शुक्रवार, 19 सितंबर 2008

२ सामयिक


सामयिक
पुर्नउत्पादन : आम के आम, गुठलियों के दाम
मार्क आनस्लो
पुनर्चक्रीकण की न केवल महत्ता है बल्कि यह इन दिनों बड़ी चर्चा है । लेकिन कागज, टिन, प्लास्टिक की बोतलें या एल्युमिनियम फॉइल को इनके मूल स्वरूप में लौटाने का मतलब है बड़ी मात्रा में पानी, रसायनों और खासतौर से ऊर्जा का व्यय । ऐसे में एक नया विचार आकार ले रहा है कि अपनी आयु पूरी कर लेने के पश्चात भी उत्पादों को पुन: उपयोगी अवस्था में लाए जा सकें । बस यही पुनर्निमाण की वह अवधारणा है जो इस दिशा में जारी अनुसंधान और विकास के पीछे काम कर रही है । सच पुछा जाए तो यह कोई नई अवधारणा भी नहीं है । पुराने इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को पुन: प्रयोग लायक बनाने में या घिसे हुए टायरों को रीट्रेड करने का चलन तो हम अपने आसपास वर्षोंा से देख रहे हैं। अलबत्ता ग्राहक जरूर इन्हें शक की निगाह से देखते है फिर भी निर्माण की बढ़ती लागत ओर कचरे की बढ़ती समस्या हमें उत्पादों की नई क्षेणी के बारे में सोचने को मजबूर कर रही है । वेक्स आर.डी.सी. के रचना विभाग के निदेशक के स्पर ग्रे को हाल ही में एक मोबाईल फोन निर्माता की ओर से ऐसे यंत्र के विकास का दायित्व सौंपा गया है जिसे आसानी से उन्नत किया जा सके या पुन: प्रयोग लायक बनाया जा सके। ऐसे समय जब अकेले ब्रिटेन में हर साल १.५ करोड़ मोबाईल फोन बदले जा रहे हों और ७.५ करोड़ पुराने फोन देश में अलमारियों में धूल खा रहे हों तो निश्चय ही ग्रे की ओर उद्योग बड़ी अपेक्षा भरी नजरों से देख रहा है। श्री ग्रे का कहना है कि हम ऐसे उत्पाद की रचना की दिशा में कार्य कर रहे हैं जिसके पुर्जोको आसानी से अलग-अलग किया जा सके । वे बताते है कि हम उसके ढांचे को एक खास पोलिमर गोंद से चिपकाएंगे जिसे एक निश्चित तापमान या कंपन देने पर उसे खोला जा सकेगा, ग्राहक उत्पाद की आयु पूर्ण होने पर निर्माता को वापस लौटा देगा, जहां उसे खोलकर पुर्जोंा को अलग कर पुन: उपयोग में लाया जा सकेगा । श्री ग्रे का दावा है कि एक दूसरा विकल्प यह भी है कि ग्राहक खुद अपने फोन को उन्नत कर सकें । उनका दल पुराने यंत्र के खराब पुर्जोंा को नए उन्नत पुर्जोंा से बदले जाने की योजना पर काम कर रहा है । इसमें कूड़े की संभावना को नकारते हुए नए प्रवर्तन की भी गुंजाईश है । यांत्रिकी के क्षेत्र में पुनर्निर्माण के लिए हमेशा से ही अच्छे अवसर मौजूूद रहे हैं। वाहन यांत्रिकी के क्षेत्र की नामी कम्पनी एमसीटी मिशेल कॉट्स ने मोटर वाहन उद्योग के गियर बाक्स सुधारने में महारत हासिल है। अब वे लोग कार्यक्षेत्र में विस्तार करते हुए पवनचक्कियों एवं जल टरबाइनों के क्षेत्र में भी रख रहे हैं । कंपनी को इस बात का अफसोस है कि समय प्रतिबद्धता के इस दौर में रचनाकार (डिजाइनर) अपने उत्पादों की आयु समाप्त् होने के बाद की स्थिति पर विचार ही नहीं करते हैं । इलेक्ट्रानिक उत्पादों के पुनचक्रीकरण से बेहतर है उन्हें पुन: प्रयोग काबिल बना देना । अखरने वाली बात यह है कि समुद्री जनरेशन जैसे नए तकनीकी क्षेत्रों में समस्या यह है कि इंजीनियर मशीन को कार्य क्षम बनाने में ही इतने व्यस्त हैं कि पुननिर्माण के बारे में सोचते ही नहीं हैं । उनका कहना था कि लेकिन पवनचक्कियों के क्षेत्र में पुराने गियर बॉक्सों को पुन: प्रयोग लायक बनाया जा सकता है इससे पर्यावरण और लागत दोनोें ही स्तरों पर अच्छे लाभ प्राप्त् होंगे । लॉबोरो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मार्टिन गूसी एक्टिव रिसायकलिंग लि. के एक दल में शामिल हैं जो इलेक्ट्रानिक उत्पादों के वृृहद स्तर पर पुन: प्रयोग लायक बनाए जाने की संभावनाएं तलाश कर रहा है । वे आजकल पुराने सोनी मोबाईल उपकरणों को घरेलू ऊर्जा एवं जल मापकों जैसे निरीक्षण यंत्रों का दिमाग की तरह इस्तेमाल करने की परियोजना पर कार्य कर रहे हैं । यूरोप में कचरा क्षेत्र में इलेक्ट्रानिक कचरे का योगदान निरन्तर बढ़ रहा है । अकेले ब्रिटेन में हर साल कोई नौ लाख टन इलेक्ट्रानिक कबाड़ कूड़ाघरों में भेज दिया जाता है । निर्माता की जवाबदेही सुनिश्चित करने वाली पहलों ने जो उत्पादकों को पुराने इलेक्ट्रानिक उत्पादों को वापस लेने के लिए बाध्य करती हैं ने भी उन्हें इस दिशा में गंभीरता से सोचने को मजबूर कर दिया है । पर्यावरण हित के मद्देनजर इलेक्ट्रानिक उत्पादों को पुन: उपयोग लायक बनाना या उनके पुर्जोंा को पुन: उपयोग करना उनके पुनर्चक्रीकरण से बेहतर विकल्प है । किंतु साथ ही यह भी आवश्यक है कि इस तरह के पुननिर्माण के लिए बहुत उन्नत तकनीक की आवश्यकता भी न हो। इस दिशा में पर्यावरण उद्यमी समूह बायोरीजनल बहुत अच्छी पहल लेकर आया है । वे लोग पुरानी भवन निर्माण सामग्री को विभिन्न स्थानों से इकट्ठा करवाकर उन्हें पुन उपयोग लायक बनाकर नए निर्माणों को उपलब्ध कराते हैं । पुनर्चक्रीकरण के अंतर्गत चूरा करने, लौह उत्पादों को गलाने या लकड़ी को छिलपट बनाने में बड़ी मात्रा में उर्जा लगती है । जबकि बायोरीजनल का दल पुराने फर्श के पटियों, लकड़ी और लोहे के सामान को साफ कर पुन उपयोग में लाए जाने लायक बनाकर बाजार में खपा देता है । यह केंद्र न लाभ न हानि के आधार पर दल के प्रतिवर्ष लगभग पांच हजार टन सामग्री को उपचारित कर देते हैं । लेकिन पुननिर्माण की यह अवधारणा आसानी से पचती नहीं है । खरीदों और फेको की प्रचलित धारणा से कुछ अलग करना उपयोगकर्ताआें और निर्माताआें को बहुत श्रमसाध्य होगा । लोगों के सोच को बदलना पड़ेगा । ब्रिटेन में लोग नई चीजें ही खरीदना पसंद करते हैं । शायद यहां बहुत धन है । वैसे मसला सामाजिक मान्यता का भी है । यूरोप के ही कुछ भागों में अब पुन: निर्मित उत्पाद खरीदना सामाजिक रुप से अच्छा माना जाने लगा है । पुननिर्माण के मामले में कुछ कानूनी अड़चने भी हैं । उदाहरण के लिए ऐसे उत्पाद अगर ठीक से कार्य न करें तो जिम्मेदारी किसकी होगी । पुनर्चक्रीकरण के मौजूदा प्रावधान के अंतर्गत संभव है कि अंत में जाकर पुन: निर्माण के विरुद्ध ही फैसला दिया जाए । वे पुन: उपयोग के जटिल विकल्प के बजाए निर्माताआें से पिघलाकर भूल जाओ जैसे आसान विकल्प अपनाने के लिए भी कह सकते हैं । इस तरह पुनर्निर्माण के लिए उन्हीं क्षेत्रों में ज्यादा संभावनाएं हंै जो आज भी इस प्रक्रिया को प्रयोग में ला रहे हैं । श्री ग्रे कहते हैं अगर हमें लगातार वस्तुएं खरीदने का शौक है तो हम इनमें किसी तरह पुनर्निर्मित वस्तुआें का समावेश करें, हमारे पास सिर्फ यही एक विकल्प हैं । ***

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