बुधवार, 9 जून 2010

९ कविता

फसल
नागार्जुन
एक के नहीं,दो के नहीं,ढेर सारी नदियों के पानी का जादू ।एक के नहीं,दो के नहीं,लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमाएक की नहीदो की नहींहजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुणधर्मफसल क्या है ?और तो कुछ नहीं है वह नदियों के पानी का जादू है वहहाथों के स्पर्श की महिमा है भूरी-काली संदली मिट्टी का गुणधर्म है रूपांतर है सूरज की किरणों का सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का ! ***

1 टिप्पणी:

chetna vyas ने कहा…

paryavaran digest me baba nagarjun ki yah kavita atyant prasangik hai.
aaj paryavaran sarakshan ke liye itni hi gahan samvedan shilta ki avashyakta hai.
vishesh lekh bhi atyant jankaripurna hai.