फसल
नागार्जुन
एक के नहीं,दो के नहीं,ढेर सारी नदियों के पानी का जादू ।एक के नहीं,दो के नहीं,लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमाएक की नहीदो की नहींहजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुणधर्मफसल क्या है ?और तो कुछ नहीं है वह नदियों के पानी का जादू है वहहाथों के स्पर्श की महिमा है भूरी-काली संदली मिट्टी का गुणधर्म है रूपांतर है सूरज की किरणों का सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का ! ***
1 टिप्पणी:
paryavaran digest me baba nagarjun ki yah kavita atyant prasangik hai.
aaj paryavaran sarakshan ke liye itni hi gahan samvedan shilta ki avashyakta hai.
vishesh lekh bhi atyant jankaripurna hai.
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