प्रसंगवश
बुद्धि पर जीन्स का असर कितना है ?
यह पुरानी बहस है कि बुद्धि में कितना योगदान अनुवांशिकता का है और कितना योगदान परवरिश का है । एक ताजा अध्ययन में यह दर्शाया गया है कि एक जीन है जो बुद्धि को सीधे प्रभावित करता है । यह प्रभाव आज तक आंके गए किसी भी जीन के प्रभाव से अधिक है मगर यह भी बहुत कम है ।
यह तो कई वैज्ञानिक मानते हैं कि बुद्धि पर जिनेटिक्स का काफी असर होता है मगर साथ ही यह भी स्पष्ट है कि कोई अकेला जीन बुद्धि का निर्धारक नहीं है बल्कि इसमें सैकड़ों जीन्स का योगदान होता है ।
एक ताजा अध्ययन २०,००० से ज्यादा लोगों के एमआरआई ब्रेन स्कैन और डीएनए सैम्पल पर आधारित है । केलिफोर्निया विश्वविघालय के पौल थॉमसन के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में अंतत: एक ऐसा जीन खोजा गया है जिसका बुद्धि पर मापन योग्य असर होता है । मगर कचऋअ२ नामक यह जीन किसी व्यक्ति के आईक्यू में अधिक से अधिक १.२९ पॉइंट का बदलाव लाता है । यहां खोदा पहाड़ निकली चुहिया कहावत की याद आती है ।
कचऋअ२ नामक इस जीन का संबंध पहले कद के साथ देखा गया था । टीम ने पाया कि इसी जीन में एक स्थान पर सायटोसीन नामक क्षार की जगह थायमीन से ही तो आईक्यू में अंतर पैदा होता है । टीम का मानना है कि सायटोसीन हो तो जीन सकारात्मक प्रभाव पैदा करता है । जीन में उस स्थान विशेष पर सायटोसीन क्षार हो तो भेजे का आयतन भी बढ़ता है - औसत साइज से ०.५८ प्रतिशत बड़ा भेजा इसका परिणाम हो सकता है । दरअसल, भेजे की साइज पर इसके असर को देखते हुए ही शोधकर्ता को यह सूझा था कि इस परिवर्तन का असर बुद्धि पर भी देंखे ।
निष्कर्ष है कि यदि किसी व्यक्ति को माता-पिता दोनों से जीन का वह रूप मिले जिसमें संबंधित स्थान पर सायटोसीन क्षार हो तो उसका असर दुगना होता है (यानी उनका आईक्यू औसत से २.६ प्रतिशत तक ज्यादा हो सकता है) ।
अन्य शोधकर्ताआें का मत है कि इस अध्ययन से स्पष्ट है कि एक जीन बुद्धि पर बहुत ज्यादा असर नहीं डालता और बुद्धि का नियंत्रण व विकास न सिर्फ कई जीन्स पर बल्कि उसके पर्यावरण पर भी निर्भर करता है ।
यह पुरानी बहस है कि बुद्धि में कितना योगदान अनुवांशिकता का है और कितना योगदान परवरिश का है । एक ताजा अध्ययन में यह दर्शाया गया है कि एक जीन है जो बुद्धि को सीधे प्रभावित करता है । यह प्रभाव आज तक आंके गए किसी भी जीन के प्रभाव से अधिक है मगर यह भी बहुत कम है ।
यह तो कई वैज्ञानिक मानते हैं कि बुद्धि पर जिनेटिक्स का काफी असर होता है मगर साथ ही यह भी स्पष्ट है कि कोई अकेला जीन बुद्धि का निर्धारक नहीं है बल्कि इसमें सैकड़ों जीन्स का योगदान होता है ।
एक ताजा अध्ययन २०,००० से ज्यादा लोगों के एमआरआई ब्रेन स्कैन और डीएनए सैम्पल पर आधारित है । केलिफोर्निया विश्वविघालय के पौल थॉमसन के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में अंतत: एक ऐसा जीन खोजा गया है जिसका बुद्धि पर मापन योग्य असर होता है । मगर कचऋअ२ नामक यह जीन किसी व्यक्ति के आईक्यू में अधिक से अधिक १.२९ पॉइंट का बदलाव लाता है । यहां खोदा पहाड़ निकली चुहिया कहावत की याद आती है ।
कचऋअ२ नामक इस जीन का संबंध पहले कद के साथ देखा गया था । टीम ने पाया कि इसी जीन में एक स्थान पर सायटोसीन नामक क्षार की जगह थायमीन से ही तो आईक्यू में अंतर पैदा होता है । टीम का मानना है कि सायटोसीन हो तो जीन सकारात्मक प्रभाव पैदा करता है । जीन में उस स्थान विशेष पर सायटोसीन क्षार हो तो भेजे का आयतन भी बढ़ता है - औसत साइज से ०.५८ प्रतिशत बड़ा भेजा इसका परिणाम हो सकता है । दरअसल, भेजे की साइज पर इसके असर को देखते हुए ही शोधकर्ता को यह सूझा था कि इस परिवर्तन का असर बुद्धि पर भी देंखे ।
निष्कर्ष है कि यदि किसी व्यक्ति को माता-पिता दोनों से जीन का वह रूप मिले जिसमें संबंधित स्थान पर सायटोसीन क्षार हो तो उसका असर दुगना होता है (यानी उनका आईक्यू औसत से २.६ प्रतिशत तक ज्यादा हो सकता है) ।
अन्य शोधकर्ताआें का मत है कि इस अध्ययन से स्पष्ट है कि एक जीन बुद्धि पर बहुत ज्यादा असर नहीं डालता और बुद्धि का नियंत्रण व विकास न सिर्फ कई जीन्स पर बल्कि उसके पर्यावरण पर भी निर्भर करता है ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें