीरें भेजी उससे लगा कि कुछ हिस्सों में पानी के अंश हैं पर ये न के बराबर हैं । लेकिन चंद्रयान के जरिए जो जानकारी मिली है उससे साफ है कि वहां पानी है । हालांकि जिम ने साफ कर दिया कि चांद पर कितना पानी है इसका सही अंदाजा गहराई से जांच के बाद पता चलेगा लेकिन एक आकलन के मुताबिक एक हजार पाउंड मिट्टी और चट्टानों से १६ आउंस पानी निकल सकता है जो दो चम्मच के बराबर है । चंद्रयान को अक्टूबर २००८ में श्री हरिकोटा के प्रक्षेपण केंद्र से लाँच किया गया था । चंद्रयान पर कुल ११ उपकरण थे जिनमें से छह विदेशी एजेंसियों के थे । दो अमेरिकी, तीन यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और एक बुल्गारिया का उपकरण । बाकी के पांच उपकरण भारतीय थे जिन्हें इसरो ने तैयार किया था । इसरो का ये मिशन आज ऐतिहासिक साबित हो गया और दुनिया भर में देश का परचम लहरा गया । ***
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