बुधवार, 9 जून 2010

१२ विज्ञान-जगत

हरी इल्ली की हंसी
अरूण डिके
प्रकृति ने प्रत्येक प्राणी के कार्य निश्चित कर रखे हैं। बी.टी. या जीन संवर्धित तकनीकों के माध्यम से वैज्ञानिक प्रकृति के संतुलन को डिगा रहे है । रासायनिक खादों और कीटनाशकों के माध्यम से प्रकृति और कृषि के लिए लाभप्रद कीटों का भी विनाश हो रहा है । ऐसे में हमें यह तय करना होगा कि प्रकृति के छोटे से छोटे जीव को उसका प्राकृतिक पर्यावास मिले । इल्ली लाफिंग बुद्धा की तरह हरी खेत में फसल चरते-चरते हंस रही है । बुद्ध क्यूँ हंस रहे है । हरी इल्ली कीट जगत की एक मानी हुई हस्ती है । यह १०० से ज्यादा फसलों को चरती है इसे चने की इल्ली या अमेरिकन बोलवर्म भी कहते है । इसका वैज्ञानिक नाम हेलियोथिस आर्माजीरा है । हरी इल्ली कृषि विशेषज्ञ पर हंस रही है ।क्योंकि पहले तो उन्होंने फसलों में रासायनिक खाद डालकर उसे प्रदूषित किया और जब प्रकृति ने उसे यह प्रदूषण दूर करने भेजा तो उसे फसल की और अंततोगत्वा किसान की शत्रु करार देकर उसे मारने के लिए डी.डी.टी. जैसी जहरीली कटिनाशक दवाईयां छिड़काव किया । ये विशेषज्ञ भूल गए कि प्रकृति को किसी भी प्रकार का प्रदूषण मंजूर नहीं है ।वे ये भी भूल गए कि इल्ली इस पृथ्वी पर मानव जाति के पहले आई और मानव जाति नष्ट होने के बाद ही समाप्त् होगी । इसीलिए डी.डी.टी. तो बन्द हो गई लेकिन इल्ली जिन्दा है । हरी इल्ली बी.टी. बैंगन के बीज बनाने वाली मांसेंटो कंपनी पर भी हंस रही है कि क्या स्वांग रचा है आपकी प्रौद्योगिकी ने ! क्या मैं इतनी खतरनाक कीट हूं कि मुझे प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करने वाले बी.टी. (बेसिलस थुरेंजेंजिस) बैक्टीरिया के जीन ही बैगन के बीज में रोप दिए और पूरे बैगन के पौधे को ही बीटीमय बना दिया ताकि मै यदि उसके पौधे का हिस्सा खांऊ तो तुरंत बी.टी. जहर से मर जाऊं । समझ लो मैं मर भी गई तो बैगन के पौधे पर आक्रमण करने वाले अन्य रस चूसक कीट, मोला, सफेद मक्खी जैसे कीटकों का क्या ? उनका आक्रमण यदि तेज, हुआ (जो हो रहा है) तो उनको समाप्त् करने उनके प्राकृतिक नियंत्रण करने वाले बैक्टीरिया और फंगस के जींस भी बैंगन के बीज में रोप दोगे ? तो फिर बैंगन का बीज बैंेगन का रहेगा या बैक्टीरियाआें का ?और इन बैक्टीरिया के रोपने से क्या बैंगन मानव स्वास्थ्य के लिए निरापद रहेगा ? क्या उनके अवगुण मानव शरीर को बाधा नही पहुचाएंगे ? हरी इल्ली मीडिया पर भी हंस रही है कि राजनीति और भ्रष्टाचार में डुबें भ्रष्ट राजनेताआें, व्यापारियों और सरकारी अफसरों पर तो पूरा ध्यान केन्द्रित करते हो जिन्हे कभी किसी ने देखा तक नहीं उन राहुल महाजन और राखी सावन्तों जैसे पर तों बड़ी चटकारी खबरें छापते हो, महिलाआें और सिनेमा की अश्लील खबरें और चित्र छापते हों, झूठे और लुभावने