पानी साफ करने वाली जादुई
फलीभरतलाल सेठ
सुरजना की फली के पौष्टिकता और औषधीय गुणों से तो हम परिचित ही थे । वैज्ञानिक अध्ययनों ने यह सिद्ध कर दिया है कि इसमें जलशुद्धिकरण की भी अदभुद क्षमता है । आवश्यकता इस बात की है कि इस फली का उत्पादन बढ़ाने के तुरंत प्रयत्न किए जाएं । सुरजना या सहजन की फली (ड्रमस्टिक) का वृक्ष किसी भी तरह की भूमि पर पनप सकता है और यह बहुत कम देख-रेख की मांग करता है । इसके फूल, फली और टहनियोंको अनेक प्रकार से उपयोग में लिया जा सकता है ये एक जादूइ फली है । जो भोजन के रूप में यह अत्यंत पौष्टिकता प्रदान करती है और इसमें औषधीय गुण भी है । हाल ही में शोध समुदाय का ध्यान इसकी ओर आर्कषित हुआ है क्योंकि इसमें पानी को शुद्ध करने के गुण भी मौजूद हैं । सुखाई गई फली को जब पाउडर बनाकर पानी में डाला जाता है तो वह गुच्छा बनाने या एकत्रीकरण का कार्य करती है पानी को शुद्ध करने के लिए एकत्रीकरण पहली शर्त है । इस रूप में इस फली के बीज फिटकरी को तो अल्जीमर्स नामक बीमारी तक जोड़ा गया है यह तो सुनिश्चित हो गया है इसके बीज का सत गुच्छे बनाने के संवाहक के रूप में कार्य करता है । लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि यह सुक्ष्मतम स्तर पर किस तरह कार्य करता है । फरवरी २०१० में लेंगमुइर पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र जो कि स्वीडन स्थित उप्पसला विश्वद्यिालय द्वारा बोत्सवाना विश्वविद्यालय को दिए गए तकनीकी सहयोग से तैयार हुआ था, में बताया गया है कि कि तरह ये बीज अशुद्ध कणों को एकसाथ इकट्ठा करते है । वैस ये बीज बोत्सवाना में पीढ़ियों से पारम्परिक रूप से जल शुद्धिकरण के कार्यमे आते हैं । ये आपस में जोड़ने वाले तत्व एक साथ इकट्ठा होकर गुच्छो में परिर्वतित हो जाते है और नीचे बैठ जाते है । इस अर्थ में सुरजनता की फली के बीज बैक्टीरिया का भी नाश हो करते है । उप्पसला विश्वविद्यालय के भौतिक एवं खगोलशास्त्र विभाग के प्राध्यापक एवं शोधकर्ता एड्रेन रिन्नी का कहना है कि गुच्छा बनने की प्रक्रिया को समझना बहुत जरूरी है क्योंकि उसी क बाद हम इससे संबंधित प्राकृतिक प्रदार्थो का उपयोग कर पाएेंगे । इसी कारण से हमें बीज की मात्रा और बनावट पर ध्यान देना होगा जो कि अवयवों को आपस में जोड़ती है । यह पेड़ मूलत: भारत में विकसित हुआ है अतएव इसकी सुरक्षा स्थानीय उपलब्धता करवाने के वैकल्पिक स्रोत के रूप में देखा जा सकता है भारत में पेयजल आपूर्ति एवं सेनीटेशन परियोजना को लेकर दो खंडो में सारगर्भित प्रकाशन किया है एक स्वीकृत अध्ययन में तमिलनाडु के गांवो में १९९९ से २००२ के मध्य फली के बीजों को शुद्धिकरण की प्रक्रिया के रूप में इस्तेमाल किया गया था । यह अध्ययन कोयम्बटूर के अविनिलाश्ंगम इंस्टिट्यूट फॉर होम साइंसय एण्ड हायर एजुकेशन फार वुमेन द्वारा भवानी नदी के तट पर स्थित उन तीन गांवों मे किया गया था, जहां पर कि नदी का पानी पीने योग्य नही था । कोयंबटूर अध्ययन की मुख्य वैज्ञानिक जी.पी. जयन्थी का कहना है कि फली के पाउडर ने पानी की गंदगी और बैक्टीरिया की संख्या में काफी कमी की है परंतु उन्होंने चेतावनी देते हुए कहाहै कियह पूर्ण समाधान यनहीं है । इसे उस आनलाइन मापदंड के नजरिए से देखना चाहिए जिसके अनुसार सुरजना की फली का बार-बार उपयोग, पीने योग्य पानी की गारंटी नही देता इस हेतु कुछ अतिरिक्त उपचार की अनुशंसाए की गई है ।वैसे फरवरी २०१० में माइक्रोबायलोजी के नवीनतम मापदंड मे इन बीजो के इस्तेमाल को सहमति प्रदान की गई है । इस आनलाईन शोध में विश्वभर मे सर्वाधिक ११,५०० शोधकर्ता के मापंदडो का संग्रह है । इसके अंर्तगत ग्रामीण इलाको के गरीब लोगों को बजाए दूषित जल पीने के इन बीजों के प्रयोग की सलाह भी दी गई है । शोध पत्र के अनुसार इसके माध्यम से गंदगी में ८० प्रतिशत से लेकर ९९.५ प्रतिशत एवं बैक्टीरिया की संख्या में ९० प्रतिशत तक कमी आ आती है । शोधपत्र में इसके प्रयोग हेतु सहयोगी प्रपत्र भी जारी किया गया है इसके अनुसार गांव में बर्तनों में प्रति लीटर में १००-२०० व ४०० मिलीग्राम पाउडर बर्तन को एक मिनट तक जोर से हिलाया जाए । इसके बाद उसे धीमे-धीमे हिलाने के बाद एक मिनट के लिए रखा जाए । तत्पश्चात ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ता तय करे की बीज की कितनी मात्रा उपयोग में लाई जाए । सुश्री जयन्थी का कहना है कि भारत में स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं है ।इन इलाकों मे सुरजना के बीज के इस्तेमाल की बात फैलाई जानी चाहिए । उनके दल द्वारा किए गए अध्ययन को आठ वर्ष बीत गए है । परंतु धन की कमी के कारण उन स्थानोंपर फालोअप नहीं हो पाया है । सरकार भी इस जल मसले पर बहुत उत्साहित नहीं है । पेयजल आपूर्ति विभाग के उप सलाहकार डी.राजशेखर का कहना है कि हमने इस तकनीक को औपचारिक रूप से प्रमाणित नही किया है इसे एक उपलब्ध विकल्प के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है । यह तो राज्य पर है कि वह इसकी कम लागत वाले सक्षम विकल्प के रूप मे पहचान सुनिश्चित करें । ***
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