गांधीजकी की दृष्टि में भारतीय लोकतंत्र
सर्वोच्च् कोटि की स्वतंत्रता के साथ सर्वोच्च् कोटि का अनुशासन और विनय होता है । अनुशासन और विनय से मिलने वाली स्वतंत्रता को कोई छीन नहीं सकता । संयमहीन स्वच्छंदता, संस्कारहीनता की द्योतक है, उससे व्यक्ति की अपनी और पड़ोसियों की भी हानि होती है । यंग इंडिया, ३-६-२६ कोई भी मनुष्य की बनाई हुई संस्था ऐसी नहीं है, जिसमें खतरा न हो । संस्था जितनी बड़ी होगी, उसके दुरूपयोग की संभावनाएं भी उतनी ही बड़ी होगी । लोकतंत्र एक बड़ी संस्था हैं, इसलिए उसका दुरूपयोग भी बहुत हो सकता है, लेकिन उसका इलाज लोकतंत्र से बचना नहीं, बल्कि दुरूपयोग की संभावना को कम से कम करना है ।यंग इंडिया ७-५-३१ जनता की राय के अनुसार चलने वाला राज्य जनमत से आगे बढ़कर कोई काम नहीं कर सकता । यदि वह जनमत के खिलाफ जाएगा तो नष्ट हो जाएगा । अनुशासन और विवेकयुक्त जनतंत्र दुनिया की सबसे सुन्दर वस्तु है, लेकिन राग-द्वेष, अज्ञान और अंधविश्वास आदि दुर्गुणों से ग्रस्त जनतंत्र अराजकात के गड्डे में गिरता है और अपना नाश खुद कर डालता हैं ।यंग इंडिया, ३०-७-३१ प्रजातंत्र का सार ही यह है कि उसमें हर व्यक्ति उन विविध स्वार्थो का प्रतिनिधित्व करता है, जिनसे राष्ट्र बनता है । यह सच है कि इसका यह मतलब नहीं कि विशेष स्वार्थो के विशेष प्रतिनिधियों का प्रतिनिधित्व करने से रोक दिया जाये, लेकिन ऐसा प्रतिनिधित्व उनकी कसौटी नहीं है । यह उसकी अपूर्णता की एक निशानी है ।हरिजन सेवक २२.४.३९ आजाद प्रजातांत्रिक भारत आक्रमण के खिलाफ पारस्परिक रक्षण और आर्थिक सहकार के लिये दूसरे आजाद देशों के साथ खुशी से सहयोग करेगा । वह आजादी और जनतंत्र पर आधारित ऐसी विश्व व्यवस्था की स्थापना के लिये काम करेगा, जो मानव जाति की प्रगति और विकास के लिये दुनिया के समूचे ज्ञान और उसकी समूची साधन सम्पत्ति का उपयोग करेगा ।
हरिजन २३.९.२९
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