विज्ञापन छापते हो और मानव स्वास्थ्य से जुड़ी मेरी गतिविधियों की कुछ भी अहमियत नहीं ? हरी इल्ली हंस रही है, समाज के सभ्रान्त व्यक्तियों पर कि आए दिन शोभायात्रा, धार्मिक अनुष्ठान और मनोरंजन के कार्यक्रमों में मगन रहते हो लेकिन रसायन मुक्त चेतना फैलाने वाले कोई अभियान नहीं ? पर्यावरण प्रदूषण पर कोई सामूहिक चर्चा तक नही ? हरी इल्ली आज पूरे विश्व का ध्यान आर्कषित कर रही है । बड़े-बड़े राज्यों और राष्ट्रों की सरकारों का तख्ता पलटने का माद्दा रखने वाली हरी इल्ली अपने खोल से बाहर निकल चुकी है । इसी हरी इल्ली ने मध्यप्रदेश की गोविन्द नारायण सिंह भी संविदा सरकार को सन् १९६७ मे एक जबरदस्त झटका दिया था, जिसमे कइंर् अफसरों को बर्खास्त कर दिया गया था । इसी हरी इल्ली के कारण युनियन कार्बाइड का कारखाना भोपाल के रहवासी इलाके में खुला था और उसके कीटनाशक सेविन ने खेतों में कम और जनता पर ज्यादा कहर बरपाया था हजारों मासूम काल के मुंह में समा गए थे । इस खतरनाक खेल पर व्यंगकार शरद जोशी ने जीप पर सवार इल्लियां पुस्तक लिखी थी । हरी इल्ली प्रकृति की अदभुद रचना है, जो जीवो जीवस्य मंत्र के अंर्तगत काम करती है और अपने आप नियंत्रण भी हो जाती है । अंडे, इल्ली, का जीवन चक्र २१ दिन चलता है और वह एक मौसम मे सात बार जन्म लेती है और समाप्त् हो जाती है इसका हर जन्म स्टार कहलाताहै । पहले स्टार की हरी इल्ली २ मिलीमीटर लंबी होती है । जो सातवे स्टार तक २-३ इंच तक लम्बी हो जाती है । शुरू के दो स्टार तक इसका नियंत्रण आसान होता है । लेकिन उसके बाद इसका नियंत्रण बहुत कठिन होता है । हरी इल्ली को नियंत्रित करने की प्रकृति ने अस्सी प्रकार के कीट, बैक्टिरिया और फंगस पालकर रखे है जो प्राकृतिक अवस्था में हरी इल्ली को नियंत्रित करते रहते है इस तथ्य को भगवान महावीर ने समझा था, इसीलिए उन्होंने अहिंसा का यह संदेश दिया था कि पृथ्वी पर सूक्ष्म जीव भी बिना कार्य के पैदा नहीं होता है इसलिए उसको मारना नहीं चाहिए । यहां तक कि वनस्पति भी नहीं । जो लोग विज्ञान को समझते है वे जानते हैं कि खटमल, मच्छर, मक्खी, तिलचट्टा, छिपकली, चीटियां जैसे प्राणी सफाई कर्मचारी है । दिन रात प्रदूषण दूर करते रहते है लेकिन जब इनकी संख्या अनियंत्रित होती है, तब अपने आप ही इनका प्राकृतिक नियंत्रण भी होता है बशर्तेंा आप अपना घर और अहाता साफ रखें । इसी सिद्धान्त के आधार पर साफ सुथरा जंगल साफ सुथरे और ज्यादा सुहावनेलगते है । स्वयं के घमंड में चूर, विज्ञान को धन की तराजू में तोलकर मानवी जीवन को बाजार के हवाले करने वाले धनलोभी नोट गिन रहे हैं और हरी इल्ली हंस रही है । बी.टी. बैंगन को किसानों पर थोपने वाले जी तोड़ मेहनत कर रहे है और हरी इल्ली हंस रही है । ***

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