बुधवार, 9 जून 2010

१२ पर्यावरण समाचार

अब बाघों की स्मार्ट मॉनीटरिंग
देश में तेजी से घट रहे बाघों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार का वन मंत्रालय नया नुस्खा अपनाने जा रहा है । इसके तहत राष्ट्रीय टाइगर रिजर्व क्षेत्रों के घने जंगलों में एम-स्ट्राइप नामक प्रोजेक्ट से बाघों की स्मार्ट मॉनीटरिंग होगी और उनका सुरक्षा के पर्याप्त बंदोबस्त किए जाएेंगे । एम-स्ट्रिप प्रोजेक्ट आगामी चार सालों में देश के ४१ टाइगर रिजर्व एरिया में धीरे-धीरे लागू होगा । हाल में १० टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना है । इस योजना के तहत बाघों की सुरक्षा के लिहाज से प्रतिदिन जंगलों में बाघों की दिनचर्या से मिलने वाले डाटा का विश्लेषण किया जाएगा । इसके लिए कार्ड डिजाईन किया गया है । इसमें देखा जाएगा कि बाघ संरक्षित किस क्षेत्र में अन्य जानवरों की स्थिती क्या है । मनुष्यों की आवाजाही उस क्षेत्र में कितनी है । खतरा ज्यादा कहां है । हर माह बाघ कितना शिकार करता है उसे वहां पर्याप्त् भोजन मिलता है के नहीं ? आदि बाघों का डाटा एकत्र कर कम्प्यूटर पर प्रतिदिन समीक्षा की जाएगी । इसके बाद देखा जाएगा की बाघों की सुरक्षा पर कहां संकट है । फिर वहां सुरक्षा के पर्याप्त् इंतजाम किया जाएगें । अब तक वन्य प्राणियोंं के आंकड़ें की इस प्रकार समीक्षा नहीं हो पाती थी ।जुलाई से पर्यावरण विज्ञान संचार पाठ्यक्रम भोपाल स्थित माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थन जुलाई माह से प्रकृति पर्यावरण विज्ञान संचार मेंं स्नात्तकोत्तर डिप्लोमा तथा प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम आरंभ करेगा । इसके लिए इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विवि के साथ मिलकर सप्रे संग्रहालय ने कम्युनिटी कॉलेज की स्थापना की है । संस्थान की एक विज्ञिप्त् के अनुसार सप्रे संग्रहालय इग्नू कम्पुनिटी कॉलेज का जोर विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी संचार के क्षेत्र में नवाचार पर रहेगा । डिप्लोमा पाठ्यक्रम एक वर्ष का होगा । जिसके लिए न्यूनतम प्रवेश योग्यता किसी भी विषय में स्नातक की उपाधि होना है । इसके लिए कुल ४० सीटें रखी गई है । सर्टिफिकेट कोर्स ६ माह का होगा जिसकी प्रवेश योग्यता हायर सेकेंडरी रखी गई है । ***

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