शुक्रवार, 19 सितंबर 2008

७ खास खबर


खास खबर
राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस घोषित करने की मांग
(विशेष संवाददाता)
खेजड़ली के शहीदों की स्मृति को सम्मान देने और नयी पीढ़ी को इस बलिदानी घटना से परिचित कराने के लिये पर्यावरण डाइजेस्ट ने अपने शुरूआती दौर से ही प्रयास प्रारंभ कर दिये थे । इस शहीदी दिवस को देश का पर्यावरण दिवस बनाये जाने के लिये अनेक स्तरों पर लोक चेतना अभियान चलाया गया । इसी क्रम में पत्रिका के सम्पादक ने पिछले दिनों राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल से भेंट कर इसमें उनके सहयोग, समर्थन और आशीर्वाद मांगा । राष्ट्रपति भवन में २१ अगस्त २००८ को सौजन्य भेंट के दौरान राष्ट्रपति को सौंपे गये ज्ञापन तथा यूनिवार्ता समाचार एजेन्सी द्वारा २१ अगस्त को ही दिल्ली में प्रसारित समाचार को हम पाठकों की जानकारी के लिये अविकल रूप में दे रहे हैं ।
डॉ. खुशालसिंह पुरोहितएम.ए.,पी-एच.डी.,डी.लिट्.पर्यावरणविद्सम्पादक, मासिक पर्यावरण डाइजेस्ट
समन्वय, १९- पत्रकार कॉलोनीरतलाम (म.प्र.) ४५७ ००१दूरभाष : (०७४१२)२३१५४६मोबा. : ९४२५०- ७८०९८ई-मेल : kspurohit@rediffmail.com
क्र. ०१ दि. २१.०८.०८
प्रतिष्ठा में ,
महामहिम श्रीमती प्रतिभा पाटिल
भारत की राष्ट्रपति राष्ट्रपति भवन,
नई दिल्ली
विषय : खेजड़ली में प्रकृति रक्षार्थ शहीद हुए ३६३ बिश्नोईयों के बलिदान दिवस २१ सितम्बर को भारत का पर्यावरण दिवस घोषित करने विषयक ।
महोदय,
भारतीय जनमानस में पर्यावरण संरक्षण की चेतना और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों की परम्परा सदियों पुरानी है । हमारे धर्मग्रंथों, हमारी लोक कथाआें और हमारी जातीय परम्पराआें ने हमेशा हमें प्रकृति मित्र बनने की प्रेरणा दी है । प्राचीन काल में प्रकृतिसंरक्षण हमारी जीवन शैली में सर्वोच्च् प्राथमिकता का विषय रहा है । प्रकृति संरक्षण के पुनीत उद्देश्य के लिये प्राणोत्सर्ग की घटनाआें ने समूचे विश्व में भारत के प्रकृति प्रेम का परचम फहराया है । अमृतादेवी और पर्यावरण रक्षक बिश्नोई समाज की पेड़ रक्षा में अपने प्राणों का बलिदान करने की घटना हमारे राष्ट्रीय इतिहास में स्वर्णिम पृष्ठों में अंकित है । सन् १७३० में राजस्थान के जोधपुर राज्य के छोटे से गांव खेजड़ली में घटित इस घटना की विश्व में कोई सानी नहीं है । यह घटना गुरूवार २१ सितम्बर १७३० (भाद्रपद श्ुाक्ला दशमी, विक्रम संवत् १७८७) की है । प्रकृति प्रेमी महिला अमृता देवी के नेतृत्व में एक खेजड़ी के पेड़ को कटने से बचाने के लिये ३६३ बिश्नोईयों ( ६९ महिलायें एवं २९४ पुरूषों) ने अपने प्राणों की आहूति दे दी थी । बिश्नोई समाज का यह बलिदानी कार्य आने वाली अनेक शताब्दियों तक प्रकृतिप्रेमियों में नयी प्रेरणा और उत्साह का संचार करता रहेगा । इसमें जरूरी होगा इसकी स्मृति और स्पंदन को नयी पीढ़ी तक निरंतर पहुंचाने की कोई व्यवस्था हो । इस दिशा में विनम्र प्रयास के रूप में हमनें पर्यावरण डाइजेस्ट में पिछले दो दशकों में हर वर्ष इस विषय पर सामग्री पाठकों तक पहुंचायी है । यह पत्रिका देश की पहली पत्रिका है जिसके अब तक १० अमृता विशेषांक निकाले जा चुके हैं । हमारे देश में केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय तथा राज्य सरकारों द्वारा पर्यावरण एवं वन्यजीवों के संरक्षण के लिये अनेक कार्यक्रम चलाये जारहे हैं। प्रतिवर्ष ५ जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है । राष्ट्रीय पर्यावरण जागरूकता अभियान सहित अनेक अभियानों का आयोजन होता है । यह विडम्बना ही