मंगलवार, 14 मई 2013

प्रसंगवश
बूंद बंूद से घट भरे
    देश में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता चितांजनक स्तर तक पहुंचने के बीच केन्द्र सरकार ने पिछले दिनों नई जल नीति को मंजूरी दे दी है । सरकारी प्रयासों के अलावा हमको भी जल को राष्ट्रीय संपदा समझते हुए प्रत्येक बूंद की हिफाजत का संकल्प लेना चाहिए ।
    सन् १९५१ में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता ५,१७७ क्यूबिक मीटर थी । २०११ में यह घटकर १५.४५ क्यूबिक मीटर हो गई । इसमें लगातार गिरावट के चलते २०२५ तक १,३४१एवं २०५० तक १,१४० क्यूबिक मीटर तक घटने की आशंका है । नई जल नीति में मांग के अनुरूप जल उपलब्धता को बरकरार रखने की चुनौती एवं विशेष रूप से कृषि कार्योके लिए जल भंडारण की क्षमता को सुधारने पर बल दिया गया है । उल्लेखनीय है कि जल उपयोग का ८० प्रतिशत खेती के कामों में उपयोग होता है । इस नीति में पहली बार जलवायु परिवर्तन के खतरे एवं जल सुरक्षा की चर्चा करते हुए अगले तीन-चार दशकों के लिए व्यापक दृष्टिकोण का खाका तैयार किया गया है । इससे पहले राष्ट्रीय जल नीति २००२ में बनाई गई थी ।
    देश में वर्तमान जल भण्डारण क्षमता २५३ बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है । भंडारण की क्षमता समेत बहुउद्देशीय पनबिजली प्रोजक्टों की योजनाआें के जरिए २०५० तक इसको ४०८ बीसीएम तक पहुंचाया जा सकता है । यद्यपि उस अवधि तक विभिन्न सेक्टरों की पूर्ति के लिए ४५० बीसीएम जल भण्डारण क्षमता की आवश्यकता होगी । देश में प्रति व्यक्ति जल भंडारण क्षमता २०९ क्यूबिक मीटर है । अमेरिका में यह २,१९२ एवं ब्राजील में २,६३२ क्यूबिक मीटर है । चीन में यह आंकड़ा ४१६ क्यूबिक मीटर है ।
    जल संरक्षण के प्रयास के लिए निजी कंपनियां भी आगे आ रही है । इस कार्यक्रम के तहत हिन्दुस्तान युनीलीवर कंपनी ने भारत जल निकाय का गठन किया है । इसके लिए शुरूआत में २० करोड़ का बजट तय किया गया है । इस प्रोजेक्ट के तहत वर्ष २०१५ तक ५० अरब लीटर से भी ज्यादा जल संरक्षण का प्रस्ताव है । लोगोंके बेहतर स्वास्थ्य एवं सफाई के लिए जरूरी न्यूनतम गुणवत्तापरक जल को उपलब्ध कराने के लिए हर राज्य में इस तरह की अथॉरिटी के गठन का प्रस्ताव है ।

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