पर्यावरण समाचार
यूको पर्यावरणीय क्षति के लिए जिम्मेदार नहीं
एक अमेरिकी अदालत ने विश्व की भीषणतम भोपाल गैस त्रासदी से भोपाल में पानी और जमीन को हुए नुकसान के लिए यूनियन कार्बाइड को दोषी मानने से इंकार कर दिया है । अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि कंपनी के भोपाल संयंत्र से पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए न तो यूनियन कार्बाइड और न ही उसके तत्कालीन चेयरमैन वारेन एंडरसन जिम्मेदार है ।
पिछले दिनों मेनहट्टन के जिला न्यायाधीश जॉन कीना ने १९८४ की भोपाल गैस त्रासदी के कारण मिट्टी और पानी में फैले प्रदूषण के लिए कंपनी को जिम्मेदार बताने वाली याचिका खारिज कर दी । अदालत ने कहा कि पर्यावरण से संबंधित नुकसान की भरपाई का यूनियन कार्बाइड या एंडरसन पर कोई दायित्व नहींहै । संयंत्र के अवशिष्टोंके कारण पेयजल दूषित होने के लिए यूनियन कार्बाइड इंडिया लि. (यूसीआईएल) जिम्मेदार है, न कि पितृ कंपनी यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन (यूसीसी) । अदालत ने यह भी कहा कि पर्यावरण को पहुँची क्षति के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है । परिवादी जानकीबाई साहू व अन्य ने अमेरिकी अदालत में याचिका दायर की थी ।
याचिका में कहा गया था कि संयंत्र के विषैले तत्वों के जलीय चट्टानों में रिसाव के कारण मिट्टी और पेयजल दूषित हुआ । इससे संयंत्र के आसपास की बस्तियों के रहवासियोंमें बीमारियाँ फैली। अदालत ने अपने फैसले मेंकहा कि इस बात के कोई सबूत नहींमिले हैं कि यूसीआईएल अपनी पितृ कंपनी के लिए कीटनाशक बना रही थी या उसने यूसीसी के नाम का उपयोग करते हुए कोई व्यावसायिक अनुबंध किया अथवा कोई अन्य काम किया । न्यायमूर्ति श्री कीन ने कहा कि ऐसे मेंयूसीसी ने तो सीधे तौर पर और न ही यूसीआईएल के एक एजेंट के रूप मेंपर्यावरण क्षति की भरपाई के लिए जिम्मेदार है । २-३ दिसम्बर १९८४ की दरमियानी रात में भोपाल में जहरीली गैस-मिथाइल आइसोसइनेट के रिसाव से हजारों लोगों की मौत हो गई थी । यह विश्व और भारत का भीषणतम औद्योगिक हादसा था ।
यूको पर्यावरणीय क्षति के लिए जिम्मेदार नहीं
एक अमेरिकी अदालत ने विश्व की भीषणतम भोपाल गैस त्रासदी से भोपाल में पानी और जमीन को हुए नुकसान के लिए यूनियन कार्बाइड को दोषी मानने से इंकार कर दिया है । अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि कंपनी के भोपाल संयंत्र से पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए न तो यूनियन कार्बाइड और न ही उसके तत्कालीन चेयरमैन वारेन एंडरसन जिम्मेदार है ।
पिछले दिनों मेनहट्टन के जिला न्यायाधीश जॉन कीना ने १९८४ की भोपाल गैस त्रासदी के कारण मिट्टी और पानी में फैले प्रदूषण के लिए कंपनी को जिम्मेदार बताने वाली याचिका खारिज कर दी । अदालत ने कहा कि पर्यावरण से संबंधित नुकसान की भरपाई का यूनियन कार्बाइड या एंडरसन पर कोई दायित्व नहींहै । संयंत्र के अवशिष्टोंके कारण पेयजल दूषित होने के लिए यूनियन कार्बाइड इंडिया लि. (यूसीआईएल) जिम्मेदार है, न कि पितृ कंपनी यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन (यूसीसी) । अदालत ने यह भी कहा कि पर्यावरण को पहुँची क्षति के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है । परिवादी जानकीबाई साहू व अन्य ने अमेरिकी अदालत में याचिका दायर की थी ।
याचिका में कहा गया था कि संयंत्र के विषैले तत्वों के जलीय चट्टानों में रिसाव के कारण मिट्टी और पेयजल दूषित हुआ । इससे संयंत्र के आसपास की बस्तियों के रहवासियोंमें बीमारियाँ फैली। अदालत ने अपने फैसले मेंकहा कि इस बात के कोई सबूत नहींमिले हैं कि यूसीआईएल अपनी पितृ कंपनी के लिए कीटनाशक बना रही थी या उसने यूसीसी के नाम का उपयोग करते हुए कोई व्यावसायिक अनुबंध किया अथवा कोई अन्य काम किया । न्यायमूर्ति श्री कीन ने कहा कि ऐसे मेंयूसीसी ने तो सीधे तौर पर और न ही यूसीआईएल के एक एजेंट के रूप मेंपर्यावरण क्षति की भरपाई के लिए जिम्मेदार है । २-३ दिसम्बर १९८४ की दरमियानी रात में भोपाल में जहरीली गैस-मिथाइल आइसोसइनेट के रिसाव से हजारों लोगों की मौत हो गई थी । यह विश्व और भारत का भीषणतम औद्योगिक हादसा था ।
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