कही जायेगी कि हमारे लोक चेतना प्रयासों को इस महान घटना से कहीं नहीं जोड़ा गया है। आज सबसे पहली आवश्यकता इस बात की है कि २१ सितम्बर के दिन को राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस घोषित किया जाये,यह पर्यावरण शहीदों के प्रति कृतज्ञ राष्ट्र की सच्ची श्रद्धांजली होगी । इससे प्रकृति संरक्षण की जातीय चेतना का विस्तार हमारी राष्ट्रीय चेतना तक होगा , इससे पर्यावरण संरक्षण के हमारे राष्ट्रीय प्रयासोंको नयी गति और शक्ति मिलेगी । इस कार्य में हमें आपके सहयोग, समर्थन और आशीर्वाद की आवश्यकता है । हमें आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि २१ सितम्बर के दिन को राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस घोषित करने के पुण्य कार्य में आपकी ओर से प्रभावी पहल शीघ्र ही होगी ।भवदीय(डॉ. खुशालसिंह पुरोहित)
वार्ता द्वारा जारी समाचार२१ सितम्बर को भारत का पर्यावरण दिवस घोषित करने की मंाग नई दिल्ली २१ अगस्त (वार्ता) । राजस्थान के जोधपुर जिले के खेजड़ली में पेड़ों की रक्षा करते हुए शहीद हुए ३६३ बिश्नोईयों के बलिदान दिवस २१ सितम्बर को भारत का पर्यावरण दिवस घोषित करने की मांग की गई है । पर्यावरणविद् और पर्यावरण पत्रिका मासिक पर्यावरण डाइजेस्ट के संपादक डॉ. खुशालसिंह पुरोहित ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील को पत्र लिखकर यह मांग की है । खेजड़ली गांव में २१ सितम्बर १७३० को खेजड़ी के एक पेड़ को बचाने के लिए प्रकृति प्रेमी महिला अमृतादेवी के नेतृत्व में ३६३ बिश्नोईयों ने प्राणों की आहूति दे दी थी । उन्होंने कहा कि २१ सितम्बर को राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस घोषित किया जाना चाहिए यह पर्यावरण शहीदों के प्रति कृतज्ञ राष्ट्र की सच्ची श्रद्घांजलि होगी । सन् १७३० में जोधपुर के राजा अभय सिंह ने नया महल बनाने के लिए पड़ोस के गांव खेजड़ली के पेड़ काटने के आदेश दिए थे । खेजड़ली में राजा के कर्मचारी बसे पहले अमृता देवी के आंगन में लगे खेजड़ी के पेड़ को काटने आए तो अमृता देवी ने उन्हें रोका और कहा कि यह खेजड़ी का पेड़ हमारे घर का सदस्य है यह मेरा भाई है इसे मैंने राखी बांधी , इसे मैं नहीं काटने दूंगी । इस पेड़ की रक्षा के लिये अमृतादेवी उनके पति, तीन लड़कियों और ८४ गांवों के कुल ३६३ बिश्नोईयों , ६९ महिलाएं और २९४ पुरूषों ने अपने प्राणों की आहूति दे दी और खेजड़ली की धरती बिश्नोईयों के बलिदानी रक्त से लाल हो गई थी ।
डॉ. पचौरी आईपीसी के दोबारा अध्यक्ष चुने गए
टाटा ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टीईआरआई) के निदेशक आर.के पचौरी को दूसरी बार जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतरसरकारी पैनल (आईपीसीसी) का अध्यक्ष चुना गया है । उल्लेखनीय है कि इस पैनल ने डॉ. पचौरी के निर्देशन में कार्य शुरू करने के कुछ ही समय बाद मौसम बदलाव पर अपनी चौथी समीक्षा रिपोर्ट में इस दिशा में तत्काल कदम उठाने की सिफारिश करने के साथ ही विश्व में तमाम मीडिया समूहों के साथ साझेदारी कर मौसम में बदलाव के कारण होने वाले नुकसान के प्रति लोगों को जागरूक करने का कार्य किया । संयुक्त राष्ट्र के इस पैनल के जिनेवा में आयोजित पूर्ण सत्र के दौरान ही डॉ.पचौरी को इसका अध्यक्ष चुना गया । भारत सरकार ने वैश्विक रूप से पर्यावरण विज्ञान एवं अनुसंधान के क्षैत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए डॉ.पचौरी को इस वर्ष पद्म विभूषण से सम्मानित किया ।

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