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खाद्य सुरक्षा एवं मानक निर्धारण अधिनियम लागू
खाद्य सुरक्षा एवं मानक निर्धारण अधिनियम लागू
हमारे विशेष संवाददाता द्वारा
पिछले दिनों देश भर में बिक रही मिलावटी खाद्य सामग्रियों पर अंकुश लगाने खाद्य एवं औषधि प्रशासन का नया एक्ट खाद्य सुरक्षा एवं मानक निर्धारण अधिनियम २००६ पूरे देश में प्रभावशील हो गया है । इस के लागू होने के बाद मिलावटी खाद्य सामग्रियों को बेचने वाले व्यापारियों के पर कतरे जाएंगे, वहीं बिक रहे मिलावटी खाद्य सामग्री जैसे सिंथेटिक मावे, मसालों, मिठाई, ब्रेड, नमकीन, बेसन, आटा, मैदा आदि की सेहत भी सुधरेगी । खास बात तो यह है कि मिलावटखोरी करने वालों को सजा के तौर पर १० लाख रूपए तक जुर्माना भी भरना पड़ सकता है ।
नए एक्ट के अनुसार सेंपल जांच में मिलावटी या मिथ्याछाप पाए जाने पर डेजिगनटेड ऑफिसर के पास प्रकरण जाएगा । इसके बाद डीओ इस मामले में अपनी ओर से धाराएं व अन्य विवरण तैयार कर उसे जुर्माने व सजा के लिए एडीएम की ओर प्रेषित करेगा । एडीएम ही फायनल अर्थारिटी होंगे जो प्रकरण में जुर्माना तय करेंगे ।
खाद्य सुरक्षा एवं मानक निर्धारण अधिनियम २००६ से लागू होने से पहले खाद्य अपमिश्रण अधिनियम १९५४ प्रभावशील था । इस अधिनियम की सबसे बड़ी खामी, सेंपल का प्रयोगशाला जांच में मिलावटी पाए जाने के बाद उसके केस को सिविल कोर्ट में लगाया जाता था । हालांकि न्याय तो उस प्रक्रिया में मिलता था लेकिन तब तक मिलावट का कारोबार कई गुना बढ़ चुका होता था । इसके अतिरिक्त ४० दिन के भीतर सेपलों की जांच रिपोर्ट आना, कोर्ट का फैसला न आने तक खाद्य पदार्थ के निर्माण कार्य पर रोक न लगा सकने जैसी समस्याएं सामने आती थी ।
एक्ट में बदलावा -
अब तीन की बजाय चार सेंपल लेगा खाद्य सुरक्षा अधिकारी, खाद्य निरीक्षकों को खाद्य सुरक्षा अधिकारी कहा जाएगा । सेंपल की जांच रिपोर्ट १४ दिन में आएगी और आगे की कार्यवाही भी शीघ्रता से होगी ।
नए एक्ट के अनुसार सेंपल जांच में मिलावटी या मिथ्याछाप पाए जाने पर डेजिगनटेड ऑफिसर के पास प्रकरण जाएगा । इसके बाद डीओ इस मामले में अपनी ओर से धाराएं व अन्य विवरण तैयार कर उसे जुर्माने व सजा के लिए एडीएम की ओर प्रेषित करेगा । एडीएम ही फायनल अर्थारिटी होंगे जो प्रकरण में जुर्माना तय करेंगे ।
खाद्य सुरक्षा एवं मानक निर्धारण अधिनियम २००६ से लागू होने से पहले खाद्य अपमिश्रण अधिनियम १९५४ प्रभावशील था । इस अधिनियम की सबसे बड़ी खामी, सेंपल का प्रयोगशाला जांच में मिलावटी पाए जाने के बाद उसके केस को सिविल कोर्ट में लगाया जाता था । हालांकि न्याय तो उस प्रक्रिया में मिलता था लेकिन तब तक मिलावट का कारोबार कई गुना बढ़ चुका होता था । इसके अतिरिक्त ४० दिन के भीतर सेपलों की जांच रिपोर्ट आना, कोर्ट का फैसला न आने तक खाद्य पदार्थ के निर्माण कार्य पर रोक न लगा सकने जैसी समस्याएं सामने आती थी ।
एक्ट में बदलावा -
अब तीन की बजाय चार सेंपल लेगा खाद्य सुरक्षा अधिकारी, खाद्य निरीक्षकों को खाद्य सुरक्षा अधिकारी कहा जाएगा । सेंपल की जांच रिपोर्ट १४ दिन में आएगी और आगे की कार्यवाही भी शीघ्रता से होगी ।
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